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SPECIAL: सिरपुर में स्थित है धसकुंड जलप्रपात, सुविधाओं के अभाव में पहचान खो रहा सुंदर पर्यटन स्थल

सिरपुर से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत चुहरी में बसे धसकुंड जलप्रपात उपेक्षा का शिकार है. बीते 3-4 सालों से ही यह जलप्रपात अस्तित्व में आया है. आम लोगों ने ही इस सुंदर पर्यटन स्थल को खोज निकाला है. लेकिन यहां न कई रुकने की जगह है और न ही जलपान का इंतजाम करने की कोई व्यवस्था है. ETV भारत आपको इस जलप्रपात के सैर कराने ले जा रहा है.

dhaskund jalprapat mahasamund
सिरपुर में स्थित है धसकुंड जलप्रपात
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Published : Oct 19, 2020, 9:01 PM IST

महासमुंद: ऐतिहासिक और पुरातात्विक नगरी सिरपुर से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धसकुंड जलप्रपात लोगों के लिए पर्यटन का स्थल बन चुका है. इस जलप्रपात का मनोरम दृश्य लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. सिरपुर अपने वैभवशाली इतिहास के कारण राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है. पुरातत्विक नगरी सिरपुर के पास इस खूबसूरत जलप्रपात के होने से यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. लोग ज्यादा से ज्यादा यहां पहुंचेंगे. लेकिन यह मनमोहक जलप्रपात लोगों की पहुंच से अभी दूर है. यहां जाने के लिए न अच्छी सड़क है और न ही वहां जाने के लिए कोई माध्यम है. ETV भारत आपको इस जलप्रपात के सैर कराने ले जा रहा है.

सिरपुर में स्थित है धसकुंड जलप्रपात

सिरपुर से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत चुहरी में बसे धसकुंड जलप्रपात उपेक्षा का शिकार है. बीते 3-4 सालों से ही यह जलप्रपात अस्तित्व में आया है. आम लोगों ने ही इस सुंदर पर्यटन स्थल को खोज निकाला है. लेकिन यहां न कई रुकने की जगह है और न ही जलपान का इंतजाम करने की कोई व्यवस्था है. इस पहुंचविहिन क्षेत्र में लोग डेढ़ से दो किलोमीटर पैदल चलकर जंगलों के पीछे छिपे झरने को देखने पहुंचते हैं. इस जलप्रपात की ऊंचाई करीब 100 फीट है. लोगों को यह झरना रोमांचित कर देता है.

डैम बनाने की तैयारी कर रहा है वन विभाग

धसकुंड जलप्रपात चारों ओर हरियाली से घिरा हुआ है एक मनोरम जलप्रपात है. लोगों का कहना है कि यहां पर वैसे तो 12 महीने पानी रहता है, लेकिन बरसात में जलप्रपात अपने शबाब पर होता है. गर्मियों में धार पतली हो जाती है. पानी की आवक बनी रहे इसलिए वन विभाग भी इस पर डैम बनाने की तैयारी कर रहा है. जलप्रपात का पानी कम ना हो इसलिए विधायक ने भी इस पर बोर की मदद से पानी की आवक को बढ़ाने की कोशिश की है, जिससे सिरपुर में आने वाले पर्यटक इस जलप्रपात का आनंद ले पाएंगे और इससे पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी.

dhaskund jalprapat sirpur
चुहरी ग्राम पंचायत में स्थित है धसकुंड जलप्रपात

महासमुंद विधायक जलप्रपात को पहचान दिलाने कर रहे प्रयास

सिरपुर आने के बाद इस जलप्रपात में लोग प्रकृति का आनंद लेने के लिए यहां जाते हैं. स्थानीय विधायक विनोद चंद्रकार बीते कुछ दिनों से जलप्रपात के विकास को लेकर काम कर रहे हैं. जलप्रपात को सिरपुर से जोड़ते हुए इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है, ताकि विदेशी पर्यटक भी ज्यादा से ज्यादा यहां आने के लिए आकर्षित हों.

धसकुंड जलप्रपात बना पिकनिक स्पॉट

धसकुंड जलप्रपात में लोगों की भीड़ लगातार दिख रही है. छुट्टी के दिन और संडे को यहां पर लोगों की बहुत ज्यादा भीड़ रहती है. सुविधाएं कम होने के बावजूद लोग इन वादियों के बीच पहुंचकर जलप्रपात के मनोरम दृश्य का आनंद ले रहे हैं. लोग यहां आकर वक्त बिताते हैं. धसकुंड जलप्रपात एक पिकनिक स्पॉट के रूप में उभर रहा है.

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धसकुंड जलप्रपात बना पिकनीक स्पॉट

पढ़ें- SPECIAL: ऐसा क्या है कि इस जमीन पर पैर रखते ही उछलने लगते हैं लोग

जलप्रपात पर घूमने पहुंचे लोगों ने ETV भारत को बताया कि धसकुंड जलप्रपात बेहद ही सुंदर पर्यटन स्थल है, लेकिन यहां सुविधाओं की कमी है. कई लोग यहां चाहकर भी नहीं पहुंच पाते क्योंकि यहां आने-जाने के लिए अच्छी सड़क नहीं है. पथरीले रास्तों को पारकर यहां पहुंचा जाता है. यहां आस-पास न ही कोई खाने-पीने की दुकान है और न ही कोई व्यवस्थित रूकने की जगह या शेड.

पढ़ें- SPECIAL: केशकाल वनमंडल में ट्रैकिंग, सैकड़ों सैलानी हुए शामिल

लोगों का कहना है कि यहां अगर थोड़ी सुविधा बढ़ा दी जाए, तो यह सिरपुर के नए पर्यटन स्थल के रूप में निखरेगा. पूरे प्रदेश के साथ ही देश-विदेश से लोग यहां आएंगे.

हजारों साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों का केंद्र है सिरपुर

सिरपुर पुरातत्विक नगरी है. हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता जमीन के अंदर दबी हुई मिली है. पुरातात्विक विभाग को खुदाई से सिरपुर में जगह-जगह पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं. जिसमें प्रमुख रुप से बौद्ध विहार, व्यापार केंद्र, सुव्यवस्थित बाजार और सैकड़ों मंदिरों और मूर्तियों के भग्नावशेष मिले हैं.

mahasamund dhaskund waterfall
100 फीट ऊंचा है धसकुंड जलप्रपात

लाल ईटों से बना लक्ष्मण मंदिर है सिरपुर का मुकुट

पांडू वंश के राजा महाशिव गुप्त बाला अर्जुन द्वारा निर्मित लाल ईटों से बने लक्ष्मण मंदिर के साथ ही कई अन्य अवशेष मिले हैं, जो सिरपुर की स्वर्णिम इतिहास को दिखाते हैं. इतिहासकारों की मानें तो शिवपुर प्राचीन काल में बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था, जहां पर बौद्ध भिक्षुओं को शिक्षा-दीक्षा दी जाती थी. इसके साथ ही नदी के किनारे स्थित होने के कारण यहां पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार के प्रमाण भी मिले हैं. इस कारण सिरपुर पर्यटन के लिए एक विशेष दर्जा रखता है.

महासमुंद: ऐतिहासिक और पुरातात्विक नगरी सिरपुर से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धसकुंड जलप्रपात लोगों के लिए पर्यटन का स्थल बन चुका है. इस जलप्रपात का मनोरम दृश्य लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. सिरपुर अपने वैभवशाली इतिहास के कारण राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है. पुरातत्विक नगरी सिरपुर के पास इस खूबसूरत जलप्रपात के होने से यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. लोग ज्यादा से ज्यादा यहां पहुंचेंगे. लेकिन यह मनमोहक जलप्रपात लोगों की पहुंच से अभी दूर है. यहां जाने के लिए न अच्छी सड़क है और न ही वहां जाने के लिए कोई माध्यम है. ETV भारत आपको इस जलप्रपात के सैर कराने ले जा रहा है.

सिरपुर में स्थित है धसकुंड जलप्रपात

सिरपुर से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत चुहरी में बसे धसकुंड जलप्रपात उपेक्षा का शिकार है. बीते 3-4 सालों से ही यह जलप्रपात अस्तित्व में आया है. आम लोगों ने ही इस सुंदर पर्यटन स्थल को खोज निकाला है. लेकिन यहां न कई रुकने की जगह है और न ही जलपान का इंतजाम करने की कोई व्यवस्था है. इस पहुंचविहिन क्षेत्र में लोग डेढ़ से दो किलोमीटर पैदल चलकर जंगलों के पीछे छिपे झरने को देखने पहुंचते हैं. इस जलप्रपात की ऊंचाई करीब 100 फीट है. लोगों को यह झरना रोमांचित कर देता है.

डैम बनाने की तैयारी कर रहा है वन विभाग

धसकुंड जलप्रपात चारों ओर हरियाली से घिरा हुआ है एक मनोरम जलप्रपात है. लोगों का कहना है कि यहां पर वैसे तो 12 महीने पानी रहता है, लेकिन बरसात में जलप्रपात अपने शबाब पर होता है. गर्मियों में धार पतली हो जाती है. पानी की आवक बनी रहे इसलिए वन विभाग भी इस पर डैम बनाने की तैयारी कर रहा है. जलप्रपात का पानी कम ना हो इसलिए विधायक ने भी इस पर बोर की मदद से पानी की आवक को बढ़ाने की कोशिश की है, जिससे सिरपुर में आने वाले पर्यटक इस जलप्रपात का आनंद ले पाएंगे और इससे पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी.

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चुहरी ग्राम पंचायत में स्थित है धसकुंड जलप्रपात

महासमुंद विधायक जलप्रपात को पहचान दिलाने कर रहे प्रयास

सिरपुर आने के बाद इस जलप्रपात में लोग प्रकृति का आनंद लेने के लिए यहां जाते हैं. स्थानीय विधायक विनोद चंद्रकार बीते कुछ दिनों से जलप्रपात के विकास को लेकर काम कर रहे हैं. जलप्रपात को सिरपुर से जोड़ते हुए इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है, ताकि विदेशी पर्यटक भी ज्यादा से ज्यादा यहां आने के लिए आकर्षित हों.

धसकुंड जलप्रपात बना पिकनिक स्पॉट

धसकुंड जलप्रपात में लोगों की भीड़ लगातार दिख रही है. छुट्टी के दिन और संडे को यहां पर लोगों की बहुत ज्यादा भीड़ रहती है. सुविधाएं कम होने के बावजूद लोग इन वादियों के बीच पहुंचकर जलप्रपात के मनोरम दृश्य का आनंद ले रहे हैं. लोग यहां आकर वक्त बिताते हैं. धसकुंड जलप्रपात एक पिकनिक स्पॉट के रूप में उभर रहा है.

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धसकुंड जलप्रपात बना पिकनीक स्पॉट

पढ़ें- SPECIAL: ऐसा क्या है कि इस जमीन पर पैर रखते ही उछलने लगते हैं लोग

जलप्रपात पर घूमने पहुंचे लोगों ने ETV भारत को बताया कि धसकुंड जलप्रपात बेहद ही सुंदर पर्यटन स्थल है, लेकिन यहां सुविधाओं की कमी है. कई लोग यहां चाहकर भी नहीं पहुंच पाते क्योंकि यहां आने-जाने के लिए अच्छी सड़क नहीं है. पथरीले रास्तों को पारकर यहां पहुंचा जाता है. यहां आस-पास न ही कोई खाने-पीने की दुकान है और न ही कोई व्यवस्थित रूकने की जगह या शेड.

पढ़ें- SPECIAL: केशकाल वनमंडल में ट्रैकिंग, सैकड़ों सैलानी हुए शामिल

लोगों का कहना है कि यहां अगर थोड़ी सुविधा बढ़ा दी जाए, तो यह सिरपुर के नए पर्यटन स्थल के रूप में निखरेगा. पूरे प्रदेश के साथ ही देश-विदेश से लोग यहां आएंगे.

हजारों साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों का केंद्र है सिरपुर

सिरपुर पुरातत्विक नगरी है. हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता जमीन के अंदर दबी हुई मिली है. पुरातात्विक विभाग को खुदाई से सिरपुर में जगह-जगह पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं. जिसमें प्रमुख रुप से बौद्ध विहार, व्यापार केंद्र, सुव्यवस्थित बाजार और सैकड़ों मंदिरों और मूर्तियों के भग्नावशेष मिले हैं.

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100 फीट ऊंचा है धसकुंड जलप्रपात

लाल ईटों से बना लक्ष्मण मंदिर है सिरपुर का मुकुट

पांडू वंश के राजा महाशिव गुप्त बाला अर्जुन द्वारा निर्मित लाल ईटों से बने लक्ष्मण मंदिर के साथ ही कई अन्य अवशेष मिले हैं, जो सिरपुर की स्वर्णिम इतिहास को दिखाते हैं. इतिहासकारों की मानें तो शिवपुर प्राचीन काल में बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था, जहां पर बौद्ध भिक्षुओं को शिक्षा-दीक्षा दी जाती थी. इसके साथ ही नदी के किनारे स्थित होने के कारण यहां पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार के प्रमाण भी मिले हैं. इस कारण सिरपुर पर्यटन के लिए एक विशेष दर्जा रखता है.

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