महासमुंद: छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारी राज्य की भूपेश सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी में हैं. बता दें कर्मचारियों की 14 मांगे हैं. इन्हीं मागाें को लेकर कर्मचारी सरकार से नाराज हो गए हैं. आंदोलन के लिए 3 चरण निर्धारित की गई हैं.
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पहले चरण में मंगलवार को कर्मचारियों ने स्थानीय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर से मशाल रैली निकाली. फेडरेशन ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को 14 सूत्री मांगों का एक ज्ञापन सौंपा है. मांगों को जल्द-जल्द पूरा किए जाने की बात कही गई है.
आगे की रणनीति तैयार
कर्मचारियों ने बताया कि आंदोलन को रोकने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. फिलहाल सरकार और फेडरेशन के बीच चर्चा का दौर चल रहा है. लेकिन सरकार का कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील रवैया है. जिसके कारण आंदोलन करना पड़ रहा है. पहले चरण में प्रथम चरण में केवल सरकार का ध्यान खीचा गया है. दूसरे चरण में 11 दिसंबर को कर्मचारी-अधिकारी अपने जिले में धरना देंगे साथ की वादा निभाओ रैली आयोजित करेंगे. तीसरे चरण में 19 दिसंबर को राजधानी में जाकर एक भव्य रैली की जाएगी. जिसमें प्रदेश भर से कर्मचारी हिस्सा लेगें.
अधिकारी एवं कर्मचारी फेडरेशन की मुख्य मांगें कुछ इस प्रकार हैं
- वेतन विसंगति को दूर किया जाए और नियमितीकरण की मांग पूरी हो.
- प्रदेश के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को जुलाई 2019 का 5% एवं जनवरी 2020 का कुल 9% महंगाई भत्ता मिले
- लंबित पदोन्नति को लागू किया जाए.
- कोरोना काल में सेवा कर रहे मृतक अधिकारी कर्मचारियों को राजस्थान सरकार की तर्ज पर 50 लाख रुपये का बीमा मिले
- सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी एंव सहायक शिक्षक पद पर नियुक्ति की जाए.
- तृतीय वेतनमान का आदेश जारी किया जाए.
- राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग
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मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधिमंडल के टेकराम सेन का कहना है कि शासन हमारी मांगे पूरी करें जो वादा किया उसे पूरा करे. छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष ओम नारायण शर्मा ने रैली को संबोधित कर आगामी आंदोलन की जानकारी दी.