कोरिया: जिले के भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र में सैकड़ों ग्रामीण किसान वन अधिकार के तहत मिली भूमि का सदुपयोग कर रहे है. किसान फलदार पौधे लगाकर आने वाले समय में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हो रहे हैं. एकता परिषद के जिला संयोजक राजेन्द्र चंदेल ने बताया कि वन अधिकार कानून लागू होने से पूर्व वन विभाग की खाली जमीन पर काबिज ग्रामीण किसानों को हमेशा जमीन से बेदखल होने का डर बना रहता था.
![villagers planted Fruit plant](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-03-kbs-vanadhikarsemilibhumi-photo-cgc10075_30092020194154_3009f_1601475114_156.jpg)
जिससे ग्रामीण किसान संबंधित जमीनों का अस्थाई तौर पर इस्तेमाल करते थे, और उस जमीन पर भय से अल्प कालीन फसलें ही लगाया करते थे. लेकिन जब से सरकार के निर्देश पर प्रशासन ने किसानों को वन अधिकार के तहत वर्षों से काबिज संबंधित जमीनों का पट्टा दिया है. तब से ग्रामीण इन जमीनों को रोजी-रोटी का जरिया बनाने में जुट गए हैं. इसी कड़ी में कोरिया जिले के भरतपुर सोनहत क्षेत्र मे सैकड़ों ग्रामीण किसानों ने अपनी जमीनों पर फलदार पौधों का रोपण किया है, ताकि आगे चलकर वे इनसे आय प्राप्त कर अपना और अपने परिवार का पोषण कर आत्मनिर्भर बन सकें.
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वन अधिकार अधिनियम -2005 के तहत कोरिया जिले के विकासखण्ड भरतपुर में बड़ी संख्या में आदिवासियों और अन्य समुदाय के लोगों को वनाधिकार पट्टे दिए गए हैं. पूर्व में यहां के ग्रामीण गांव से लगी हुई वन भूमि पर दलहन तिलहन जैसी फसलों की छोटी-मोटी खेती किया करते थे. इससे उन्हें थोड़ी बहुत आय तो हो जाती थी, पर पूरी तरह से अपना और अपने परिजनों का भरण पोषण नहीं कर पा रहे थे. भरतपुर ब्लॉक के ग्राम तरतोरा, लाखनटोला, कन्नौज एवं भुमका जैसे अनेक गांव ऐसे हैं, जहां के सैकड़ों ग्रामीण वन अधिकार के जरिए मिली जमीनों पर अब फलदार पौधों का रोपण कर रहे हैं. ऐसे ग्रामीणों की संख्या करीब 700 के आसपास है.