मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : चिरमिरी वन परिक्षेत्र ( Chirmiri Forest area) के वनदेवी जंगल क्षेत्र से अवैध कोयले का उत्खनन किया जा रहा था. जिसकी सूचना मिलते ही वन परिक्षेत्र चिरमिरी के अधिकारी सूर्यदेव सिंह अपनी टीम के साथ पहुंचकर अवैध कोयले को जब्त किया.चिरमिरी शहर में अवैद्य कारोबारों पर अंकुश लगाने के लिए जहां शासन प्रशासन दिन रात दबिश देने में जुटी है, वहीं चिरमिरी के गेल्हापानी के जंगलों से कोएले का अवैद्य उत्खनन एवं कारोबार चरम सीमा पर है, जहां गेल्हापानी के पेरवा नाला के आस पास बड़ी मात्रा में कोएला बोरे में भर कर इकट्ठा किया जा रहा है, जहां करीब 2000-2500 बोरियां जंगल की झाड़ियों में छुपा कर रखी गई हैं.
अवैध कोल खनन के रास्ते बंद : वन विभाग की टीम ने अवैध कोयला जब्त करते हुए उन रास्तों को भी बंद किया है जहां पर गाड़ियों के सहारे अवैध कोयले की ढुलाई की जाती थी. कोल माफिया अवैध कोल खनन करके उसे बाजार में बेचा करते थे. लेकिन वन विभाग की टीम ने सूचना के बाद कोल जब्त करते हुए खनन माफिया को चुनौती दी है.वन विभाग की टीम द्वारा मौके पर पहुंच कर अवैद्य उत्खनन किए गए कोयले का जायज़ा लिया गया, जहां करीब हज़ार बोरियों कोयले से भरी हुई मिली, जिस पर वन विभाग एवं पुलिस प्रशासन द्वारा सम्मिलित रूप से कार्यवाही करते हुए समस्त कोयले से भरे बोरियों को जब्त किया गया एवं अपने उच्च अधिकारियों को भी सम्पूर्ण मामले को ले कर सारी जानकारी भी दी गई, जिसके बाद पुलिस प्रशासन द्वारा समस्त कोयले से भरी बोरियों को जब्त किया गया.
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कहां हो रहा था अवैध खनन : आपको बता दें कि चिरमिरी वन परिक्षेत्र के वन देवी नामक स्थान से कोयले का अवैध उत्खनन किया जा रहा था. जिसकी सूचना मिलते ही वन परिक्षेत्र अधिकारी चिरमिरी के सूर्यदेव सिंह अपनी टीम के साथ पहुंचकर अवैध कोयले को जब्त कर वन क्षेत्र में बनाई गई कच्ची सड़क को बंद किया.अब देखना यह है कि कोएले के अवैद्य कारोबारों पर रोक लगाने में वन विभाग किस प्रकार की बड़ी कार्यवाही करती है और ऐसे अवैद्य कारोबारों पर अंकुश लगा पाने में शासन प्रशासन सक्षम नज़र आती है या शासन प्रशासन के नाक के नीचे से इसी तरह अवैद्य कारोबार फलता फूलता ही नज़र आएगा. क्योंकि इस तरह के अवैध खनन कोल माफियाओं द्वारा कई सालों से लगातार निडर होकर किया जा रहा है . अधिकारियों द्वारा छोटी मोटी कार्यवाही कर मामले को दबा दिया जाता है.