ETV Bharat / state

SPECIAL: कोरोना काल में मंदा हुआ DRY CLEANERS का धंधा, दुकान का किराया देना भी हुआ मुश्किल

कोरोना संक्रमण काल में धोबी और ड्राई क्लीनर्स भी आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं. मार्च से लेकर अब तक महामारी के इस दौर में उन्हें कोई काम नहीं मिला है. कोरोना के डर से लोग घरों में ही अपने कपड़े धो रहे हैं. लोगों में डर है कि कपड़ों से भी कोरोना संक्रमण फैल सकता है. देखिए ETV भारत की रिपोर्ट.

drycleaners problems in mahasamund
कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे ड्राई क्लीनर
author img

By

Published : Sep 21, 2020, 9:40 AM IST

Updated : Sep 21, 2020, 10:09 AM IST

महासमुंद: कोरोना संक्रमण का काला साया हर क्षेत्र पर पड़ा है. छोटे से लेकर बड़े कारोबार और व्यवसायी इसकी चपेट में आ चुके हैं. महासमुंद में धोबी और ड्राई क्लीनर्स की बात करें, तो कोरोना ने इनका भी धंधा मंदा कर दिया है. जहां लोग धोबी और ड्राई क्लीनर के पास अपने कपड़ों को साफ और सुंदर रखने के लिए देते थे, वहीं अब लोगों में कोरोना संक्रमण को लेकर डर है. मार्च से लेकर अब तक की अगर बात करें, तो ड्राई क्लीनिंग और कपड़े धोने का काम बंद पड़ा है, जिससे उन्हें आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.

मंदा हुआ DRY CLEANERS का धंधा

कोरोना के डर से लोग घरों में ही अपने कपड़े धो रहे हैं. लोगों में डर है कि कपड़ों से भी कोरोना संक्रमण फैल सकता है. यही वजह है कि कपड़ों को बाहर धोने नहीं दिया जा रहा है. इस संबंध में ड्राईक्लीन शॉप के संचालक का कहना है कि वे कपड़ों को साफ करने के लिए पूरी सावधानी बरत रहे हैं. शासन-प्रशासन की गाइडलाइन को भी फॉलो कर रहे हैं.

drycleaners problems in mahasamund
कोरोनाकाल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे ड्राई क्लिनर

आर्थिक मंदी से जूझ रहे ड्राई क्लीनर्स संचालक

ड्राई क्लीनर्स संचालकों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौर से पहले उनकी आमदनी अच्छी होती थी, लेकिन बीमारी ने उनकी रोजी-रोटी का साधन भी बंद करने के कगार पर ला दिया. वे कहते हैं कि सभी तीज-त्योहार निकल गए, उनके काम करने का सीजन भी निकल गया. इतने महीने बीत गए, उन्हें दुकान के साथ ही घर का भी किराया जमा करने में दिक्कत हो रही है. अब उनके सामने परिवार पालने की चिंता आ खड़ी हुई है.

स्थानीय लोगों से बात करने पर उन्होंने बताया कि कोरोना का डर तो सब में है, लेकिन जरूरत पड़ने पर कपड़े ड्राईक्लीन करने के लिए देने ही पड़ते हैं. ये एक तरह की मजबूरी भी है, लेकिन अब दुकानदार और धोबी भी अपने काम में पूरी सावधानियां बरत रहे हैं, जिससे डर की कोई बात नहीं है. लोग धीरे-धीरे ड्राईक्लीन की दुकान में आने लगे हैं.

drycleaners problems in mahasamund
ड्राई क्लिन शॉप में संचालक बरत रहे सावधानी

पढ़ें- SPECIAL : शेल्टर होम में नहीं मिली जगह, आसमान-जमीन के बीच बना लिया 'आशियाना'

इस संबंध में डॉक्टर आरके परदल का कहना है कि कोरोना काल में अगर घर पर कपड़े धोए जा रहे हैं, तो यह ज्यादा बेहतर है. लेकिन अगर बाहर कपड़े धुलवाने हैं, तो इसके लिए कई तरह की सावधानियां बरतनी होंगी.

  • कपड़े धोने के लिए ऐसी मशीनों का उपयोग करना चाहिए, जिनमें पानी का तापमान 70 डिग्री से ऊपर रहे, ताकि अगर किसी कपड़े में कोरोना वायरस हो तो वह नष्ट हो जाए.
  • अगर कपड़े पहनने के एक-दो दिन बाद धोने दिए जाते हैं, तो उनमें वायरस होने का प्रभाव कम हो जाता है.
  • कपड़ों को इस्त्री करने से भी वायरस नष्ट हो जाते हैं.

महासमुंद: कोरोना संक्रमण का काला साया हर क्षेत्र पर पड़ा है. छोटे से लेकर बड़े कारोबार और व्यवसायी इसकी चपेट में आ चुके हैं. महासमुंद में धोबी और ड्राई क्लीनर्स की बात करें, तो कोरोना ने इनका भी धंधा मंदा कर दिया है. जहां लोग धोबी और ड्राई क्लीनर के पास अपने कपड़ों को साफ और सुंदर रखने के लिए देते थे, वहीं अब लोगों में कोरोना संक्रमण को लेकर डर है. मार्च से लेकर अब तक की अगर बात करें, तो ड्राई क्लीनिंग और कपड़े धोने का काम बंद पड़ा है, जिससे उन्हें आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.

मंदा हुआ DRY CLEANERS का धंधा

कोरोना के डर से लोग घरों में ही अपने कपड़े धो रहे हैं. लोगों में डर है कि कपड़ों से भी कोरोना संक्रमण फैल सकता है. यही वजह है कि कपड़ों को बाहर धोने नहीं दिया जा रहा है. इस संबंध में ड्राईक्लीन शॉप के संचालक का कहना है कि वे कपड़ों को साफ करने के लिए पूरी सावधानी बरत रहे हैं. शासन-प्रशासन की गाइडलाइन को भी फॉलो कर रहे हैं.

drycleaners problems in mahasamund
कोरोनाकाल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे ड्राई क्लिनर

आर्थिक मंदी से जूझ रहे ड्राई क्लीनर्स संचालक

ड्राई क्लीनर्स संचालकों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौर से पहले उनकी आमदनी अच्छी होती थी, लेकिन बीमारी ने उनकी रोजी-रोटी का साधन भी बंद करने के कगार पर ला दिया. वे कहते हैं कि सभी तीज-त्योहार निकल गए, उनके काम करने का सीजन भी निकल गया. इतने महीने बीत गए, उन्हें दुकान के साथ ही घर का भी किराया जमा करने में दिक्कत हो रही है. अब उनके सामने परिवार पालने की चिंता आ खड़ी हुई है.

स्थानीय लोगों से बात करने पर उन्होंने बताया कि कोरोना का डर तो सब में है, लेकिन जरूरत पड़ने पर कपड़े ड्राईक्लीन करने के लिए देने ही पड़ते हैं. ये एक तरह की मजबूरी भी है, लेकिन अब दुकानदार और धोबी भी अपने काम में पूरी सावधानियां बरत रहे हैं, जिससे डर की कोई बात नहीं है. लोग धीरे-धीरे ड्राईक्लीन की दुकान में आने लगे हैं.

drycleaners problems in mahasamund
ड्राई क्लिन शॉप में संचालक बरत रहे सावधानी

पढ़ें- SPECIAL : शेल्टर होम में नहीं मिली जगह, आसमान-जमीन के बीच बना लिया 'आशियाना'

इस संबंध में डॉक्टर आरके परदल का कहना है कि कोरोना काल में अगर घर पर कपड़े धोए जा रहे हैं, तो यह ज्यादा बेहतर है. लेकिन अगर बाहर कपड़े धुलवाने हैं, तो इसके लिए कई तरह की सावधानियां बरतनी होंगी.

  • कपड़े धोने के लिए ऐसी मशीनों का उपयोग करना चाहिए, जिनमें पानी का तापमान 70 डिग्री से ऊपर रहे, ताकि अगर किसी कपड़े में कोरोना वायरस हो तो वह नष्ट हो जाए.
  • अगर कपड़े पहनने के एक-दो दिन बाद धोने दिए जाते हैं, तो उनमें वायरस होने का प्रभाव कम हो जाता है.
  • कपड़ों को इस्त्री करने से भी वायरस नष्ट हो जाते हैं.
Last Updated : Sep 21, 2020, 10:09 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.