कोरिया: वंदना स्व सहायता समूह और समूह की अध्यक्ष शकुंतला इन दिनों सुर्खियों में है. हाल के दिनों में प्रसारित एक खबरों के अनुसार शकुंतला के स्व सहायता समूह ने टेंट हाउस का काम शुरू किया था. (tent house work ) स्व सहायता समूह ने इस काम के जरिए 17 लाख रुपए कमाए हैं. लेकिन अब शकुंतला ने इन खबरों का खंडन किया है. (Self Help Group denial news) शकुंतला ने कहा है कि उनकी तरक्की को लेकर गलत खबर चलाई गई है. शकुंतला ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी तक नहीं है कि उनके नाम पर भ्रामक खबरें प्रकाशित की जा रही हैं.
क्या है पूरा मामला ?
भरतपुर जनपद के ग्राम दुघासी के वंदना स्व सहायता समूह ने लोन लेकर टेंट हाउस का काम शुरू किया. लेकिन कोरोना काल के दौरान उनका काम नहीं चल सका. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान आयोजनों को सीमित कर दिया गया था. ऐसे में शादियों में टेंट नहीं लगाए जा रहे थे. कोरोना की पहली लहर से लेकर दूसरी लहर के बीच वंदना स्व सहायता समूह ने एक रुपए भी नहीं कमाया. लेकिन अचानक एक खबर स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई कि वंदना स्व सहायता समूह ने कोरोना काल में टेंट हाउस के काम के जरिए 17 लाख रुपए कमाए हैं. खबर के साथ ही समूह की अध्यक्ष शकुंतला की फोटो भी प्रकाशित की गई है. अब शकुंतला और गांव के अन्य लोग इस खबर को गलत बता रहे हैं. हमने शकुंतला और टेंट हाउस में काम करने वाले कामगारों के साथ ही जनप्रतिनिधि से बात की है. (Shakuntala president of Vandana Self Help Group )
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तो आखिर सच क्या है?
शकुंतला और वंदना स्व सहायता समूह को लेकर प्रकाशित खबरें सच नहीं है तो आखिर सच है क्या? ये जानने के लिए ETV भारत की टीम शकुंतला के घर पहुंची. शकुंतला ने बताया कि कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान टेंट हाउस से जुड़ा एक भी काम नहीं मिला. 17 लाख की कमाई वाली बात झूठ है. उनका कहना है कि फिलहाल स्व सहायता समूह के सदस्य कर्ज तले दबे हैं.
खबरों में कैसे आई शकुंतला की फोटो?
शकुंतला ने बताया कि उनके घर कुछ लोग आए थे. उन्होंने उन्हें बोर्ड के सामने खड़ा होने को कहा और फोटो खींचकर चले गए. उन्हें बाद में पता चला की पूरा माजरा ये है. जब उन्हें अपनी खबरों के बारे में पता चला तो शकुंतला काफी दुख हुआ. उनके हालातों का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि शकुंतला के घर के प्रवेश द्वार पर दरवाजा तक नहीं है.
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कर्ज के सहारे काट रहे जीवन
गांव की सरपंच के पति ने बताया कि ये बात सच है कि शकुंतला के स्व सहायता समूह ने टेंट हाउस का काम शुरू किया था. लेकिन कोरोना काल में पूरा काम ठप पड़ गया. शकुंतला जैसे-तैसे जीवन चला रही है. टेंट हाउस से जुड़े अन्य लोगों को देने के लिए भी समूह के पास पैसे नहीं है. शकुंतला ने बताया कि बैंक से कर्ज लेकर हमने काम शुरू किया. लॉकडाउन में काम नहीं चला फिर कर्ज लेकर लोन पटाया. आज शकुंतला पाई-पाई को मोहताज है.
जनसंपर्क विभाग सवालों के घेरे में
जानकारी के मुताबिक शकुंतला ने टेंट हाउस के काम के जरिए 1 साल में 17 लाख रुपए कमाए ऐसी खबर जनसंपर्क कार्यालय की ओर से मीडिया को दी गई थी. लेकिन अब ये खबर झूठ साबित हो रही है. ऐसे में जनसंपर्क कार्यलय की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. (public relations department)