महासमुंद: प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (PMMVY) ने हजारों गर्भवती माताओं की तस्वीर दोनों बदल दी है. इस योजना ने बच्चों में होने वाले कुपोषण को भी काफी हद तक समाप्त कर दिया है. इस योजना के तहत तीन चरणों में मिलने वाली 5 हजार की राशि ने गर्भवती माताओं की चिंता दूर कर दी है. इस योजना के विस्तार के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के आला अधिकारी इस योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा गर्भवती महिलाओं तक पहुंचाने के लिए कार्य योजना बनाने में जुटे हैं.
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) की शुरुआत महासमुंद जिले में 1 जनवरी 2017 को हुई. तब से लेकर आज तक जिले के 14 हजार 610 प्रथम बार गर्भवती माताओं को तीन किस्तों में 4 करोड़ 6 लाख 35 हजार रुपये दिए जा चुके हैं. ETV भारत इस योजना के तहत जमीनी हकीकत जानने के लिए जिले के ग्राम पंचायत बेलंसोडा के मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र पहुंची. जहां योजना के तहत आंगनबाड़ी में अब तक 35 गर्भवती माताओं को इसका लाभ दिया गया है.
पीएमएमवीवाई से महिलाओं को मिला लाभ
लाभांवित महिलाओं ने बताया कि उन्हें जब पीएमएमवीवाई के संदर्भ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से जानकारी मिली तो उन्होंने गर्भधारण करने के बाद आंगनबाड़ी केंद्र में अपना पंजीयन कराया. उन्हें इस योजना के तहत 6 महीने तक 1 हजार रुपये मिले. गर्भावस्था के 6 महीने बाद 2 हजार रुपये मिले और डिलीवरी का पहला चक्र बीतने के बाद तीसरी बार 2 हजार मिले हैं. इन पैसों से महिलाएं अपने स्वास्थ्य चेकअप, पोषण आहार ले रही हैं. इससे मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हो रहे हैं.
शिशु मृत्यु दर में आई कमी
इस योजना के संदर्भ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का कहना है कि पहले महिलाओं को अस्पताल में चेकअप कराने के लिए बोलने पर कहती थी कि पैसा नहीं है. इस कारण कुछ महिलाओं की मौत हो गई या फिर बच्चा कहीं न कहीं कुपोषण का शिकार हुआ है. जब से पीएमएमवीवाई के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को 5 हजार रुपये मिल रहे हैं, तब से मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी आई है.
जननी सुरक्षा योजना का लाभ
महिला एवं बाल विकास विभाग के आला अधिकारी का कहना है कि पहली गर्भावस्था के दौरान पोषण और स्वास्थ्य के लिए जरूरी राशि उपलब्ध कराना और उनके उत्साह को बढ़ावा देना ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है.