ETV Bharat / state

डर के साये में भविष्य गढ़ रहे 110 नौनिहाल

कोरिया: हर साल ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार के लिए करोड़ों का बजट बनता है, लेकिन बजट का फायदा कितना कुछ पहुंच रहा है, ये जानने के लिए आपको ले चलते हैं कोरिया जिले के रोझी गांव. जहां के प्राथमिक शाला में शासन-प्रशासन की उदासीनता झलकेगी. यंहा शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते पंचायत भवन के दो छोटे-छोटे जर्जर कमरों में 110 बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं.

जर्जर स्कूल भवन
author img

By

Published : Jul 24, 2019, 8:47 AM IST

कोरिया: सरकारी सिस्टम के आगे मौत के साये में देश का भविष्य गढ़ते यहां शिक्षक भी मजबूरी की जाल में ऐसे फंसे हैं, जैसे इनके लिए आगे कुआं और पिछे खाई की स्थिति हो. अपनी जान बचाने के लिए खुद स्कूल न आएं तो लापरवाह और अगर जान हथेली पर रख स्कूल आ जाएं तो बच्चों पर मांडराते खतरे से बेपरवाह. लापरवाह, बेपरवाह जैसे तमगे इन्हें तुरंत दे दिए जाते हैं, लेकिन कोई उस सिस्टम तक नहीं पहुंचता है जो सही में इसके लिए जिम्मेदार हैं.

डर के साये में भविष्य गढ़ रहे 110 नौनिहाल

डर के साये में पढ़ रहे 110 बच्चे
कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ विकासखंड के रोझी गांव में हर रोज डर के साये में 110 बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. वादा हर कोई कर रहा है, लेकिन लेकिन हालात आज तक नहीं सुधरे. यहां के शिक्षक बताते हैं, जिले में ऐसा कोई दफ्तर नहीं, जहां उन्होंने हाजिरी न दी हो, लेकिन किसी जिम्मेदार के कान पर जूं तक नहीं रेंगा. शिक्षकों के साथ बच्चों के परिजनों ने स्कूल भवन के लिए भी न जाने कहां-कहां फरियाद लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें भी आश्वासन के अलावा आज तक और कुछ नहीं मिला.

अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी बदहाल है शिक्षा व्यवस्था
शिक्षा में अभूतपूर्व बदलाव और विश्व गुरु का दंभ भरने वाली सरकार कहती है कि उसने शिक्षा के लिए अरबों रुपये बहा दी है, लेकिन कोरिया जिले के रोझी गांव तक उन पैसों की धारा कब कत पहुंचेगी ये तो वहीं बता सकते हैं. फिलहाल यहां की जमीनी हकिकत को देख ऐसा कुछ नहीं लगा जिससे यहां के बच्चे कह सकें कि स्कूल चलें हम.

कोरिया: सरकारी सिस्टम के आगे मौत के साये में देश का भविष्य गढ़ते यहां शिक्षक भी मजबूरी की जाल में ऐसे फंसे हैं, जैसे इनके लिए आगे कुआं और पिछे खाई की स्थिति हो. अपनी जान बचाने के लिए खुद स्कूल न आएं तो लापरवाह और अगर जान हथेली पर रख स्कूल आ जाएं तो बच्चों पर मांडराते खतरे से बेपरवाह. लापरवाह, बेपरवाह जैसे तमगे इन्हें तुरंत दे दिए जाते हैं, लेकिन कोई उस सिस्टम तक नहीं पहुंचता है जो सही में इसके लिए जिम्मेदार हैं.

डर के साये में भविष्य गढ़ रहे 110 नौनिहाल

डर के साये में पढ़ रहे 110 बच्चे
कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ विकासखंड के रोझी गांव में हर रोज डर के साये में 110 बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. वादा हर कोई कर रहा है, लेकिन लेकिन हालात आज तक नहीं सुधरे. यहां के शिक्षक बताते हैं, जिले में ऐसा कोई दफ्तर नहीं, जहां उन्होंने हाजिरी न दी हो, लेकिन किसी जिम्मेदार के कान पर जूं तक नहीं रेंगा. शिक्षकों के साथ बच्चों के परिजनों ने स्कूल भवन के लिए भी न जाने कहां-कहां फरियाद लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें भी आश्वासन के अलावा आज तक और कुछ नहीं मिला.

अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी बदहाल है शिक्षा व्यवस्था
शिक्षा में अभूतपूर्व बदलाव और विश्व गुरु का दंभ भरने वाली सरकार कहती है कि उसने शिक्षा के लिए अरबों रुपये बहा दी है, लेकिन कोरिया जिले के रोझी गांव तक उन पैसों की धारा कब कत पहुंचेगी ये तो वहीं बता सकते हैं. फिलहाल यहां की जमीनी हकिकत को देख ऐसा कुछ नहीं लगा जिससे यहां के बच्चे कह सकें कि स्कूल चलें हम.

Intro:एंकर-कोरिया जिले के बदहाल शिक्षा ब्यवस्था का मामला सामने आया है प्राथमिक पाठशाला रोझी का भवन बदहाल व जर्जर होने की स्थिति में आँशु बहा रहा है शिक्षा का मौलिक अधिकार के बाद 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा शिक्षा का अधिकार सिर्फ कागजों पर सोभाबयानी कर रहे हैं ।इनके परिपालन में कमी के लिये जबाबदेह किसे माना जाय।

।Body:वी ओ -कोरिया जिले के विकाशखण्ड मनेन्द्रगढ़ के रोझी ग्रामपंचायत के प्रथमिल शाला रोझी के भवन की हालत जर्जर अवस्था मे है बरसात सुरु होते ही सिटनुमा छत से पानी टपकने लगा है विद्यालय की दीवारें भी बच्चों को खुद से सुरक्षीत रहने का संदेश दे रही है दीवार में लगी खिड़कियां भी खंडहर में तब्दील होकर डरावनी लग रही है। बरसात आते ही कमरों में पानी भर जाता है अगर पानी ना भी भरे तो फर्श देखकर साफ जाहिर होता है कि इन पर पट्टी ड़ालकर जमीन में बच्चे बैठकर बमुश्किल आराम से पढ़ाई कर पाते होंगे। खंडहर में तब्दील शाला भवन को देखते हुये प्रभारी प्रधान पाठक ने गांव के मुखिया से गुहार लगाकर बच्चोँ को ग्राम पंचायत के दो छोटे कमरों में विद्यालय लगा रहे हैं। जबकि प्राथमिक शाला में 110 बच्चे दर्ज है पंचायत भवन में एक एक कमरे मे 40 से 50 बच्चों को बैठाया जा रहा है।
इन तस्वीरों में आप साफतौर पर देख सकते हैं कि पंचायत भवन के कमरों में बैठे बच्चों के पास पंचायत की सामग्री भी रखी हुई है उसी परिस्थितियों में शिक्षक उन्हें शिक्षा दे रहे हैं ।पंचायत का भी काम प्रभावित हो रहा है।सबसे अहम बात पंचायत भवन में सौचालय तक नही है किस विषम परिस्थिति में ये बच्चे अपने भविष्य को संवारने के जद्दोजहद में लगे है।
सियासत के हुक्मरानों को सिर्फ चुनावी समय बड़े बड़े वादे व लफ्फजे याद रहते है क्षेत्र की ये समस्या निदान की माग भी अनसुनी कर जाते हैं जबकि इस जर्जर भवन की माग सरपंच व प्रभारी प्रधान पाठक ने कई बार बरसात के पूर्व आवेदन निवेदन व जन समस्या निवारण में अर्जियां लगाई की फिर भी स्थिति जस की तस है ।आखिर देश के भविष्य इन बच्चों के साथ कब तक यह भद्दा मजाक होगा जबकि शिक्षा के अधिकार के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों का अधिकार सिर्फ कागजों पर सोभा बढ़ा रहा है।संपूर्ण सुविधा के साथ धरातल पर इनके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी कौन लेगा।Conclusion: जब अधिकारियों से इन विषय पर बात की जाती है तो रटा रटाया बयान दे देते हैं फला फला ब्यक्ति से जानकारी मिली है जल्द ही समस्या का निदान किया जाएगा कैमरे के सामने बड़े शान से कबुलते है कि भवन बहुत पुराना है जर्जर हो गया है पानी भर जा रहा है बच्चों को दिक्कत हो रही है तो आखिरकार समय रहते आप इस पर पहल क्यों नही करते ।
बाइट - रामलाल (सरपंच)
बाइट - शिव प्रसाद (प्रधान पाठक )
बाइट - जे.पी.कुरचनीय (बी.ई.ओ.,मनेन्द्रगढ़)
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.