महासमुंद: 6 लाख की आबादी वाला शहर महासमुंद में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी में फैलता जा रहा है. अबतक कोरोना से पीड़ित 220 मरीजों का इलाज जिला अस्पताल के नजदीक बने 240 बेड के कोविड-19 सेंटर में किया जा रहा है. अस्पताल का नाम नदियों पर रखा गया है. इस अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए तीन शिफ्ट में नर्स, डॉक्टर, कंपाउंडर आदि 15 लोगों की ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन अग्निशामक यंत्र के नाम पर सिर्फ सभी वार्ड में फायर सेफ्टी टैंक लगाई गई है. इसके अलावा कोविड-19 महासमुंद नगर सेना के फायर ब्रिगेड पर डिपेंड है.
जिले में फायर ब्रिगेड की कुल 6 गाड़ियां मौजूद है, जबकि नियम के हिसाब से हर 40 हजार की आबादी पर फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी होनी चाहिए. इस हिसाब से देखें तो यहां कुल 12 फायर ब्रिगेड होनी चाहिए, लेकिन यह दमकल की महज दो ही गाड़ियां मौजूद है. इसके साथ ही यहां आग लगने पर फोन की जगह पानी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से आग पर काबू पाने में समय ज्यादा लगता है और 1 जुलाई से नगर पालिका ने फायर ब्रिगेड का प्रभार नगर सेना को सौंपा दिया गया है. नगर सेना अधिकारी का कहना है कि नगर पालिका से एक फायर ब्रिगेड मिली है और एक हमारे पास है, लेकिन स्टाफ की कमी से फायर कर्मचारी एक गाड़ी के बाद दूसरी गाड़ी का उपयोग करते हैं.
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कोविड-19 सेंटर में नहीं है व्यवस्थाएं
स्थानीय लोगों ने बताया कि कोविड-19 सेंटर में जिस तरह कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं, उस हिसाब से शहर में व्यवस्थाएं नहीं हैं. केवल फायर सेफ्टी की बात की जाए तो वहां पर फायर सेफ्टी के नाम पर इतने बड़े सेंटर में कुछ फायर सिलेंडर लगा दिए गए हैं, जिससे बड़ी दुर्घटना को रोका नहीं जा सकता. मरीजों के परिजनों ने बताया कि कोविड-19 सेंटर के पास ही रसोई घर है, जहां कर्मचारियों के अलावा मरीजों के लिए भोजन तैयार किया जाता है. जिसे देखते हुए तैयारी और सुरक्षा के इंतजाम पर्याप्त नहीं है.
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
गौरतलब है कि जिला स्तर पर कोविड-19 सेंटर में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में सुरक्षा मानकों का ऐसे अस्पताल में ख्याल नहीं रखना कई बड़े हादसे का कारण बन सकता है.