कोरिया: जिले में दो ऐसे गांव है, जहां के लोग गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. एक गांव में कुष्ठ रोग फैल रहा है तो दूसरे गांव में लोगों की आंखों की रौशनी कम हो रही है. भरतपुर सोनहत विधानसभा के केल्हारी तहसील में आने वाले इन गांवों में मूलभूत सुविधा के अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है. स्वास्थ्य विभाग को इनकी बीमारी के बारे में जानकारी भी नहीं है. कई साल पहले से यहां स्वास्थ्य विभाग की टीम आई थी. जिन्हें रायपुर तक इलाज कराने भेजा गया था. लेकिन पीड़ितों का दर्द कम होने के बजाये बढ़ता जा रहा है.
जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से पीड़ित लोगों की सुध लेने की मांग की है. केल्हारी तहसील के ग्राम पंचायत केलुआ के खरला गांव में विशेष संरक्षित और राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति के लोग लोग रहते हैं. इन लोगों के रहन-सहन की स्थिति बेहद खराब और चिंताजनक है. यहां रहने वाले आठ परिवार के आधे लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित हैं. यह बीमारी इतनी भयावह है कि लोगों के पैर और हाथ की अंगुलियां गल चुकी है. ठंड के दिनों में यह तकलीफ ज्यादा बढ़ जाती है. तब जिले का कुष्ठ विभाग कंबल और दवाई देकर चला जाता है.
शासन-प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
शासन प्रशासन की अनदेखी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां हैण्डपंप लगा है, लेकिन पानी पीने योग्य नहीं है. आयरन युक्त लाल पानी निकलता है. ग्रामीण नदी नाले से पानी लाकर पी रहे हैं.
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों का हाल बेहाल, धान बेचने के लिए दर-दर भटक रहे पंडो जनजाति के किसान
लोगों की आंखों की रौशनी हो रही खत्म
वहीं केराबहरा गांव में रहने वाले 70 से ज्यादा लोग अनुवांशिक आंख की बीमारी से ग्रसित है. यहां अठ्ठारह साल से ऊपर के लोगों को यह बीमारी हो रही है. इसे कंजनाइटल आइटोमैक बीमारी कहा जाता है. कई लोगों के आंख की रौशनी चली गई है. दो दिन पहले इस गाव में लोगों को वैक्सीन के लिए जागरूक करने गई भाजपा महिला मोर्चा की टीम को इनकी बीमारी का पता चला तो उन्होंने कलेक्टर से मिलकर पूरी जानकारी दी.
डॉक्टर्स की टीम गांव पहुंची
प्रशासन की ओर से कुष्ठ और नेत्र चिकित्सक को टीम के साथ इन गांवों में भेजा गया. टीम के आने की जानकारी मिलने पर जनप्रतिनिधि भी पहुंचे. डॉक्टरों ने बताया कि पहले भी इनका इलाज हो चुका है. अब ये ठीक नहीं होगा. वहीं जानकार कहते है कि समय रहते इनकी जांच की गई होती और उपचार मिल गया होता तो ग्रामीण परेशानी से बच सकते थे. हालांकि जनप्रतिनिधि समस्या का समाधान करने की बात कह रहे हैं.