कोरिया : होली त्यौहार ऐसा है कि रंग गुलाल खेले बिना भी मन नहीं मानता. लेकिन कहीं ना कहीं बाजार में मिलने वाले रंगों से नुकसान इतना ज्यादा होता है कि आए दिन हॉस्पिटलों का चक्कर लगाना पड़ता है. हमारे चेहरे खराब हो जाते हैं. किसी न किसी प्रकार का इंफेक्शन हो जाता है. चेहरे में दाने निकल आते हैं. इसी को देखते हुए समूह की दीदियों ने सब्जियों से हर्बल रंग गुलाल तैयार किया है. मार्केट में इसकी डिमांड भी बढ़ गई है.
प्राकृतिक तरीके से बना गुलाल : अंबे महिला स्व सहायता समूह की सदस्य अरुणा कश्यप ने बताया कि ''हम लोग हर्बल गुलाल बना रहे हैं. रासायनिक गुलाल से चेहरा बहुत खराब होता है, इसलिए हमने सोचा कि अच्छा गुलाल बनाया जाए. यह गुलाल हम लोगों ने चुकंदर से बनाया है. चुकंदर को पीस के आरारोट पाउडर मिलाकर उसे सुखाकर हम लोगों ने लाल गुलाल बनाया है.''
समूह की दीदियों ने बताया कि ''बैकुंठपुर में हर्बल गुलाल बना रही हैं. हर्बल गुलाल बनाने के लिए समूह की महिलाएं आरारोट पाउडर का उपयोग कर रही हैं. इस कलर के लिए हम लोगों ने प्राकृतिक चीजों का उपयोग किया है. जैसे हम लोगों को गुलाबी कलर बनाना है तो हम चुकंदर का उपयोग कर रहे हैं. पीला कलर के लिए हल्दी का उपयोग किया जा रहा है. हरा कलर के लिए पालक का उपयोग किया जा रहा है. लाल कलर के लिए लाल भाजी का उपयोग किया जा रहा है.
त्वचा को कोई नुकसान नहीं : डॉ. हरी शंकर ने बताया कि '' कोरिया में अभी महिला समूह हर्बल गुलाल बना रहा है. बाजारों में बहुत से केमिकल गुलाल मिलते हैं. जिसमें एविस्टर सिलिका नाम का रसायन होता है. उससे आंखों में जलन और त्वचा में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.''
हर्बल कलर के लिए स्टॉल :हर्बल गुलाब सेहत के लिए लाभदायक तो है ही साथ में समूह की महिलाओं को भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा. हर्बल गुलाल को बेचने के लिए प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है. सरकारी स्टॉल लगाने की तैयारी है. सी मार्ट में बिक्री की जाएगी. कलेक्टर ने सभी जिलेवासियों से इस होली में हर्बल गुलाल उपयोग करने की अपील की है.
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कोरिया कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने बताया कि ''केवीके स्वच्छता समूह का मैंने निरीक्षण किया हूं. वहां पर एक क्विटंल हर्बल गुलाल बनाया गया है. योजना यही है कि हमारे सरकारी कर्मचारी के साथ आम जनता सी मार्ट से इसी हर्बल गुलाल को खरीदें.''