कोरियाः वेब पोर्टल में छात्रावास का नाम शामिल नहीं होने की वजह से मासूम बच्चों को दो वक्त का खाना दे पाना बहुत मुश्किल हो रहा है. जिले के 10 छात्रावासों में पिछले 5 महीने से चावल नहीं आ रहा. छात्रावास अधीक्षक दूसरे छात्रावास और राशन दुकान से BPL कार्ड का बचा हुआ चावल लेकर बच्चों को खिला रहे हैं.
सरकार ने आदिवासी जनजाति के बच्चों के लिए छात्रावास की स्थापना की है. जिससे वे शिक्षा से दूर न रहे और उन्हें सभी प्रकार की शिक्षा मिले सके.
स्थिति बद से बदतर
जिले में गरीब आदिवासी परिवार अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए सरकारी छात्रावासों में रहने के लिए भेज देते हैं. जहां शिक्षा के साथ-साथ स्कूल ड्रेस, जूता, कंबल और दो वक्त का खाना अच्छे से मिल सके. लेकिन राशन आवंटन करने वाले सरकारी पोर्टल में गड़बड़ी की वजह से छात्रावास में जुलाई महीने से लेकर अब तक चावल नहीं पहुंच पाया है. ऐसे स्थिति में बच्चों के लिए खाना की व्यवस्था करना बहुत मुश्किल होते जा रहा है और बच्चों की हालत बद से बदतर होती जा रही है.
अधिकारियों का कोरा आश्वासन
छात्रावास के अधीक्षक अशोक मंडल ने बताया कि पोर्टल में गड़बड़ी की जानकारी आला अधिकारियों को दी गई है. जिस पर उन्हें जल्द से जल्द पोर्टल ठीक कराने का आश्वासन दिया गया था. साथ ही अन्य छात्रावास और राशन दुकानों से BPL कार्ड में बचा हुआ चावल लेकर खाने की व्यवस्था करने को कहा गया था, लेकिन 5 महीने बीत जाने के बाद भी राज्य शासन द्वारा पोर्टल ठीक नहीं किया गया. इस वजह से छात्रावास को चावल नहीं मिल रहा है. अब दूसरे छात्रावास में भी अतिरिक्त चावल खत्म हो रहा है.