कोरिया: पूरे विश्व में बांस एक ऐसी घास की प्रजाति है जिसे बहुत ही मजबूत और टिकाऊ माना जाता है. इसकी लंबाई के कारण इसे कई प्रकार से उपयोग किया जाता है. विश्वभर में करीब 380 से अधिक प्रजाति की बांस पाई जाती है. कुछ बेहद पतली तो कुछ ड्रम की तरह मोटी होती हैं. इनमें से 135 प्रजातियों को कोरिया जिला मुख्यालय के वनमंडल के बैकुंठपुर वन मंडल परिक्षेत्र में गेज नर्सरी में संरक्षित किया गया है, जो छत्तीसगढ़ में पहला बंबू सिस्टम है.
पूर्व जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सिंहदेव ने की थी शुरुआत
ये सिस्टम कोरिया कुमार के नाम से प्रचलित पूर्व जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सिंहदेव (अविभाजित मध्यप्रदेश) की सोच की उपज थी. रामचंद्र ने खुद विदेश दौरे के दौरान वहां की बांस के पौधे यहां रोप कर बांस संरक्षण की शुरुआत की थी. इसी योजना को आगे बढ़ते हुए बांस का संग्रहण और संरक्षण के साथ-साथ पौध तैयार कर उन्हें वनों में लगाया जा रहा है.
बांस के हैं कई उपयोग
बांस से कई तरह के उपयोग किए जा सकते हैं. बांस से फर्नीचर से लेकर सजावटी समान तक बनाए जा सकते हैं जिससे पर्यावरण की सुरक्षा भी हो पाएगी. इसमें लोकल रोपा बांस उपयोग किया जाता है जिससे ग्रमीणों को भी घर बैठे उनके बांस की कीमत मिल सके. बांस का काम करने वाले बसोर जाती को भी इससे रोजगार मिल सकेगा.
ई कॉमर्स वेबसाइट पर डिमांड
कोरिया वनमंडल अधिकारी मनीष कश्यप ने बताया कि छत्तीसगढ़ के पहले बैंबू सिस्टम के तरत ग्रामवासियों को बांस के उपयोग और कारीगरी के लिए जागरूक किया जा रहा है ताकि वनोपज से ग्रामीणों को रोजगार मिल सके. डीएफओ ने बताया कि विगत दो महीनों में दो लाख का ऑर्डर लिया जा चुका है. कोरिया के बांस के बने प्रोडक्ट को बहुराष्ट्रीय ई कॉमर्स वेबसाइट पर भी पसंद किया जा रहा है.