महासमुंद: जिला मुख्यालय की सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन खुले आकाश में और जर्जर भवनों में बनाया जा रहा है. यहां किसी भी प्रकार का शेड नहीं है. जिसकी वजह से बच्चे गंदगी में भोजन करने को मदबूर हैं. स्कूलों में मध्यान भोजन की शुरुआत बच्चों को पौष्टिक और सही भोजन दिलाने के लिए की गई थी. जो महासमुंद जिला मुख्यालय में दम तोड़ती नजर आ रही है.
आपको बता दें कि महासमुंद शहर में 2011 में किचन शेड के लिए पैसा आया था. जिसकी कार्य एजेंसी महासमुंद नगर पालिका थी. शहर में उस समय 26 स्कूलों को किचन सेड की जरूरत थी. जिसमें प्राथमिक स्कूलों में 16 और मिडिल स्कूलों में 10 थी. एक किचन शेड के लिए लगभग 60 हजार रुपये शासन से आए हुए थे. जिसको नगरपालिका ने दूसरे मद में खर्च कर दिया और किचन शेड नहीं बन पाया. जिसकी वजह से बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है.
गंदगी के बीच भोजन करने को मजबूर बच्चे
2011 से लेकर 2020 तक बच्चे खुले आसमान, जर्जर भवन और बरसात में बने भोजन करने को मजबूर हैं. इन 9 सालों में किचन शेड तो नहीं बन सके, पर स्कूलों की संख्या 22 हो गई. वहीं अधिकारी का कहना है कि, 'नगर पालिका कार्य एजेंसी थी उन्होंने पैसों को दूसरे मद में खर्च कर दिए, जिसके बाद पूर्व कलेक्टर ने संज्ञान लेते हुए उस मद के पैसे को वापस नगर पालिका से मंगा लिया है. कलेक्टर से हम बात कर जल्द ही इस सत्र में किचन शेड तैयार करवा लेंगे.'