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वन अधिकार से मिली भूमि पर लगाए फलदार पौधे, आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर किसान - कोरिया न्यूज

ग्रामीण किसान वन अधिकार के तहत मिली भूमि का सदुपयोग कर रहे है. वे अपनी भूमि पर फलदार पौधे लगाकर आने वाले समय में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हो रहे हैं.

Fruit plant in Farm
आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर किसान
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Published : Oct 1, 2020, 4:02 AM IST

कोरिया: जिले के भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र में सैकड़ों ग्रामीण किसान वन अधिकार के तहत मिली भूमि का सदुपयोग कर रहे है. किसान फलदार पौधे लगाकर आने वाले समय में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हो रहे हैं. एकता परिषद के जिला संयोजक राजेन्द्र चंदेल ने बताया कि वन अधिकार कानून लागू होने से पूर्व वन विभाग की खाली जमीन पर काबिज ग्रामीण किसानों को हमेशा जमीन से बेदखल होने का डर बना रहता था.

villagers planted Fruit plant
फलदार पौधों का रोपण

जिससे ग्रामीण किसान संबंधित जमीनों का अस्थाई तौर पर इस्तेमाल करते थे, और उस जमीन पर भय से अल्प कालीन फसलें ही लगाया करते थे. लेकिन जब से सरकार के निर्देश पर प्रशासन ने किसानों को वन अधिकार के तहत वर्षों से काबिज संबंधित जमीनों का पट्टा दिया है. तब से ग्रामीण इन जमीनों को रोजी-रोटी का जरिया बनाने में जुट गए हैं. इसी कड़ी में कोरिया जिले के भरतपुर सोनहत क्षेत्र मे सैकड़ों ग्रामीण किसानों ने अपनी जमीनों पर फलदार पौधों का रोपण किया है, ताकि आगे चलकर वे इनसे आय प्राप्त कर अपना और अपने परिवार का पोषण कर आत्मनिर्भर बन सकें.

पढ़ें-SPECIAL: बाढ़ का पानी तो चला गया, लेकिन पीछे छोड़ गया तबाही

वन अधिकार अधिनियम -2005 के तहत कोरिया जिले के विकासखण्ड भरतपुर में बड़ी संख्या में आदिवासियों और अन्य समुदाय के लोगों को वनाधिकार पट्टे दिए गए हैं. पूर्व में यहां के ग्रामीण गांव से लगी हुई वन भूमि पर दलहन तिलहन जैसी फसलों की छोटी-मोटी खेती किया करते थे. इससे उन्हें थोड़ी बहुत आय तो हो जाती थी, पर पूरी तरह से अपना और अपने परिजनों का भरण पोषण नहीं कर पा रहे थे. भरतपुर ब्लॉक के ग्राम तरतोरा, लाखनटोला, कन्नौज एवं भुमका जैसे अनेक गांव ऐसे हैं, जहां के सैकड़ों ग्रामीण वन अधिकार के जरिए मिली जमीनों पर अब फलदार पौधों का रोपण कर रहे हैं. ऐसे ग्रामीणों की संख्या करीब 700 के आसपास है.

कोरिया: जिले के भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र में सैकड़ों ग्रामीण किसान वन अधिकार के तहत मिली भूमि का सदुपयोग कर रहे है. किसान फलदार पौधे लगाकर आने वाले समय में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हो रहे हैं. एकता परिषद के जिला संयोजक राजेन्द्र चंदेल ने बताया कि वन अधिकार कानून लागू होने से पूर्व वन विभाग की खाली जमीन पर काबिज ग्रामीण किसानों को हमेशा जमीन से बेदखल होने का डर बना रहता था.

villagers planted Fruit plant
फलदार पौधों का रोपण

जिससे ग्रामीण किसान संबंधित जमीनों का अस्थाई तौर पर इस्तेमाल करते थे, और उस जमीन पर भय से अल्प कालीन फसलें ही लगाया करते थे. लेकिन जब से सरकार के निर्देश पर प्रशासन ने किसानों को वन अधिकार के तहत वर्षों से काबिज संबंधित जमीनों का पट्टा दिया है. तब से ग्रामीण इन जमीनों को रोजी-रोटी का जरिया बनाने में जुट गए हैं. इसी कड़ी में कोरिया जिले के भरतपुर सोनहत क्षेत्र मे सैकड़ों ग्रामीण किसानों ने अपनी जमीनों पर फलदार पौधों का रोपण किया है, ताकि आगे चलकर वे इनसे आय प्राप्त कर अपना और अपने परिवार का पोषण कर आत्मनिर्भर बन सकें.

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वन अधिकार अधिनियम -2005 के तहत कोरिया जिले के विकासखण्ड भरतपुर में बड़ी संख्या में आदिवासियों और अन्य समुदाय के लोगों को वनाधिकार पट्टे दिए गए हैं. पूर्व में यहां के ग्रामीण गांव से लगी हुई वन भूमि पर दलहन तिलहन जैसी फसलों की छोटी-मोटी खेती किया करते थे. इससे उन्हें थोड़ी बहुत आय तो हो जाती थी, पर पूरी तरह से अपना और अपने परिजनों का भरण पोषण नहीं कर पा रहे थे. भरतपुर ब्लॉक के ग्राम तरतोरा, लाखनटोला, कन्नौज एवं भुमका जैसे अनेक गांव ऐसे हैं, जहां के सैकड़ों ग्रामीण वन अधिकार के जरिए मिली जमीनों पर अब फलदार पौधों का रोपण कर रहे हैं. ऐसे ग्रामीणों की संख्या करीब 700 के आसपास है.

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