महासमुंद : मेडिकल कालेज को मान्यता मिलने के बाद राजनीतिक पार्टियां श्रेय लेने में जुट गईं (Competition to take credit for Mahasamund Medical College ) हैं. जहां भाजपा इसे केन्द्र सरकार की उपलब्धि बताते हुए श्रेय लेने में जुटी है. तो कांग्रेस के जनप्रतिनिधि इसे राज्य की उपलब्धि बताते हुए खुद की कामयाबी बता रहे हैं. आप को बता दे कि महासमुंद जिला केन्द्र सरकार की सूची में आकांक्षी जिलो में शामिल है. इसी कड़ी में केन्द्र सरकार ने वर्ष 2020 में छत्तीसगढ़ प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने के लिए महासमुंद, कोरबा और कांकेर जिले में मेडिकल कालेज खोले जाने की घोषणा की और प्रत्येक मेडिकल कालेज को 50-50 करोड़ का बजट स्वीकृत किया. उसके बाद राज्य सरकार के आदेश के बाद जिला चिकित्सालय महासमुंद ( Mahasamund News) को शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध कर दिया (NMC recognition to Mahasamund Medical College) गया.
कहां बनेगा कॉलेज : मेडिकल कालेज के लिए जिला प्रशासन ने लगभग 75 एकड़ भूमि आरक्षित कर तैयारियाँ शुरु कर दी गई हैं. राज्य सरकार ने चिकित्सकों की नियुक्ति की. उसके बाद एनएमसी की टीम ने निरीक्षण के बाद कॉलेज को मान्यता नहीं दी. इसके बाद जब दोबारा टीम आई तो एक बार फिर कमियां पाई गई. इसके बाद प्रबंधन ने डेढ़ साल तक कमियों को दूर किया. तीसरी बार एनएमसी की टीम ने दौरा किया और कॉलेज को 100 सीटों की मान्यता दी.
ये भी पढ़ें- सरकारी अस्पताल में दवाईयों का टोटा, गरीब महंगी दवा खरीदने को मजबूर
कब से शुरु होगी पढ़ाई : इस वर्ष 2022-23 से मेडिकल कालेज मे पढ़ाई शुरु हो जायेगी. इतनी बड़ी सौगात जिलेवासियों को मिलने के बाद भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में श्रेय लेने की राजनीति शुरु हो गयी है. इसी कड़ी में महासमुंद लोक सभा के भाजपा सांसद चुन्नीलाल साहू ने कहा कि मेडिकल कालेज की सौगात का श्रेय प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को जाता है. वहीं कांग्रेस के विधायक और संसदीय सचिव विनोद चन्द्राकर ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री को देते हुए भाजपा के जनप्रतिनिधियों को जमकर खरी खोटी सुनाई.