कोरिया: छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने मवेशियों के संरक्षण और फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए रोका-छेका अभियान की शुरुआत की थी. लेकिन कई इलाकों में अभियान पूरी तरह फेल हो गया है. इसका एक उदाहरण बैकुंठपुर नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 8 से सामने आया है. यहां की महिलाओं ने आवारा मवेशियों के खिलाफ रात में मोर्चा खोल दिया. महिलाएं मवेशियों के कारण हो रही फसल की बर्बादी से परेशान हैं.
महिलाओं ने गुरुवार की रात हाथों में लाठी लेकर लगभग 5 किलोमीटर तक मवेशियों को खदेड़ा. आक्रोशित महिलाओं कहना हैं कि आवारा मवेशी उनके खेतों में घुसकर फसल बर्बाद कर रहे हैं. आयुर्वेद ग्राम चेर की लगभग 50 से ज्यादा महिलाओं ने मवेशियों को जिला मुख्यालय तक खदेड़ा है.
पढ़ें: SPECIAL: छात्रों के लिए लाउस्पीकर बना वरदान, बच्चों को बिना नेटवर्क मिल रहा ज्ञान
प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई
महिलाओं ने बताया कि प्रशासन को आवारा मवेशियों से होने वाली समस्या से कई बार अवगत कराया गया है. लेकिन इस ओर कोई पहल नहीं की जा रही है. ऐसे में मजबूर महिलाओं ने मवेशियों को करीब 5 किलोमीटर खदेड़ा ताकि मवेशी खेत न पहुंच सकें. महिलाओं ने बताया कि कोरोना काल के इस दौर में वे जैसे-तैसे खेती कर पा रहे हैं. मवेशी समय-समय पर आकर उनके मेहनत पर पानी फेर रहे हैं. उनके खेतों मे फसल को बर्बाद कर रहे हैं. इस दौरान महिलाओं ने अपील भी की हैं कि जो मवेशी पालने और अपने पास रखने में सक्षम नही हैं वे लोग मवेशी न पालें.
गौठान पर उठे सवाल
सरकार ने पशुधन संरक्षण के लिए गौठान बनाए हैं. रोका छेका के जरिए भी अपील की गई थी कि मवेशियों को खुले में न छोड़ा जाए. गौठानों में मवेशियों को रखा जाए. सरकार के अभियान और योजना दोनो पर सवाल खड़े हो रहे हैं. गौरक्षा वाहिनी के अध्यक्ष अनुराग दुबे ने कहा कि गौठान पूरी तैयार नहीं हैं.