कोरिया : एक ओर जहां प्रदेश सरकार धान खरीदी को लेकर यह कहती नहीं थकती कि वो किसानों के साथ खड़ी है और उनका पूरा धान खरीदा जा रहा है, किसी किसान को कोई दिक्कत नहीं है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
किसानों का आरोप है कि, 'वे अपने धान को लेकर मंडी पहुंचते हैं और उनके धान की खरीदी नहीं की जाती है और मीडिया के दखल पर 3 घंटे बाद धान खरीदी प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है'. इस संबंध में जब ETV भारत की टीम ने मंडी संचालक से बात की तो उनका कहना था कि, 'अधिकारियों का आदेश है कि मौसम खराब होने की स्थिति में धान की खरीदी न की जाए. संचालक ने कहा कि यदि धान की बर्बादी होती है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा. इसलिए धान नहीं खरीदा जा रहा है'.
'धान खरीदी को लेकर समस्या नहीं'
कोरिया पहुंचे खादय मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि, 'धान खरीदी को लेकर किसी किसान को कोई दिक्कत नहीं है, सभी किसानों का धान खरीदा जा रहा है. धान खरीदी केंद्र में धान रखने की पूरी व्यवस्था है'.
'3 हजार से 5500 रुपए तक खर्च होते हैं'
वहीं किसानों का आरोप है कि, 'मंडी में धान की खरीदी नहीं की जा रही है. मंडी तक धान लाने में हमारा 3 हजार से 5500 रुपए तक खर्च हो जाते हैं'. वहीं किसानों ने बताया कि, 'मंडी संचालक का कहना है कि मौसम खराब होने और व्यवस्था न होने के कारण धान खरीदी नहीं की जा रही है'.