मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार सरकारी स्कूलों का कायाकल्प करके बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का बीड़ा उठा रही है. तो दूसरी तरफ सरकारी स्कूल के शिक्षक अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाए बच्चों के भविष्य को चौपट कर रहे हैं. शिक्षकों को समय पर वेतन और सुविधाएं चाहिए.लेकिन जब बात बच्चों को पढ़ाने की आती है तो सबसे पीछे दिखते हैं. ताजा मामला इसी का एक उदाहरण है. जहां सरकारी स्कूल के शिक्षक घर में आराम करते हैं और स्कूल का चपरासी बच्चों की पढ़ाई करवाता है. (School run by peon in Barauta)
भगवान भरोसे सरकारी स्कूल : स्कूल की शिक्षा व्यवस्था का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि स्कूल में बच्चों को कितनी उच्च दर्जे की शिक्षा मिल रही होगी. माध्यमिक शाला बरौता के शिक्षक अपने मनमर्जी पर उतारू हैं . यह विद्यालय अब चपरासी के भरोसे चल रहा है. यहां के शिक्षक अपने मर्जी से स्कूल आते हैं और कई दिन गायब रहते हैं. शिक्षक के ना रहने पर चपरासी स्कूल का संचालन कर रहा है. यही वजह है ऐसे लापरवाह शिक्षकों के चलते विकासखंड भरतपुर में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है.
कितने बच्चे कर रहे हैं पढ़ाई : इस स्कूल में 41 बच्चे अध्ययनरत हैं. शिक्षक के आने जाने की जानकारी किसी को भी नहीं रहती. शिक्षक के द्वारा संकुल में भी कोई सूचना नही दी जाती है. सबसे बड़ी बात ये है कि संकुल में सीएसी है वो वही प्राथमिक शाला में पदस्थ हैं. उन्हें भी शिक्षक के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं रहती है.
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हो सकती है बड़ी दुर्घटना : शिक्षक के स्कूल में उपस्थित नही रहने के कारण बच्चे स्कूल के पीछे नाले में जाकर खेलते हैं. पुल के ऊपर से नीचे कूदते हैं. अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो इसका ज़िम्मेदार कौन होगा. विकासखंड भरतपुर मे ऐसे कई स्कूल है जहां शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. बच्चे शिक्षक विहीन स्कूल में पढ़ाई करने जाते तो हैं पर स्कूल में पढ़ाई कैसे चल रही होगी यह आसानी से समझा जा सकता है. पिछले दो सत्र से स्कूल बंद रहने के बाद अब स्कूल खुले हैं.लेकिन शिक्षक मनमानी पर उतारु हैं. अब ग्रामीण बच्चों की पढ़ाई और भविष्य को लेकर प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं. वहीं अधिकारी अब जानकारी होने पर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं. manendragarh chirmiri Bharatpur news