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कोरिया में धूमधाम से मनाई गई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, किया गया नियमों का पालन - Krishna Janmashtami celebrated in Koriya

भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है. पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई. कोरिया जिले में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई गई.

Sri Krishna Janmashtami celebrated in Koriya
कोरिया में धूमधाम से मनाई गई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
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Published : Aug 13, 2020, 9:10 AM IST

कोरिया: भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है. कोरिया में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.

कोरिया के भरतपुर स्थित प्रसिद्ध कैलाश मंदिर में भक्तों ने कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई. बता दें कि भरतपुर के प्राचीन कैलाश मंदिर की स्थापना 29 मई 1938 को हुई थी. सुबह से ही भक्तों ने मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए.

किया गया कोविड-19 के नियमों का पालन

बता दें कि कोरोना के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है. वहीं कैलाश मंदिर इस क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है और दूरदराज के भक्त कृष्ण भगवान के दर्शन करने यहां आते हैं. लगातार भक्तों का ताता यहां लगा रहता है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को भी सभी लोगों ने मिलकर धूमधाम से मनाया. गांव से लेकर शहर में कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रही.

गावों में किया गया दही मटकी प्रतियोगिता का आयोजन

घरों में महिलाएं और बच्चों ने दिनभर का उपवास रखा. बच्चों ने शाम में तो बड़ों ने अर्ध रात्रि में भगवान के जन्म होने के बाद फलाहार कर व्रत खोला. गांवों में जगह-जगह पेड़ों की डालियां से झूले लटकते नजर आए. वहीं गावों और शहर में दही मटकी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था.

दही मटकी प्रतियोगिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था आदेश

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दही-मटकी 20 फीट की अधिकतम ऊंचाई पर ही टांगा जा सकेगा. पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को दो दिवसीय महोत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को हर साल की तरह ही इस साल भी बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. जनकपुर पंचायत के अंतर्गत भरतपुर में कैलाश मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर भगवान की पूजा-अर्चना के लिए भव्य तैयारियां की गई थीं.

ये है मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को विष्णु भगवान ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था. उसी समय से उनकी जन्मतिथि को बड़ी धूमधाम से मनाने की परंपरा कायम है.

पढ़ें: बिलासपुर: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम, कोरोना के चलते नहीं फोड़ी जाएगी दही हांडी

महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अष्टमी तिथि के मध्य रात 12.00 बजे भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने के बाद फलाहार करती हैं. जन्माष्टमी को लेकर चारों ओर भगवान श्री कृष्ण सजे-धजे नजर आ रहे हैं. चारों और भक्ति गीतों से क्षेत्र गुंजायमान हो उठा. हिंदू मान्यता के अनुसार विष्णु के आठवें अवतार कृष्ण का जन्म भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इसी दिन से देशभर में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन महिला-पुरुष पूरे दिन उपवास रखकर मध्य रात्रि के बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना कर व्रत का पारण करते हैं.

कोरिया: भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है. कोरिया में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.

कोरिया के भरतपुर स्थित प्रसिद्ध कैलाश मंदिर में भक्तों ने कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई. बता दें कि भरतपुर के प्राचीन कैलाश मंदिर की स्थापना 29 मई 1938 को हुई थी. सुबह से ही भक्तों ने मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए.

किया गया कोविड-19 के नियमों का पालन

बता दें कि कोरोना के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है. वहीं कैलाश मंदिर इस क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है और दूरदराज के भक्त कृष्ण भगवान के दर्शन करने यहां आते हैं. लगातार भक्तों का ताता यहां लगा रहता है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को भी सभी लोगों ने मिलकर धूमधाम से मनाया. गांव से लेकर शहर में कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रही.

गावों में किया गया दही मटकी प्रतियोगिता का आयोजन

घरों में महिलाएं और बच्चों ने दिनभर का उपवास रखा. बच्चों ने शाम में तो बड़ों ने अर्ध रात्रि में भगवान के जन्म होने के बाद फलाहार कर व्रत खोला. गांवों में जगह-जगह पेड़ों की डालियां से झूले लटकते नजर आए. वहीं गावों और शहर में दही मटकी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था.

दही मटकी प्रतियोगिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था आदेश

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दही-मटकी 20 फीट की अधिकतम ऊंचाई पर ही टांगा जा सकेगा. पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को दो दिवसीय महोत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को हर साल की तरह ही इस साल भी बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. जनकपुर पंचायत के अंतर्गत भरतपुर में कैलाश मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर भगवान की पूजा-अर्चना के लिए भव्य तैयारियां की गई थीं.

ये है मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को विष्णु भगवान ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था. उसी समय से उनकी जन्मतिथि को बड़ी धूमधाम से मनाने की परंपरा कायम है.

पढ़ें: बिलासपुर: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम, कोरोना के चलते नहीं फोड़ी जाएगी दही हांडी

महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अष्टमी तिथि के मध्य रात 12.00 बजे भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने के बाद फलाहार करती हैं. जन्माष्टमी को लेकर चारों ओर भगवान श्री कृष्ण सजे-धजे नजर आ रहे हैं. चारों और भक्ति गीतों से क्षेत्र गुंजायमान हो उठा. हिंदू मान्यता के अनुसार विष्णु के आठवें अवतार कृष्ण का जन्म भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इसी दिन से देशभर में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन महिला-पुरुष पूरे दिन उपवास रखकर मध्य रात्रि के बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना कर व्रत का पारण करते हैं.

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