एमसीबी: जिले के भरतपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत खितौली में सिंघोर बांध की नहर टूटने से बीते एक साल से करीब 700 से ज्यादा किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है. किसानों की शिकायत के बाद भी जल संसाधन विभाग के अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं.
दो साल में खुली निर्माण की पोल: भरतपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत खितौली में सिंघोर बांध सहित नहर का निर्माण 7.50 करोड़ की लागत से कराया गया था. महज दो साल में निर्माण की पोल खुल गई. निर्माण के दो साल बाद सिंघोर बांध का नहर बीच से टूट गया. बांध टूटने से नहर का पानी बर्बाद हो रहा है. सिंघोर बांध से लगभग 700 से अधिक किसानों को किसानी के लिए पानी देना था. मगर अधीकारियों की लापरवाही से किसान पानी को तरस रहे है.
क्या कहते हैं ग्रामीण: ग्रामीणों के मुताबिक जिस जगह से नहर टूटा है, उससे करीब तीन किमी आगे तक सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नहर बनाया गया था, जो अब बेकार साबित हो रहा है. जल संसाधन उप संभाग जनकपुर में करोड़ों रुपए की लागत से बने बांध का लाभ किसानों को बीते एक साल से नहीं मिल रहा है. इसका असर क्षेत्र के किसानों की खरीफ फसल पर पड़ रहा है.
"भरतपुर के नहरों की बात की जाए तो इसमें भ्रष्टाचार हुआ है. वर्तमान में सिघोर नदी में, जो बांध और नहर बनाया गया है, उसमें किसी को कोई लाभ नहीं मिला है. लाभ केवल कांग्रेस के जनप्रतिनिधि और कर्मचारी को मिला है." - रमाशंकर मिश्रा, जिला अध्यक्ष, आप पार्टी
"दो साल पहले नहर का निर्माण हुआ है. नहर गुणवत्ता विहीन है. इंजीनियर और एसडीओ सब मिले हुए है. मैं शासन से कहूंगा कि इसकी जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई हो. मैं विधायक से भी मांग करता हूं कि क्षेत्र में कई बांध और नहर हैं, उनकी गुवक्तता की जांच कराकर कर दोषियों पर कार्रवाई हो." - रवि शंकर सिंह, जिला पंचायत सदस्य, भाजपा
जानवर भी नहर के पानी से बुझाते थे प्यास: ग्रामीणों ने नहर के संबंध में अधिकारियों को जानकारी दी है. हालांकि कोई कार्रवाई नहीं हुई. गांव में निस्तारी के लिए भी पानी की कमी है. इस गर्मी में पानी का संकट बढ़ता जा रहा है. दूसरी ओर नहर के आस-पास लगे हैंडपंप भी सूख गए हैं. साथ ही किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से खरीफ फसल पर भी असर पड़ रहा है. किसानों के अलावा नहर से बहने वाले पानी से जंगली जानवर भी अपनी प्यास बुझाते थे.