कोरिया: गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के बाघ भोजन की तलाश में शहरी आबादी का रुख कर रहे हैं. हालात यह हैं कि वन्य प्राणियों और मानव में द्वंद होता है. सही मॉनिटरिंग नहीं होने से हिरण, कोटरी जैसे जानवरों की तस्करी भी हो रही है. लोगों का आरोप है कि वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए मिली राशि का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है.
दाना पानी की नहीं है व्यवस्था: कोरिया जिले का यह राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश के कई सीमावर्ती जिलों की वन सीमा से जुड़ा है. यह एक बड़ा कॉरिडोर जैसा है. लेकिन वन्य प्राणियों के लिए यहां दाना पानी का इंतजाम नहीं है. आलम यह है कि आए दिन बाघ पार्क क्षेत्र से शहरी और ग्रामीण इलाकों का रुख करते हैं. वे शिकार की तलाश में आबादी वाले इलाकों में पहुंच जाते हैं.
यह भी पढ़ें: leopard in manendragarh: रेस्क्यू टीम को चकमा देकर जंगल भागा तेंदुआ
दो बाघों की हो चुकी है मौत: पार्क परिक्षेत्र में पिछले कुछ सालों में दो बाघों की मौत हो चुकी है. लेकिन पार्क प्रबंधन ने सबक नहीं सीखा है. गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का एरिया करीब 1440 स्क्वॉयर किलोमीटर है. राष्ट्रीय उद्यान की दो तरफ की सीमा मध्यप्रदेश से जुड़ी हुई है. यह असुरक्षित भी है. तस्कर आसानी से वन्य जीवों का शिकार कर लेते हैं.
यह भी पढ़ें: Movement of tiger in Koriya बाघ ने बछड़े का किया शिकार,कोरिया वन मंडल में मूवमेंट
जानवरों की तस्करी बढ़ी: पार्क परिक्षेत्र में पहले 96 चीतल, फिर 20 चीतल और नील गाय मंगाए गए. इसके बावजूद बाघ शिकार के लिए रिहायशी इलाकों का रूख कर रहे हैं. पहले गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बड़ी संख्या में छोटे वन्य प्राणी थे. लेकिन चार पांच साल में यहां की व्यवस्था बिगड़ने से स्थिति बद से बदतर हो गई है. अब गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में जानवरों की तस्करी बढ़ गई है.