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Vandhikar Samvad Padyatra in Bharatpur: वनाधिकार समिति को अधिकार देने की मांग

भरतपुर में वनाधिकार कानून के सफल क्रियान्यवन को लेकर एकता परिषद ने वनाधिकार संवाद पदयात्रा निकाली. पदयात्रा तीन दिनों में भरतपुर के बरेल से चलकर खाडाखोह तक जाएगी. इस पदयात्रा में पुरुषों के अलावा महिलाएं भी शामिल हैं. ये सभी पैंतीस किलोमीटर की पदयात्रा में पंद्रह गावों में जाएंगे. पदयात्री राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कr छायाचित्र और हाथों में झंडा लेकर चल रहे हैं. वन अधिकार कानून के क्रियान्वयन के लिए इस यात्रा का आगाज किया गया है.

Vandhikar Samvad Padyatra in Bharatpur
वनाधिकार संवाद पदयात्रा
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Published : Feb 17, 2023, 6:05 PM IST

वनाधिकार संवाद पदयात्रा

एमसीबी : वनाधिकार संवाद पदयात्रा में शामिल एकता परिषद के राजेन्द्र चंदेल ग्रामीणों से जनसंवाद कर उनकी समस्याओं को प्रशासन तक पहुचाएंगे. छतीसगढ़ के पंद्रह जिलों में वनाधिकार संवाद पदयात्रा का आयोजन किया जा रहा है. इसी के तहत मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के भरतपुर विकासखण्ड में यह पदयात्रा निकाली गई. पदयात्रा में प्रमुख रूप से वनाधिकार कानून के आधे अधूरे क्रियान्वयन को लेकर लोगों को जागरुक किया जाएगा.


जमीन का मालिकाना हक देने की मांग : पदयात्रा में शामिल सुंदर पंडो के मुताबिक '' जंगल जमीन पट्टा के लिए हम लोग यह यात्रा निकाले हैं. मैं जमीन खुद जोत रहा हूं. सन् 1993-94 से आज तक हम लोगों को मालिकाना हक नहीं मिला. जंगल वाले परेशान करते हैं. हमारे गरीब लोग दावा फॉर्म भी जमा करते हैं तो आफत कर देते हैं. इस कारण हम लोग शासन प्रशासन तक यह रैली द्वारा अपना ज्ञापन पहुंचा रहे हैं. इस उद्देश्य से हम लोग चले हैं कि गरीबों का भला के साथ दूसरों का भी भला हो जाए .हम लोगों की भी सुनवाई होगी. इसलिए कि हम लोग 100 लोग हैं और क्यों नहीं सुनवाई होगी जो गांव-गांव में समिति बनाई हुई है पट्टा के लिए उसका क्या कोई महत्व नहीं है.''

ये भी पढ़ें- राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना में घपला,अफसर कर्मचारी फरार

कब तक चलेगी पदयात्रा : राजेंद्र चंदेल ने बताया कि '' पदयात्रा तीन दिवसीय है.गांव की भूमि समस्याओं को लेकर एसडीएम को ज्ञापन दिया जाएगा . इसके निराकरण की मांग की जाएगी. पदयात्रा का इसलिए आयोजन किया गया है कि जो वन अधिकार कानून इस देश में लागू है उस कानून का सही से पालन नहीं हो रहा है. इसलिए हम लोग चाहते हैं कि इस कानून का सही क्रियान्वयन और पालन हो.पदयात्रा का आयोजन हम लोग किए हैं."

राजेंद्र चंदेल ने आगे कहा कि" वन अधिकार को लेकर गांव गांव में एक समिति बनाई गई है जो वन भूमि में या राजस्व भूमि में खेती कर अपने परिवार को पालते हैं. उनको उस जमीन का अधिकार देने के लिए समिति बनाई गई है. वन अधिकार समिति केवल कागज में ही है धरातल में उसका कोई उपयोग नहीं होता है. जो भी गांव में है जो कब्जा किए हैं जो दावा करते हैं वह पंचायत के सचिव को देते हैं. उसके द्वारा संबंधित विभाग को दिया जाता है. जो कि वह गलत है. उसे संबंधित विभाग को नहीं देना चाहिए था. उसे वन समिति को देना चाहिए था.''

वनाधिकार संवाद पदयात्रा

एमसीबी : वनाधिकार संवाद पदयात्रा में शामिल एकता परिषद के राजेन्द्र चंदेल ग्रामीणों से जनसंवाद कर उनकी समस्याओं को प्रशासन तक पहुचाएंगे. छतीसगढ़ के पंद्रह जिलों में वनाधिकार संवाद पदयात्रा का आयोजन किया जा रहा है. इसी के तहत मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के भरतपुर विकासखण्ड में यह पदयात्रा निकाली गई. पदयात्रा में प्रमुख रूप से वनाधिकार कानून के आधे अधूरे क्रियान्वयन को लेकर लोगों को जागरुक किया जाएगा.


जमीन का मालिकाना हक देने की मांग : पदयात्रा में शामिल सुंदर पंडो के मुताबिक '' जंगल जमीन पट्टा के लिए हम लोग यह यात्रा निकाले हैं. मैं जमीन खुद जोत रहा हूं. सन् 1993-94 से आज तक हम लोगों को मालिकाना हक नहीं मिला. जंगल वाले परेशान करते हैं. हमारे गरीब लोग दावा फॉर्म भी जमा करते हैं तो आफत कर देते हैं. इस कारण हम लोग शासन प्रशासन तक यह रैली द्वारा अपना ज्ञापन पहुंचा रहे हैं. इस उद्देश्य से हम लोग चले हैं कि गरीबों का भला के साथ दूसरों का भी भला हो जाए .हम लोगों की भी सुनवाई होगी. इसलिए कि हम लोग 100 लोग हैं और क्यों नहीं सुनवाई होगी जो गांव-गांव में समिति बनाई हुई है पट्टा के लिए उसका क्या कोई महत्व नहीं है.''

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कब तक चलेगी पदयात्रा : राजेंद्र चंदेल ने बताया कि '' पदयात्रा तीन दिवसीय है.गांव की भूमि समस्याओं को लेकर एसडीएम को ज्ञापन दिया जाएगा . इसके निराकरण की मांग की जाएगी. पदयात्रा का इसलिए आयोजन किया गया है कि जो वन अधिकार कानून इस देश में लागू है उस कानून का सही से पालन नहीं हो रहा है. इसलिए हम लोग चाहते हैं कि इस कानून का सही क्रियान्वयन और पालन हो.पदयात्रा का आयोजन हम लोग किए हैं."

राजेंद्र चंदेल ने आगे कहा कि" वन अधिकार को लेकर गांव गांव में एक समिति बनाई गई है जो वन भूमि में या राजस्व भूमि में खेती कर अपने परिवार को पालते हैं. उनको उस जमीन का अधिकार देने के लिए समिति बनाई गई है. वन अधिकार समिति केवल कागज में ही है धरातल में उसका कोई उपयोग नहीं होता है. जो भी गांव में है जो कब्जा किए हैं जो दावा करते हैं वह पंचायत के सचिव को देते हैं. उसके द्वारा संबंधित विभाग को दिया जाता है. जो कि वह गलत है. उसे संबंधित विभाग को नहीं देना चाहिए था. उसे वन समिति को देना चाहिए था.''

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