महासमुंद - संतान की लंबी उम्र व खुशहाली की कामना करते हुए माताओं ने बुधवार को व्रत रखा और हलषष्ठी देवी की पूजा अर्चना की. कहीं संयुक्त परिवार की महिलाओं ने एकजुट होकर पूजा की, तो कहीं मंदिरों में आस-पड़ोस की महिलाएं सामूहिक रूप से पूजा में शामिल हुईं.
महामाया मंदिर, ब्राम्हणपारा, हनुमान मंदिर सहित अनेक जगहों पर महिलाओं ने गुड्डा (सगरी) खोदकर उसे तालाब का रूप दिया और हर छठ गाढ़ा सगरी में बेलपत्र, भैंस का दूध, दही, घी, कांसी का फूल, लाई, महुआ का फूल आदि अर्पित किया.
महिलाओं ने हलषष्ठी देवी की पूजा कर कथा सुनी. मिट्टी को सफेद कपड़ों में बांधकर छोटे-छोटे बच्चों की पीठ पर हलके से थाप दी, जिसे पोती मारना कहते हैं.
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साथ ही लंबी उम्र की दुआ मांगी और पूजा के बाद बचे हुई लाई महुएं व नारियल को एक दूसरे को बांटा. घर पहुंचकर बिना हल जोते उगने वाले पसहार चावल को पकाकर व्रत तोड़ा.