कोरिया: एक ओर सरकार दावा करती है कि प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य इलाकों का चहुंमुखी विकास हुआ है, लोगों को सारी सुविधाएं मिल रही है. वहीं दूसरी ओर जुहीली ग्राम पंचायत में विकास के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. यहां के ग्रामीण आज भी नाले का पानी पीने को मजबूर हैं. आदिवासी समाज के लोग सड़क किनारे पर बने तुर्रा नाला का पानी पीने को मजबूर हैं. इससे यह बीमार भी पड़ जाते हैं, लेकिन बेबसी के आगे नतमस्तक हैं.
ग्रामीणों की माने तो ये अपने दादा-परदादाओं के जमाने से तुर्रा नाला का पानी ही पी रहे हैं. सड़क ग्रामीण बरसों से पी रहे तुर्रा नाला का पानी ग्रामीण बताते हैं कि सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें बारिश के समय होती है. बारिश के समय पहाड़ों से बहकर गंदा पानी तुर्रा नाला में भर जाता है, जिसके बाद उनके पास साफ पानी लेने का कोई दूसरा स्त्रोत नहीं रह जाता है.
ग्रामीणों को अब सरकार से मदद की आस
तुर्रा नाला मे आश्रित ग्राम जुहीली गांव में करीब 15-20 परिवार रहते हैं. इन परिवार में करीब 75 लोग होंगे, जो बरसों से तुर्रा नाला का पानी पी रहे हैं. गंदा पानी पीने की वजह से उन्हें कई बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है. वहीं बिजली की कमी से भी लोग परेशान रहते हैं. आदिवासी आज भी बदहाली में जीवन यापन कर रहे हैं. इन ग्रामीणों को अब सरकार से मदद की आस है.
बारिश के समय में करना पड़ता है दिक्कतों का सामना
छत्तीसगढ़ में 15 साल तक बीजेपी की सरकार रही, जिसने इस गांव की परेशानियों की कभी सुध नहीं ली. कांग्रेस सरकार को सत्ता में आए करीब डेढ़ साल से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन उन्होंने भी अब तक इस तरफ ध्यान नहीं दिया है. योजनाएं कई आती हैं, लेकिन जमीनी स्तर तक और क्षेत्र के आखिरी व्यक्ति तक ये योजनाएं शायद पहुंच नहीं पाती. सुदूर ग्रामीण अंचलों के लोग युंही सुविधाओं के अभाव में जिंदगी बीता रहे हैं.