कोरिया: भरतपुर ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत बड़वाही के आश्रित गांव घुघरी में एक पिता अपने दो बच्चों से परेशान हैं. आप सोच रहे होंगे कि भला क्या कोई पिता अपने बच्चों से परेशान हो सकता है, लेकिन ये सच है. दरअसल भोदल पनिका के दोनों ही बेटे मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं. गरीबी की हालत और उस पर शासन की तरफ से किसी भी तरह की मदद नहीं मिलने से भोदल पनिका को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.
मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं नाबालिग
भरतपुर के ग्राम पंचायत बड़वाही के आश्रित गांव घुघरी में रहने वाले संदीप पनिका और नरेंद्र पनिका दोनों सगे भाई हैं. दोनों ही किशोर बचपन से ही मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं. संदीप पनिका 65 प्रतिशत, नरेंद्र पनिका 42 प्रतिशत दिव्यांग की श्रेणी में आते हैं. दिव्यांग होने के बाद भी किसी भी तरह की सरकारी सहायता उन्हें नहीं मिल रही है. नाबालिग के पिता अपने बच्चों को दिव्यांग पेंशन दिलाने हर रोज दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हर जगह सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है.
दिव्यांग पेंशन का नहीं मिला सर्टिफिकेट
दिव्यांग भाइयों के पिता ने बताया कि वे अपने दिव्यांग बच्चों को लेकर यहां-वहां भटक रहे हैं. कई बार कोई वाहन नहीं मिलने के कारण वे खुद अपने किशोर बच्चों को उठाकर पंचायत भवन और अधिकारियों के पास पहुंचते हैं, लेकिन अभी तक उन्हें दिव्यांग पेंशन का सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है. भोदल पनिका ने शासन पर भेदभाव तक का आरोप लगा दिया.
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'धीरे-धीरे बच्चों की दिव्यांगता सामने आई'
बेबस पिता ने बताया कि उनके बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते गए उनकी दिव्यांगता सामने आने लगी. उनका व्यवहार बड़ों को परेशान करने लगा. उनका स्कूल जाना भी धीरे-धीरे बंद कर दिया गया. उनकी हरकतों की वजह से किसी को परेशानी ना हो, इस वजह से उन्हें घर पर ही रखा गया.
शासन से मदद की उम्मीद
सरकार की तरफ दिव्यांग पेंशन की योजना बनाने के बाद पीड़ित पिता को अपने बच्चों के भविष्य की कुछ उम्मीद जगी. लेकिन जब उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिलने लगी तो उनकी ये उम्मीद भी अब धुंधली होती जा रही है. पीड़ित पिता ने शासन-प्रशासन से उनके मानसिक विक्षिप्त बच्चों की मदद करने की अपील ETV भारत से की है.