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महासमुंद- संतान की लंबी उम्र के लिए मनाया गया हलषष्ठी पर्व

हलषष्ठी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.  महिलाओं ने पूरे नियमों के साथ पूजा पाठ की.

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Published : Aug 22, 2019, 9:10 AM IST

Updated : Aug 22, 2019, 10:13 AM IST

हलषष्ठी पर्व मनाती महिलाएं

महासमुंद - संतान की लंबी उम्र व खुशहाली की कामना करते हुए माताओं ने बुधवार को व्रत रखा और हलषष्ठी देवी की पूजा अर्चना की. कहीं संयुक्त परिवार की महिलाओं ने एकजुट होकर पूजा की, तो कहीं मंदिरों में आस-पड़ोस की महिलाएं सामूहिक रूप से पूजा में शामिल हुईं.

हलषष्ठी पर्व मनाती महिलाएं

महामाया मंदिर, ब्राम्हणपारा, हनुमान मंदिर सहित अनेक जगहों पर महिलाओं ने गुड्डा (सगरी) खोदकर उसे तालाब का रूप दिया और हर छठ गाढ़ा सगरी में बेलपत्र, भैंस का दूध, दही, घी, कांसी का फूल, लाई, महुआ का फूल आदि अर्पित किया.

महिलाओं ने हलषष्ठी देवी की पूजा कर कथा सुनी. मिट्टी को सफेद कपड़ों में बांधकर छोटे-छोटे बच्चों की पीठ पर हलके से थाप दी, जिसे पोती मारना कहते हैं.

पढ़ें - कवर्धा: निजी स्कूल के खोदे गड्ढे में डूबने से मासूम की मौत

साथ ही लंबी उम्र की दुआ मांगी और पूजा के बाद बचे हुई लाई महुएं व नारियल को एक दूसरे को बांटा. घर पहुंचकर बिना हल जोते उगने वाले पसहार चावल को पकाकर व्रत तोड़ा.

महासमुंद - संतान की लंबी उम्र व खुशहाली की कामना करते हुए माताओं ने बुधवार को व्रत रखा और हलषष्ठी देवी की पूजा अर्चना की. कहीं संयुक्त परिवार की महिलाओं ने एकजुट होकर पूजा की, तो कहीं मंदिरों में आस-पड़ोस की महिलाएं सामूहिक रूप से पूजा में शामिल हुईं.

हलषष्ठी पर्व मनाती महिलाएं

महामाया मंदिर, ब्राम्हणपारा, हनुमान मंदिर सहित अनेक जगहों पर महिलाओं ने गुड्डा (सगरी) खोदकर उसे तालाब का रूप दिया और हर छठ गाढ़ा सगरी में बेलपत्र, भैंस का दूध, दही, घी, कांसी का फूल, लाई, महुआ का फूल आदि अर्पित किया.

महिलाओं ने हलषष्ठी देवी की पूजा कर कथा सुनी. मिट्टी को सफेद कपड़ों में बांधकर छोटे-छोटे बच्चों की पीठ पर हलके से थाप दी, जिसे पोती मारना कहते हैं.

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साथ ही लंबी उम्र की दुआ मांगी और पूजा के बाद बचे हुई लाई महुएं व नारियल को एक दूसरे को बांटा. घर पहुंचकर बिना हल जोते उगने वाले पसहार चावल को पकाकर व्रत तोड़ा.

Intro:एंकर - छत्तीसगढ़ में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में से एक हलषष्टि पर्व श्रद्धा उल्लास से मनाया गया। संतान की लंबी उम्र वा खुशहाली की कामना करते हुए माताओं ने व्रत रखा और हलषष्ठी देवी की पूजा अर्चना की कहीं संयुक्त परिवार की महिलाओं ने एकजुट होकर पूजा की तो कहीं मंदिरों में आस-पड़ोस की महिलाएं सामूहिक रूप से पूजा में शामिल हुई।



Body:और पुत्र के बेहतर स्वास्थ्य व ऐश्वर्याशाली जीवन की कामना की महामाया मंदिर, ब्राम्हण पारा, हनुमान मंदिर सहित अनेक जगहों पर महिलाओं ने गुड्डा (सगरी) खोज कर उसे तालाब का रूप दिया और हर छठ गाढ़ा सगरी में बेलपत्र, भैंस का दूध, दही, घी, कांसी का फूल, लाई, महुआ का फूल आदि अर्पित किया। इसके पश्चात सभी ने बारी-बारी से विधित व हलषष्टि देवी की पूजा कर कथा सुनी महिलाओं ने मिट्टी को सफेद कपड़ो में बांधकर छोटे-छोटे बच्चों की पीठ पर हलके से थाप दी यानी छुआया जिससे पोती मारना कहते हैं। साथ ही लंबी उम्र की दुआ मांगी और पूजा के बाद बचे हुई लाई महुए व नारियल को एक दूसरे को बांटा घर पहुंच कर बिना हल जोते उगने वाले पसहार चावल को पकाकर व्रत तोड़ा। आपको बता दें कि पूजा में भैंस का दूध और खेत से हल चलाए बिना उगने वाले धान का इस्तेमाल किया जाता है महिलाएं उन जगहों पर नहीं जाती जहां हल का उपयोग किया गया हो। साथ ही खम्हार पेड़ के दातुन से दांतों को साफ करती हैं यहां तक कि खाना बनाने के लिए इसी लकड़ी को चम्मच के रूप में इस्तेमाल किया जाता है इसके अलावा छह पका प्रकार की भाइयों को मिर्च और पानी में पकाया जाता है


Conclusion:और छह प्रकार के जानवर कुत्ते पक्षी बिल्ली गायब है चिड़ियों के लिए दही के साथ पत्ते में परोसा जाता है यहां भी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था इसलिए उनके अस्त्र हलवा बैल की पूजा की जाती है इन सभी नियमों का पालन व्रतधारी महिलाओं ने किया।


बाइट 1 - अनिता साहू, महिला पहचान लाल और गोल्डन कलर का साड़ी सर में सिंदूर माथे पर बिंदिया।

बाइट 2 - लीना साहू महिला पहचान हरा साड़ी और लाल ब्लाउज

हकीमुद्दीन नासिर रिपोर्टर ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ़
Last Updated : Aug 22, 2019, 10:13 AM IST
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