महासमुंद: भले ही शहर और गांव का वर्गीकरण कर दिया गया हो, लेकिन चाय की एक टपरी ही है जो शहर और गांव दोनों को पास ले आती है. जहां चाय की चुस्कियों के साथ लोग अपनी सारी परेशानियां भूल जाते हैं. कभी इन चाय की महक से भरी टपरियों में लोगों का जमावड़ा लगा होता था, लेकिन कोरोना काल ने इनकी रौनक भी छीन ली और चाय की चुस्कियों में भी विराम लग गया. ETV भारत ने महासमुंद के चाय बेचने वाले दुकानदारों के पास जाकर उनकी आपबीती सुनी और उनका हाल जाना.
जहां पहले लोगों की सुबह की शुरुआत इन चाय की दुकानों से होती थी, वहीं अब कोरोना की वजह से लोग यहां आने से डरने लगे हैं. दिनभर में दुकानदार सैकड़ों कप चाय बेच लिया करते थे, लेकिन अब मुश्किल से 4-5 लोग ही चाय पीने आ रहे हैं. चाय बेचने वालों की आर्थिक स्थिति पर भी कोरोना का असर देखने को मिला.
बिगड़ी आर्थिक स्थिति
करीब ढाई महीने के लॉकडाउन में सभी चाय दुकानें बंद रहीं. अनलॉक 1.0 में जब चाय दुकानें खुलने लगी, तो यहां गिने-चुने लोग ही देखने को मिले. चाय दुकान सबसे कम लागत का व्यापार है और इस व्यापार से दुकानदारों को मुनाफा भी अच्छा मिल जाता है. चाय दुकानदार ने बताया कि कोरोना काल से पहले अच्छी बिक्री हो जाया करती थी, लेकिन अब अगर 30-40 कप चाय की बिक्री भी दिनभर में हो जाए तो बहुत है. दुकानदार का कहना है कि अब कमाई उतनी नहीं हो पाती है. इसकी वजह से घर चलाने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
सब्जी बेचने को मजबूर हुए चाय दुकानदार
छोटी दुकानों की बात करें तो वह दिन भर में 200 से 300 कप चाय बेच लेते थे. जबकि शहर की मशहूर चाय दुकानों में लगभग 1000 कप से भी ज्यादा चाय की बिक्री हो जाया करती थी. हालात ये हैं कि अब चाय बेचने वाले चाय के साथ-साथ सब्जी बेचने को भी मजबूर हैं.
पहले की तरह नहीं रहती भीड़
प्रदेश में मानसून की शुरुआत हो चुकी है और ऐसे में चाय की जरूरत ज्यादा महसूस होती है. लोग अपने दफ्तरों से निकलकर चाय की दुकानों में पहुंचते हैं और चाय की चुस्कियों के साथ बारिश का मजा लेते हैं. वहीं चाय दुकान में बैठे लोगों से बात करने पर उन्होंने बताया कि चाय की दुकानें तो खुल गईं हैं, लेकिन भीड़ अब पहली जैसी नहीं रही. लोग कोरोना संक्रमण के डर से टपरियों और दुकानों मे चाय पीने नहीं पहुंच रहे हैं. इसके साथ ही लोगों ने बताया कि टी स्टॉल पर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. वहीं सभी तरह कि सावधानियां बरती जा रही है.
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कोरोना संकट ने पूरी दुनिया का चेहरा ही बदल डाला. आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं होगा, जो इस महामारी की चपेट में न आया हो. लाखों लोगों से उनका रोजगार छीन गया, तो कई लोगों की भूख से मौत हो गई. कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन ने प्रदेश में भी हाहाकार मचा डाला. इस बीच लोगों की आर्थिक स्थित खराब होती चली गई. छोटे दुकानदारों को इससे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. उम्मीद है कि जल्द ही सब ठीक होगा और चाय की दुकानें फिर से गुलजार होंगी.