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MCB : चिरमिरी की SECL खदान को राष्ट्रीय खान सुरक्षा पुरस्कार - एसईसीएल चिरमिरी

लंबे समय तक जीरो एक्सीडेंटल केस मामले में एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र के एनसीपीएच आर-6 खदान को राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार मिला है.अत्याधुनिक तकनीकी और अनुभवी कर्मचारियों समेत सेफ्टी नियम के कड़ाई से पालन करने के कारण इस खदान को राष्ट्रीय स्तर पर ईनाम मिला है .

SECL Mines of Chirmiri
मनेंद्रगढ़ की खदान को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
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Published : May 2, 2023, 5:24 PM IST

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : चिरमिरी क्षेत्र के एनसीपीएच कॉलरी आर-6 खदान को “दीर्घतम दुर्घटना मुक्त अवधि” श्रेणी में उपविजेता घोषित किया गया है. कठिन खनन स्थितियों वाली भूमिगत खदानों को दिए गए इस पुरस्कार में खदान को दूसरा स्थान मिला है. ये पुरस्कार भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने दिया है. इसके साथ ही एसईसीएल की सभी खदानों में जोखिम मूल्यांकन आधारित सुरक्षा प्रबंधक योजना भी लागू की गई है.इसके लिए सुरक्षा से जुड़े दिशा निर्देशों को हिंदी और स्थानीय भाषा में समझाना, वर्तमान इंस्पेक्टर की मदद से लगातार खान निरीक्षण, शिफ्ट की शुरुआत से पहले सुरक्षा शपथ, एसईसीएल की सभी खदानों के इंटर एरिया सेफ्टी ऑडिट जैसे काम भी उठाए गए हैं.

खदान में कितने वर्कर करते हैं काम : 2 वर्ष 1942 में शुरू की गई एनसीपीएच कॉलरी खदान 1 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है.यहां 1.20 मिलियन टन प्रति वर्ष खनन की पर्यावरण स्वीकृति है. खदान से उच्च गुणवत्ता वाला कोयला जी-8 ग्रेड निकाला जाता है. जनवरी 2023 की स्थिति के मुताबिक यहां 3.8 मिलियन टन कोयले का रिजर्व मौजूद है. खदान में लगभग 630 कामगार कोयला निकालने का काम करते हैं.

ये भी पढ़ें- कोरिया और एमसीबी में बढ़ी महिला श्रमिकों की संख्या

कब हुई पुरस्कार की शुरुआत : खान अधिनियम 1952 के अंतर्गत खानों में बेहतर सुरक्षा को लेकर किए गए प्रयासों की सराहना के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार की शुरुआत 1983 में की थी. हर वर्ष खनन श्रमिकों की सुरक्षा के हित में कोयला, धातु और तेल खानों के लिए दो श्रेणियों में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया जाता है.

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : चिरमिरी क्षेत्र के एनसीपीएच कॉलरी आर-6 खदान को “दीर्घतम दुर्घटना मुक्त अवधि” श्रेणी में उपविजेता घोषित किया गया है. कठिन खनन स्थितियों वाली भूमिगत खदानों को दिए गए इस पुरस्कार में खदान को दूसरा स्थान मिला है. ये पुरस्कार भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने दिया है. इसके साथ ही एसईसीएल की सभी खदानों में जोखिम मूल्यांकन आधारित सुरक्षा प्रबंधक योजना भी लागू की गई है.इसके लिए सुरक्षा से जुड़े दिशा निर्देशों को हिंदी और स्थानीय भाषा में समझाना, वर्तमान इंस्पेक्टर की मदद से लगातार खान निरीक्षण, शिफ्ट की शुरुआत से पहले सुरक्षा शपथ, एसईसीएल की सभी खदानों के इंटर एरिया सेफ्टी ऑडिट जैसे काम भी उठाए गए हैं.

खदान में कितने वर्कर करते हैं काम : 2 वर्ष 1942 में शुरू की गई एनसीपीएच कॉलरी खदान 1 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है.यहां 1.20 मिलियन टन प्रति वर्ष खनन की पर्यावरण स्वीकृति है. खदान से उच्च गुणवत्ता वाला कोयला जी-8 ग्रेड निकाला जाता है. जनवरी 2023 की स्थिति के मुताबिक यहां 3.8 मिलियन टन कोयले का रिजर्व मौजूद है. खदान में लगभग 630 कामगार कोयला निकालने का काम करते हैं.

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कब हुई पुरस्कार की शुरुआत : खान अधिनियम 1952 के अंतर्गत खानों में बेहतर सुरक्षा को लेकर किए गए प्रयासों की सराहना के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार की शुरुआत 1983 में की थी. हर वर्ष खनन श्रमिकों की सुरक्षा के हित में कोयला, धातु और तेल खानों के लिए दो श्रेणियों में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया जाता है.

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