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केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल, 15 नवंबर से धान खरीदी करने की मांग - केंद्र सरकरा के खिलाफ प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ सरकार ने एक दिसंबर से धान खरीदी का निर्णय लिया है. सरकार के इस फैसले से किसान मायूस हैं. गुरुवार को महासमुंद में अन्नदाताओं ने धान खरीदी जल्दी करने को लेकर मोर्चा खोला.

farmers protest
किसानों का प्रदर्शन
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Published : Nov 5, 2020, 9:26 PM IST

Updated : Nov 5, 2020, 10:09 PM IST

महासमुंद: पूरे प्रदेश में किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार से नाराज किसानों ने गुरुवार को अपने विभिन्न मांगों को लेकर नेशनल हाई-वे 53 में अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के बैनर तले एक दिवसीय धरना प्रदर्शन और चक्काजाम किया. मौके पर पहुंची पुलिस प्रशासन के टीम की समझाइश के बाद किसानों ने चक्काजाम खत्म किया.

केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल

किसानों ने केंद्र सरकार से कृषि बिल वापस लेने और जल्द से जल्द समर्थन मूल्य में धान खरीदी करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और सीएम भूपेश बघेल के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है. किसान नेता ने धरने को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर हल्ला बोला है. उनका कहना कि भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून केवल पूंजीपतियों के लिए है और आम उपभोक्ता विरोधी है. उन्होंने कहा कि जब से कृषि कानून लाया गया है तब से देश के किसान इसके विरोध में आंदोलन कर रहे है, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों के इस आंदोलन को विपक्षी पार्टी का आंदोलन बताकर किसानों की समस्या से मुंह फेर लिया है.

किसानों की मांग

किसानों की मांग है कि उनका धान पूरे साल मंडी में केंद्र द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए. इसके साथ ही उन्होंने कृषि बिल 2020, बिजली संशोधन बिल 2020 को निरस्त करने और 15 नवंबर से धान खरीदी करने की मांग की है. SDM ने किसानों के ज्ञापन को राष्ट्रपति तक भिजवाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि समझाइश देने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था. इसलिए उनपर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.

पढ़ें: SPECIAL: धान खरीदी में देरी से क्यों परेशान हैं छत्तीसगढ़ के किसान

पिछले साल भी धान खरीदी में देरी की वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था. इस बार किसानों के साथ-साथ विपक्ष भी नवंबर में धान खरीदी चाहता था, लेकिन सरकार ने एक दिसंबर से धान खरीदी का फैसला लिया है, जिससे अन्नदाता निराश हैं. किसान तो ये भी कह रहे हैं कि भले एक नवंबर न सही सरकार 15 नवंबर से ही धान खरीद ले चाहे भुगतान बाद में करें.

महासमुंद: पूरे प्रदेश में किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार से नाराज किसानों ने गुरुवार को अपने विभिन्न मांगों को लेकर नेशनल हाई-वे 53 में अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के बैनर तले एक दिवसीय धरना प्रदर्शन और चक्काजाम किया. मौके पर पहुंची पुलिस प्रशासन के टीम की समझाइश के बाद किसानों ने चक्काजाम खत्म किया.

केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल

किसानों ने केंद्र सरकार से कृषि बिल वापस लेने और जल्द से जल्द समर्थन मूल्य में धान खरीदी करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और सीएम भूपेश बघेल के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है. किसान नेता ने धरने को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर हल्ला बोला है. उनका कहना कि भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून केवल पूंजीपतियों के लिए है और आम उपभोक्ता विरोधी है. उन्होंने कहा कि जब से कृषि कानून लाया गया है तब से देश के किसान इसके विरोध में आंदोलन कर रहे है, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों के इस आंदोलन को विपक्षी पार्टी का आंदोलन बताकर किसानों की समस्या से मुंह फेर लिया है.

किसानों की मांग

किसानों की मांग है कि उनका धान पूरे साल मंडी में केंद्र द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए. इसके साथ ही उन्होंने कृषि बिल 2020, बिजली संशोधन बिल 2020 को निरस्त करने और 15 नवंबर से धान खरीदी करने की मांग की है. SDM ने किसानों के ज्ञापन को राष्ट्रपति तक भिजवाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि समझाइश देने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था. इसलिए उनपर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.

पढ़ें: SPECIAL: धान खरीदी में देरी से क्यों परेशान हैं छत्तीसगढ़ के किसान

पिछले साल भी धान खरीदी में देरी की वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था. इस बार किसानों के साथ-साथ विपक्ष भी नवंबर में धान खरीदी चाहता था, लेकिन सरकार ने एक दिसंबर से धान खरीदी का फैसला लिया है, जिससे अन्नदाता निराश हैं. किसान तो ये भी कह रहे हैं कि भले एक नवंबर न सही सरकार 15 नवंबर से ही धान खरीद ले चाहे भुगतान बाद में करें.

Last Updated : Nov 5, 2020, 10:09 PM IST
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