महासमुंद: जिले में मध्याह्न भोजन बनाने वाले रसोईयों को पांच माह से मानदेय नहीं मिला है. इस वजह से रसोईया संघ ने स्कूलों मे मिड डे मिल बनाना बंद कर दिया और हड़ताल पर चले गए हैं. जिसके चलते जिले के अधिकांश स्कूलों मे मध्याह्न भोजन नहीं मिल रहा है. इस वजह से प्राथमिक स्कूल के इन बच्चों को दोपहर का भोजन नहीं मिल रहा है. कुछ बच्चे घरों से टिफिन ला रहे, तो कुछ भूखे पेट ही रहने को मजबूर हैं.
गुडरुडीह में मिड डे मिल हुआ बंद: शहर के शासकीय प्राथमिक शाला गुडरुडीह में कक्षा पहली से पांचवी तक के 37 बच्चे पढ़ाई करते हैं. प्राथमिक स्कूल के इन बच्चों को हर रोज मध्याह्न भोजन दिय जाता रहा है. लेकिन रसोईयों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से इस स्कूल में मध्याह्न भोजन नहीं बन रहा है. प्रधान पाठिका ने बच्चों को घर से टिफिन लाने को कहा है.
वेतन नहीं, तो मिड डे मील नहीं: इस पूरे मामले मे रसोईया संघ की अध्यक्ष राधा साहू का कहना है, "पिछले पांच माह का वेतन नहीं मिलने से हम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. हमें दुकान से राशन नहीं मिल रहा, सब्जी भी नहीं ले पा रहे. कुछ ने तो अपना जेवर भी गिरवी रख काम चलाया है. लेकिन अब पैसे खत्म हो गया है. अब जब तक हमारा मानदेय नहीं मिलेगा, तब तक हम लोग मध्याह्न भोजन नहीं बनायेंगे."
जल्द वेतन मिलने की बात कह रहे अधिकारी: मामले पर शासकीय प्राथमिक शाला गुडरुडीह की प्रिंसिपल धारिता चन्द्राकर ने कहा, "रसोईया संघ के हड़ताल पर जाने से मध्याह्न भोजन बंद हो गया है. अब हम बच्चों को घर से टिफिन लाने के लिए कह रहे हैं." वहीं मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी नीता मुखर्जी वैकल्पिक व्यवस्था करने और जल्द ही शासन से रसोईया संघ को पैसा मिलने की बात कह रही हैं.
गौरतलब है कि महासमुंद जिले में 1278 प्राथमिक स्कूल हैं, जिनमें से 493 स्कूलों में मिडिल स्कूल संचालित है. जिनमें 118000 बच्चे पढ़ाई करते हैं. जिसके लिए रसोईया मध्याह्न भोजन बनातें हैं. लेकिन इनके हड़ताल पर चले जाने से मध्याह्न भोजन बनाने की व्यवस्था चरमरा गयी है. हालांकि कुछ स्कूलों में स्व सहायता समूह के द्वारा भोजन बनाया जा रहा है. लेकिन यह इस समस्या का कोई स्थाई हल तो नहीं है. अब देखना होगा कि आखिर इन रसोईयों को कब मानदेय मिलेगा और फिर से स्कूलों में मध्याह्न भोजन सुचारु रुप से संचालित होगा.