महासमुंद : छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सर्व आदिवासी समाज ने दोनों राष्ट्रीय दलों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अपने अधिकारों के लिए सत्ता में काबिज होने की रणनीति सर्व आदिवासी समाज ने बनाई है. सर्व आदिवासी समाज इस बार चुनाव में 50 सीटों पर अपने उम्मीद्वार खड़ी करेगी.साथ ही उन सभी बड़े नेताओं का बहिष्कार करेगी जो बड़े राजनीतिक पदों पर बैठे हैं,लेकिन समाज का प्रतिनिधित्व करने के मामले में पीछे रहे.
सरकार नहीं सुनती आदिवासियों की बात: अरविंद नेताम के मुताबिक '' नक्सल समस्या, विकास कार्यों के नाम पर आदिवासियों का विस्थापन, जमीन के मामले एवं अपने 23 सूत्रीय मांगों को लेकर लगातार सर्व आदिवासी समाज ने आंदोलन, चक्का जाम, विधानसभा घेराव किया. लेकिन पूर्व की सरकार और वर्तमान की सरकार आदिवासियों के किसी मुद्दे पर ना बात करना चाहती है और ना ही उनको दिए गए कानूनी अधिकार को देना चाहती हैं.''
अरविंद नेताम की माने तो छत्तीसगढ़ बनने के बाद से प्रदेश में आदिवासियों के लिए बने हुए कानून उनके संवैधानिक अधिकार का लगातार हनन हो रहा है. जिसके लिए सर्व आदिवासी समाज लगातार निवेदन-आवेदन ज्ञापन देते रहे हैं. 2001 में 32 प्रतिशत आरक्षण मिलना था, जो नहीं मिला,परिसीमन में आदिवासियों की 5 आरक्षित सीटें हटा दी गई. पेसा कानून का नियम बहुत लंबी प्रतीक्षा के बाद बना. लेकिन उस नियम में ग्राम सभा का अधिकार खत्म कर दिया गया.
2023 में सर्व आदिवासी समाज दिखाएगी दम : अब सर्व आदिवासी समाज ने अपनी आवाज विधानसभा तक पहुंचाने की बात कही है. समाज ने अपने जनमत का उपयोग अपने अधिकारों के लिए करने की बात कही है. जिसके लिए 2023 का चुनाव आदिवासी समाज लड़ेगी.