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बूंद-बूंद के लिए जंगल पार कर जाते हैं यहां के ग्रामीण, मिलता भी है तो नाले का पानी

जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर आदिवासी ग्राम पंचायत कछोड़ के लोग पानी की तलाश में जंगल जाते हैं और वहां से नाले में बह रहा पानी लेकर आते हैं. महिला हो, पुरुष हो या फिर बच्चा हर कोई जिंदगी गुजारने के लिए पैदल लंबी दूरी तय करता है फिर कहीं जाकर पानी नसीब होता है. यहां आदिवासी समाज के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जंगल में भटक रहे हैं.

ग्रामीण
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Published : Jun 4, 2019, 3:06 PM IST

Updated : Jun 4, 2019, 3:51 PM IST

कोरिया: प्रदेश के ग्रामीण अंचलों के लोग छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. बारिश में गांव टापू में बदल जाते हैं लोग दाने-दाने को मोहताज होने लगते हैं, ठंड में ठिठुरन जान लेती है, तो गर्मी में बूंद-बूंद के लिए जंग लड़नी होती है. यही हाल जिले के कई गांवों का है.

पानी ले जाते ग्रामीण

जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर आदिवासी ग्राम पंचायत कछोड़ के लोग पानी की तलाश में जंगल जाते हैं और वहां से नाले में बह रहा पानी लेकर आते हैं. महिला हो, पुरुष हो या फिर बच्चा हर कोई जिंदगी गुजारने के लिए पैदल लंबी दूरी तय करता है फिर कहीं जाकर पानी नसीब होता है. यहां आदिवासी समाज के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जंगल में भटक रहे हैं.

नाले का पानी लाते हैं ग्रामीण
ग्राम पंचायत कछोड़ के आश्रित ग्राम देवरा में सैंकड़ों की संख्या में आदिवासी पुरुष, महिला और बच्चे पानी की तलाश में जंगलों के बीच निकल जाते हैं और नाले से पानी लाकर अपनी जिंदगी बसर करते हैं.

जिम्मेदारों पर लगाए आरोप
यहां रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि कई साल पहले सरकार के द्वारा एक हैंडपंप लगाया गया था लेकिन आज तक उसकी रिपेयरिंग नहीं की जा सकी है. गांववालों का कहना है कि पानी की समस्या को लेकर किसी भी तरह की पहल जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने नहीं की.

ग्रामीणों को प्रशासन ने आश्वासन का झुनझुना पकड़ा दिया है. अफसर गांव में जल्द ही पानी के इंतजाम की बात कह रहे हैं.

कोरिया: प्रदेश के ग्रामीण अंचलों के लोग छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. बारिश में गांव टापू में बदल जाते हैं लोग दाने-दाने को मोहताज होने लगते हैं, ठंड में ठिठुरन जान लेती है, तो गर्मी में बूंद-बूंद के लिए जंग लड़नी होती है. यही हाल जिले के कई गांवों का है.

पानी ले जाते ग्रामीण

जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर आदिवासी ग्राम पंचायत कछोड़ के लोग पानी की तलाश में जंगल जाते हैं और वहां से नाले में बह रहा पानी लेकर आते हैं. महिला हो, पुरुष हो या फिर बच्चा हर कोई जिंदगी गुजारने के लिए पैदल लंबी दूरी तय करता है फिर कहीं जाकर पानी नसीब होता है. यहां आदिवासी समाज के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जंगल में भटक रहे हैं.

नाले का पानी लाते हैं ग्रामीण
ग्राम पंचायत कछोड़ के आश्रित ग्राम देवरा में सैंकड़ों की संख्या में आदिवासी पुरुष, महिला और बच्चे पानी की तलाश में जंगलों के बीच निकल जाते हैं और नाले से पानी लाकर अपनी जिंदगी बसर करते हैं.

जिम्मेदारों पर लगाए आरोप
यहां रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि कई साल पहले सरकार के द्वारा एक हैंडपंप लगाया गया था लेकिन आज तक उसकी रिपेयरिंग नहीं की जा सकी है. गांववालों का कहना है कि पानी की समस्या को लेकर किसी भी तरह की पहल जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने नहीं की.

ग्रामीणों को प्रशासन ने आश्वासन का झुनझुना पकड़ा दिया है. अफसर गांव में जल्द ही पानी के इंतजाम की बात कह रहे हैं.

Intro:एंकर -कोरिया जिला मुख्यालय से लगभग अस्सी किलोमीटर की दूरी में आदिवासी ग्राम
पंचायत कछोड़ के आदिवासी समाज के लोगो को पानी की तलाश में जंगल में बहने वाले
एक नाले से पानी लाकर अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करना पड़ रहा है
मजबूर यहाँ के आदिवासीयो को मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी जंगल में भटकते हुए
देखा जा रहा है।
Body:वीओ - आपको बता दे कि छत्तीसगढ़ के विधानसभा क्रमांक एक भरतपुर सोनहत के
मनेन्द्रगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत कछोड़ के आश्रित ग्राम देवरा में जहाँ
आज भी लगभग सैकड़ों के जनसंख्या में आदिवासी पुरुष महिला और बच्चे पानी की
तलाश करते हुए जंगलो के बीच से निकलते हुए एक नाले से पानी लाकर अपना जीवन
यापन करते है। यहाँ के ग्रामीणों का कहना है कि कई साल पहले सरकार के द्वारा यहाँ एक
हैंडपंप लगाया गया था लेकिन आज तक उसका रिपेयरिंग नही किया गया और ना ही
पानी की समस्या को लेकर किसी भी तरह का कोई भी पहल जिला प्रशासन व
जनप्रतिनिधियों ने की। वही जब ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर जिले के जबाबदार
अधिकारियों से बात की गई तो महज जल्द ही पानी की समस्या को दूर किया जाएगा कह
कर साहब भी पल्ला झाड़ते हुए नजर आये।अब देखना ये होगा कि खबर दिखाने के बाद
भी प्रशासन के द्वारा इन आदिवासियों की समस्याओं के लिए कोई ठोस कदम उठाया
जायगा या नही।
बाइट - मीना (ग्रामीण)
बाइट--/मुकेश ग्रामीणConclusion:वही जिला प्रशासन के आला अधिकारी गाव में जल्द ही पानी की मूलभूत सुविधाओं का
व्यवस्था करने की बात कह रहे ।
Last Updated : Jun 4, 2019, 3:51 PM IST
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