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Manendragarh Chirmiri Bharatpur: जमीनों का आबंटन नहीं होने से औद्योगिक क्षेत्र में नहीं पाए कारखाने

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले में जमीनों का आबंटन नहीं होने से औद्योगिक क्षेत्र में अब तक उद्योग नहीं लग पाए हैं. मनेंद्रगढ़ में साल 2021 में औद्योगिक क्षेत्र का लोकार्पण सीएम भूपेश बघेल ने किया था. लेकिन जमीन का आबंटन अब तक नहीं हो सका है. लिहाजा इस क्षेत्र में किसी भी तरह का कोई उद्योग नहीं लग पाया है. MCB News

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Published : Jun 24, 2023, 11:08 PM IST

जमीनों का आबंटन नहीं होने से औद्योगिक क्षेत्र में नहीं लगे उद्योग

एमसीबी : मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले में जमीनों का आबंटन नहीं होने से औद्योगिक क्षेत्र में विकास नहीं हो पाया है. दो साल पहले सोलह जून दो हजार इक्कीस को व्यापारिक नगरी मनेन्द्रगढ़ के नजदीक ओद्योगिक क्षेत्र का लोकार्पण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था . लोकार्पण के दो साल बाद भी अब तक जमीन आबंटन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है. ऐसे में कोई भी उद्योग इस क्षेत्र में नही लग पा रहे है.

लंबे इंतजार के बाद भी जमीनों का आबंटन नहीं : इक्कीस साल के लंबे इंतजार के बाद औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो पाया है. लेकिन जमीनों का आबंटन नहीं होने से इसका लाभ व्यापारियों को नही मिल पा रहा है.मनेंद्रगढ़ के परसगढ़ी इलाके में बने औद्योगिक क्षेत्र को जमीन आबंटन की प्रक्रिया का इंतजार है. औद्योगिक भूखंड के लिये जमीन आबंटन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. बीस साल में यह औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो पाया है.

अजीत जोगी ने किया था शिलान्यास : दो हजार एक में छतीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मनेंद्रगढ़ के पास परसगढ़ी इलाके में औद्योगिक क्षेत्र बनाने के लिये शिलान्यास किया था. जिसके लिए तेरह हेक्टेयर जमीन का चयन किया गया था. लेकिन तब से इस पर कोई काम नही हो पा रहा था.

कांग्रेस की सरकार में योजना ने लिया मूर्त रूप : बीजेपी की सरकार में इस पर कुछ काम आगे बढ़ा. जो अब कांग्रेस की सरकार में मूर्त रूप ले पाया है. छतीसगढ़ सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के उपक्रम छतीसगढ़ स्टेट इंड्रस्ट्रीयल कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा इसको विकसित करने का काम किया गया है. यहां सड़क बनाने और लाइट लगाने के अलावा प्रशासनिक भवन, कांफ्रेंस एग्जीविशन हॉल, पानी टंकी जैसे कई काम करवाए गए हैं जिस पर दस करोड़ चालीस लाख रुपए खर्च किये गए हैं.

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चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ने खड़े किए सवाल : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जून दो हजार इक्कीस में इसका वर्चुअल लोकार्पण भी किया था.लेकिन दो साल बीतने के बाद अभी तक जमीन आबंटन की प्रक्रिया पूरी नही हो सकी है. उद्योग विभाग के संसदीय सचिव यू डी मिंज ने छह माह पहले इस क्षेत्र का निरीक्षण भी किया था.उन्होंने आबंटन की प्रक्रिया जल्द पूरा होने की बात कही थी. लेकिन आज तक यह प्रक्रिया शुरू नही हो पाई है. जिससे व्यापारियों में निराशा है. जमीन का आबंटन नहीं होने से एक भी उद्योग धंधाआज तक नही लग सका है.

जमीनों का आबंटन नहीं होने से औद्योगिक क्षेत्र में नहीं लगे उद्योग

एमसीबी : मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले में जमीनों का आबंटन नहीं होने से औद्योगिक क्षेत्र में विकास नहीं हो पाया है. दो साल पहले सोलह जून दो हजार इक्कीस को व्यापारिक नगरी मनेन्द्रगढ़ के नजदीक ओद्योगिक क्षेत्र का लोकार्पण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था . लोकार्पण के दो साल बाद भी अब तक जमीन आबंटन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है. ऐसे में कोई भी उद्योग इस क्षेत्र में नही लग पा रहे है.

लंबे इंतजार के बाद भी जमीनों का आबंटन नहीं : इक्कीस साल के लंबे इंतजार के बाद औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो पाया है. लेकिन जमीनों का आबंटन नहीं होने से इसका लाभ व्यापारियों को नही मिल पा रहा है.मनेंद्रगढ़ के परसगढ़ी इलाके में बने औद्योगिक क्षेत्र को जमीन आबंटन की प्रक्रिया का इंतजार है. औद्योगिक भूखंड के लिये जमीन आबंटन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. बीस साल में यह औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो पाया है.

अजीत जोगी ने किया था शिलान्यास : दो हजार एक में छतीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मनेंद्रगढ़ के पास परसगढ़ी इलाके में औद्योगिक क्षेत्र बनाने के लिये शिलान्यास किया था. जिसके लिए तेरह हेक्टेयर जमीन का चयन किया गया था. लेकिन तब से इस पर कोई काम नही हो पा रहा था.

कांग्रेस की सरकार में योजना ने लिया मूर्त रूप : बीजेपी की सरकार में इस पर कुछ काम आगे बढ़ा. जो अब कांग्रेस की सरकार में मूर्त रूप ले पाया है. छतीसगढ़ सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के उपक्रम छतीसगढ़ स्टेट इंड्रस्ट्रीयल कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा इसको विकसित करने का काम किया गया है. यहां सड़क बनाने और लाइट लगाने के अलावा प्रशासनिक भवन, कांफ्रेंस एग्जीविशन हॉल, पानी टंकी जैसे कई काम करवाए गए हैं जिस पर दस करोड़ चालीस लाख रुपए खर्च किये गए हैं.

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