कोरिया: प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं, यह कुदरत की देन होती है. उसकी मेहरबानी किस पर कब कैसे हो जाए कहा नहीं जा सकता. अपने भीतर की प्रतिभा को निखारने और तरासने वाला ही कलाकार बनता है. जरूरत होती है ऐसे प्रतिभाओं को मौका देने की. कोई भी बाधा प्रतिभा को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती हैं. कौन बताता है कि नदी को समंदर का रास्ता जिसे मंजिल का ज़ुनून हो वो रास्ता नहीं पूछता...
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वहीं जवाहर नवोदय विद्यालय कोरिया में पढ़ने वाली 9 वीं की छात्रा सताक्षी तिवारी अपनी छोटी सी उम्र में अपनी प्रतिभा से अपनी पहचान और अपने हुनर को तराशने में जुट गई. छात्रा सताक्षी तिवारी भरतपुर विकासखंड अंतर्गत भगवानपुर में रहने वाली है. वो बचपन से ही पेंटिंग की शौकीन रही हैं. उसे अपनी भावनाओं को ब्रश के माध्यम से पेपर पर उतारना अच्छा लगता था. कड़ी मेहनत और लगन से उसने अपने बचपन के शौक को साकार कर दिखाया. कुछ ही समय में किसी का भी चित्र कागज पर बना देती है. उसकी चित्रकारी देखकर अब उसके माता पिता भी खुश है.