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छत्तीसगढ़ के कोरिया में हुई प्लास्टिक मुक्त शादी समारोह

Korea latest news छत्तीसगढ़ के कोरिया में प्लास्टिक मुक्त शादी देखने को मिली. इस शादी में ना तो डिस्पोजल का इस्तेमाल किया गया और ना ही प्लेट का. इनके जगह पर केले के पत्तों और मिट्टी के गिलास से दावत दी गई. केले के पत्तों का उपयोग भी आकर्षण का केंद्र बना रहा. मेहमान भी इस नवाचार से खुश नजर आ रहे थे.

plastic free marriage Party in korea
छत्तीसगढ़ में हुई प्लास्टिक मुक्त शादी
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Published : Dec 4, 2022, 4:17 PM IST

Updated : Dec 5, 2022, 6:26 AM IST

कोरिया: छत्तीसगढ़ के कोरिया में एक अनोखे शादी समारोह (plastic free marriage Party in korea) का आयोजन हुआ. इस विवाह समारोह में आयोजक ने प्लास्टिक का उपयोग ना कर पॉलिथीन मुक्त भारत की कल्पना को अपना समर्थन दिया. आयोजक ने पार्टी में मिट्टी व पत्तों के बर्तनों का इस्तेमाल किया. विवाह समारोह से प्लास्टिक के बर्तन व डिस्पोजल गायब होने से पार्टी में आये लोगों में कौतूहल का विषय बना रहा. Korea latest news

प्लास्टिक मुक्त शादी समारोह
पॉलिथीन मुक्त भारत के लिए अनूठा प्रयास: अम्बिकापुर के रहने वाले राजीव पाठक ने यह अनूठा प्रयास किया है. राजीव पाठक कोरिया जिले में शगुन गार्डन नामक शादी घर संचालित करते हैं. लगातार डिस्पोजल और प्लास्टिक के उपयोग से परेशान राजीव ने मन बनाया कि वो अपने शादी घर में प्लाटिक प्रतिबंधित करेंगे. उन्होंने एक विवाह कार्यक्रम में ऐसा कर दिखाया है. plastic free marriage

यह भी पढ़ें: कोरिया और एमसीबी में विकास कार्यों को मिलेगी रफ्तार


संसाधन काफी महंगे, फिर भी उठाया कदम: राजीव बताते हैं कि "इस नवाचार में उन्हें काफी दिक्कत भी हुई और संसाधन काफी महंगे भी पड़े. लेकिन उन्होंने कस्टमर से अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया. पॉलीथिन मुक्त बनाने की दिशा में जो खर्च का अतिरिक्त भार उन पर पड़ा, वो उसे अपने प्रॉफिट से ही कवर कर रहे हैं."

नवाचार से मेहमान दिखे खुश: जहां एक ओर पीने के पानी, चाय व काफी के लिये मिट्टी के कुल्हड़ और गिलास इस विवाह में इस्तेमाल किए गये. तो वहीं दूसरी ओर केले के पत्तों का उपयोग भी आकर्षण का केंद्र बना रहा. आगंतुक भी इस नवाचार से खुश नजर आ रहे थे. सभी ने आयोजक के इस प्रयास की प्रशंसा की. हांलाकी आज के समय मे इंसान प्लास्टिक और डिस्पोजल का इतना आदी हो चुका है कि बिना इनके गुजारा करना भी मुश्किल है. लेकिन शगुन गार्डन में आयोजक ने ऐसे ऑप्शन दिये कि लोगों को असुविधा नहीं हुई.

राजीव पाठक की यह पहल सराहनीय: देश मे भले ही सिंगल यूज प्लाटिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया हो, लेकिन इसका इस्तेमाल आज भी धड़ल्ले से हो रहा है. ऐसे में राजीव पाठक की यह पहल सराहनीय है. उन्होंने ना सिर्फ देश में बनाये गए नियम के प्रति जागरूकता दिखाई, बल्कि उन बेजुबान जानवरों के लिये भी सोंचा है, जिनकी मौत इस प्लास्टिक की वजह से होती है.

कोरिया: छत्तीसगढ़ के कोरिया में एक अनोखे शादी समारोह (plastic free marriage Party in korea) का आयोजन हुआ. इस विवाह समारोह में आयोजक ने प्लास्टिक का उपयोग ना कर पॉलिथीन मुक्त भारत की कल्पना को अपना समर्थन दिया. आयोजक ने पार्टी में मिट्टी व पत्तों के बर्तनों का इस्तेमाल किया. विवाह समारोह से प्लास्टिक के बर्तन व डिस्पोजल गायब होने से पार्टी में आये लोगों में कौतूहल का विषय बना रहा. Korea latest news

प्लास्टिक मुक्त शादी समारोह
पॉलिथीन मुक्त भारत के लिए अनूठा प्रयास: अम्बिकापुर के रहने वाले राजीव पाठक ने यह अनूठा प्रयास किया है. राजीव पाठक कोरिया जिले में शगुन गार्डन नामक शादी घर संचालित करते हैं. लगातार डिस्पोजल और प्लास्टिक के उपयोग से परेशान राजीव ने मन बनाया कि वो अपने शादी घर में प्लाटिक प्रतिबंधित करेंगे. उन्होंने एक विवाह कार्यक्रम में ऐसा कर दिखाया है. plastic free marriage

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संसाधन काफी महंगे, फिर भी उठाया कदम: राजीव बताते हैं कि "इस नवाचार में उन्हें काफी दिक्कत भी हुई और संसाधन काफी महंगे भी पड़े. लेकिन उन्होंने कस्टमर से अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया. पॉलीथिन मुक्त बनाने की दिशा में जो खर्च का अतिरिक्त भार उन पर पड़ा, वो उसे अपने प्रॉफिट से ही कवर कर रहे हैं."

नवाचार से मेहमान दिखे खुश: जहां एक ओर पीने के पानी, चाय व काफी के लिये मिट्टी के कुल्हड़ और गिलास इस विवाह में इस्तेमाल किए गये. तो वहीं दूसरी ओर केले के पत्तों का उपयोग भी आकर्षण का केंद्र बना रहा. आगंतुक भी इस नवाचार से खुश नजर आ रहे थे. सभी ने आयोजक के इस प्रयास की प्रशंसा की. हांलाकी आज के समय मे इंसान प्लास्टिक और डिस्पोजल का इतना आदी हो चुका है कि बिना इनके गुजारा करना भी मुश्किल है. लेकिन शगुन गार्डन में आयोजक ने ऐसे ऑप्शन दिये कि लोगों को असुविधा नहीं हुई.

राजीव पाठक की यह पहल सराहनीय: देश मे भले ही सिंगल यूज प्लाटिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया हो, लेकिन इसका इस्तेमाल आज भी धड़ल्ले से हो रहा है. ऐसे में राजीव पाठक की यह पहल सराहनीय है. उन्होंने ना सिर्फ देश में बनाये गए नियम के प्रति जागरूकता दिखाई, बल्कि उन बेजुबान जानवरों के लिये भी सोंचा है, जिनकी मौत इस प्लास्टिक की वजह से होती है.

Last Updated : Dec 5, 2022, 6:26 AM IST
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