महासमुंद/ रायपुर: वैलेंटाइन डे पर जब आपको तमाम प्रेम कहानियों से रूबरू करा रहे हैं तो रानी वासटा का जिक्र न करना अन्याय होगा. रानी की प्रेम कहानी करीब डेढ़ हजार साल पुरानी है. इस अमर प्रेम कहानी का गवाह है सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर.
वासटा देवी मगध नरेश सूर्य वर्मा की बेटी थीं. उन्होंने ही अपने पति राजा हर्ष गुप्त की याद में 635-40 ईसवी में सिरपुर में लक्ष्मण मंदिर का निर्माण कराया था. वासटा देवी की प्रेम कहानी का उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी अपने यात्रा वृतांत में किया है.
ये है मान्यता
यहां मिले शिलालेखों के मुताबिक राजा हर्ष गुप्त की अकाल मृत्यु के बाद उनकी पत्नी रानी वासटा देवी ने अपने पति की याद में इस मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई भगवान विष्णु के 10 अवतारों की प्रतिमा 1500 साल बाद भी अपनी खूबसूरती बरकरार रखने में कामयाब है.
वासटा देवी ने अपने पति के याद में बनाया था मंदिर
मंदिर के भीतर शेषनाग की भी प्रतिमा है. लक्ष्मण जी को शेषनाग का अवतार भी माना जाता है कुछ जानकारों का मानना है कि जिस तरह रामायण काल में लक्ष्मण जी की पत्नी उर्मिला पति वियोग में जीती है हो सकता है की रानी वासटा भी पति की मृत्यु के बाद खुद को उर्मिला के करीब पाती हैं और वह इसी से प्रेरित होकर लक्ष्मण मंदिर को अपने पति की याद में निर्माण कराती है.
प्रेम का प्रतीक है ये मंदिर
मिट्टी से बनी पक्की ईंटों से निर्मित इस मंदिर में दक्षिण कौशल की शैव और मगध की वैष्णव संस्कृति का अनूठा मिश्रण मिलता है. दुनिया में शायद ही प्रेम का इतना पुराना कोई प्रतीक हो लेकिन दुर्भाग्य है कि ये ऐतिहासिक स्मारक विश्व धरोहर की सूची में शामिल नहीं हो पाया.
यूरोपियन साहित्यकार एडविन एराल्ड ने इस मंदिर को लाल ईंटों से बना मौन का प्रतीक बताया. वहीं रविंद्रनाथ टैगोर ने लक्ष्मण मंदिर को समय के गाल पर बिंदी सा चमकने वाला अद्भुत रत्न कहा था. उम्मीद है कि प्रेम के प्रतीक हमारे इस धरोहर को और बेहतर रख-रखाव के दिशा में सरकार काम करेंगी, जिससे ये मंदिर एक रानी के प्रेम कथा को आने वाले कई सदियों तक इस तरह बयां करता रहेगा.