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मल्टीनेशनल ई-कॉमर्स साइट पर खूब बिक रहे हैं कोरिया में बने बांस के PRODUCTS, पढ़ें खास रिपोर्ट

विश्वभर में करीब 380 से अधिक प्रजाति की बांस पाई जाती है. जिला मुख्यालय के वनमंडल के बैकुंठपुर वन मंडल परिक्षेत्र में गेज नर्सरी में बांस संरक्षित किया गया है, जो छत्तीसगढ़ में पहला बंबू सिस्टम है.

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Published : May 14, 2019, 2:53 PM IST

छत्तीसगढ़ का पहला बंबू सिस्टम

कोरिया: पूरे विश्व में बांस एक ऐसी घास की प्रजाति है जिसे बहुत ही मजबूत और टिकाऊ माना जाता है. इसकी लंबाई के कारण इसे कई प्रकार से उपयोग किया जाता है. विश्वभर में करीब 380 से अधिक प्रजाति की बांस पाई जाती है. कुछ बेहद पतली तो कुछ ड्रम की तरह मोटी होती हैं. इनमें से 135 प्रजातियों को कोरिया जिला मुख्यालय के वनमंडल के बैकुंठपुर वन मंडल परिक्षेत्र में गेज नर्सरी में संरक्षित किया गया है, जो छत्तीसगढ़ में पहला बंबू सिस्टम है.

छत्तीसगढ़ का पहला बंबू सिस्टम

पूर्व जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सिंहदेव ने की थी शुरुआत
ये सिस्टम कोरिया कुमार के नाम से प्रचलित पूर्व जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सिंहदेव (अविभाजित मध्यप्रदेश) की सोच की उपज थी. रामचंद्र ने खुद विदेश दौरे के दौरान वहां की बांस के पौधे यहां रोप कर बांस संरक्षण की शुरुआत की थी. इसी योजना को आगे बढ़ते हुए बांस का संग्रहण और संरक्षण के साथ-साथ पौध तैयार कर उन्हें वनों में लगाया जा रहा है.

बांस के हैं कई उपयोग
बांस से कई तरह के उपयोग किए जा सकते हैं. बांस से फर्नीचर से लेकर सजावटी समान तक बनाए जा सकते हैं जिससे पर्यावरण की सुरक्षा भी हो पाएगी. इसमें लोकल रोपा बांस उपयोग किया जाता है जिससे ग्रमीणों को भी घर बैठे उनके बांस की कीमत मिल सके. बांस का काम करने वाले बसोर जाती को भी इससे रोजगार मिल सकेगा.

ई कॉमर्स वेबसाइट पर डिमांड
कोरिया वनमंडल अधिकारी मनीष कश्यप ने बताया कि छत्तीसगढ़ के पहले बैंबू सिस्टम के तरत ग्रामवासियों को बांस के उपयोग और कारीगरी के लिए जागरूक किया जा रहा है ताकि वनोपज से ग्रामीणों को रोजगार मिल सके. डीएफओ ने बताया कि विगत दो महीनों में दो लाख का ऑर्डर लिया जा चुका है. कोरिया के बांस के बने प्रोडक्ट को बहुराष्ट्रीय ई कॉमर्स वेबसाइट पर भी पसंद किया जा रहा है.

कोरिया: पूरे विश्व में बांस एक ऐसी घास की प्रजाति है जिसे बहुत ही मजबूत और टिकाऊ माना जाता है. इसकी लंबाई के कारण इसे कई प्रकार से उपयोग किया जाता है. विश्वभर में करीब 380 से अधिक प्रजाति की बांस पाई जाती है. कुछ बेहद पतली तो कुछ ड्रम की तरह मोटी होती हैं. इनमें से 135 प्रजातियों को कोरिया जिला मुख्यालय के वनमंडल के बैकुंठपुर वन मंडल परिक्षेत्र में गेज नर्सरी में संरक्षित किया गया है, जो छत्तीसगढ़ में पहला बंबू सिस्टम है.

छत्तीसगढ़ का पहला बंबू सिस्टम

पूर्व जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सिंहदेव ने की थी शुरुआत
ये सिस्टम कोरिया कुमार के नाम से प्रचलित पूर्व जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सिंहदेव (अविभाजित मध्यप्रदेश) की सोच की उपज थी. रामचंद्र ने खुद विदेश दौरे के दौरान वहां की बांस के पौधे यहां रोप कर बांस संरक्षण की शुरुआत की थी. इसी योजना को आगे बढ़ते हुए बांस का संग्रहण और संरक्षण के साथ-साथ पौध तैयार कर उन्हें वनों में लगाया जा रहा है.

बांस के हैं कई उपयोग
बांस से कई तरह के उपयोग किए जा सकते हैं. बांस से फर्नीचर से लेकर सजावटी समान तक बनाए जा सकते हैं जिससे पर्यावरण की सुरक्षा भी हो पाएगी. इसमें लोकल रोपा बांस उपयोग किया जाता है जिससे ग्रमीणों को भी घर बैठे उनके बांस की कीमत मिल सके. बांस का काम करने वाले बसोर जाती को भी इससे रोजगार मिल सकेगा.

ई कॉमर्स वेबसाइट पर डिमांड
कोरिया वनमंडल अधिकारी मनीष कश्यप ने बताया कि छत्तीसगढ़ के पहले बैंबू सिस्टम के तरत ग्रामवासियों को बांस के उपयोग और कारीगरी के लिए जागरूक किया जा रहा है ताकि वनोपज से ग्रामीणों को रोजगार मिल सके. डीएफओ ने बताया कि विगत दो महीनों में दो लाख का ऑर्डर लिया जा चुका है. कोरिया के बांस के बने प्रोडक्ट को बहुराष्ट्रीय ई कॉमर्स वेबसाइट पर भी पसंद किया जा रहा है.

Intro:एंकर - कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के कोरिया वन मंडल के बैकुंठपुर वन परिक्षेत्र में 135 तरह की बांस का संरक्षण एवं पौध तैयार करने में छत्तीसगढ़ का पहला बैंबू सैटम तैयार
किया गया है। जबकि विश्व भर में 380 से अधिक प्रकार के प्रजाति की बांस पाई जाती है।बांस को क्लाइमेट व ग्लोबल वार्मिग के लिये बहुत उपयोगी माना जाता है इसलिये 10 वर्ष पूर्व चालू बांस प्रसंस्करण योजना को अतिशीघ्र बढ़ाया जा रहा है.Body:व्ही.ओ. - पूरे विश्व में बांस एक ऐसी घास की प्रजाति है जिसे बहुत ही मजबूत और टिकाऊ माना जाता है तथा उसकी लंबाई के कारण इसे कई प्रकार से उपयोग किया जाता है विश्वभर में करीब 380 से अधिक प्रजाति की बांस पाई जाती है जो घास की तरह पतली से लेकर ड्रम की तरह मोटी होती है।इनमें से 135 प्रजातियों को कोरिया जिला मुख्यालय के वनमंडल के बैकुंठपुर वन मंडल परिक्षेत्र में गेज नर्सरी पर संरक्षण किया गया है तथा बांसों का पौधा तैयार किया गया है यह छत्तीसगढ़ में पहला बंबू सिस्टम है । यहां विश्व के
अनेक प्रकार की बांस की प्रजातियों का संरक्षण करने की योजना कोरिया कुमार पूर्व जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सिंहदेव (अविभाजित मध्यप्रदेश) की सोच की उपज थी जिन्होंने खुद विदेश दौरे के दौरान वहाँ की बांस के पौधे यहाँ रोप कर बांस संरक्षण की शुरुआत की थी । अब उसी योजना को आगे बढ़ते हुए बैकुण्ठपुर के गेज नर्सरी में 135 प्रजातियों के बांस का संग्रहण और संरक्षण के साथ साथ पौध तैयार कर वनों में लगाया जा रहा है इस सोच के साथ कि कई मामले में लोहे और प्लास्टिक के विकल्प के रूप में बांस की उपयोगिता सुनिश्चित की जा सके । बांस से कई तरह के उपयोग किए जा सकते हैं फर्नीचर से लेकर सजावटी समान तक जिससे पर्यावरण की सुरक्षा भी हो पाएगी। कोरिया में बांस सज्जा के
सामान फ्लावर व बुके पेन होल्डर डस्टबीन घरों में उपयोग आने वाली ट्रे लैंप बनाया जा रहा है । इसमें लोकल रोपा बाँस उपयोग किया जाता है जिससे ग्रमीणों को भी घर बैठे उनके
बाँस की कीमत मिल सके बाँस का काम करने वाले बसोर जाती को रोजगार प्राप्त हो।यहाँ बाँस सिक की तरह पतली से लेकर बाल्टी व ड्रम की तरह होती है जिसके पोर में 20 से 25 लीटर पानी या अन्य तरल पदार्थ संग्रहित किया जा सकता है । कोरिया वनमंडलाधिकारी मनीष कस्यप ने बताया कि यह छत्तीसगढ़ का पहला बैम्बू सैटम सफल रहा ग्रामवासियों को उपयोग व कारीगरी के लिए जागरूक किया जा रहा है ताकि वनोपज से ग्रामीण को रोजगार मिल सके । डीएफओ ने बताया कि विगत दो माह में 2 लाख का ऑर्डर ले चुके हैं हमारा अगला कदम होगा कि छत्तीसगढ़ राजधानी रायपुर के माल में खुद की दुकान होगी जो राज्य का पहला शाप होगा कोरिया के बाँस के बने प्रोडक्ट को बहुराष्ट्रीय कंपनी अमेज़ॉन में
भी पसंद किया जा रहा है

बाईट - मनीष कश्यप (डी एफ ओ, कोरिया)Conclusion:,
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