कोरिया : लोगों को कम कीमत में साफ पानी देने के लिए कोरिया जिले में कोरिया नीर के नाम से वाटर प्यूरिफिकेशन प्लांट लगाए गए थे. जिले के अलग अलग नगरीय निकाय और ग्रामीण इलाकों में लगाए गए इन प्लांट्स की हर यूनिट पर सात लाख रुपए खर्च हुए. अविभाजित कोरिया जिले में ऐसे सत्तर प्लांट लगे थे. जिसमें से 15 प्लांट बंद हैं. आलम ये है कि कलेक्टर कार्यालय के पास संचालित कोरिया नीर एक साल से बंद है.जिसके कारण लोगों को साफ पानी नहीं मिल पा रहा है.
कितनी जगहों पर खुला है प्लांट : कोरिया जिले के कलेक्टर रहे एस प्रकाश की पहल पर पांचों विकासखण्ड में सात साल पहले वाटर प्यूरिफिकेशन प्लांट लगाए गए. जिसे कोरिया नीर नाम दिया गया. इस प्लांट के जरिये लोगों को एक रुपए में पांच लीटर शुद्ध पेयजल मिलने लगा.अविभाजित कोरिया जिले की अगर बात करें तो बैकुंठपुर ब्लॉक में सत्ताईस खड़गवां में अठ्ठारह, मनेन्द्रगढ़ में चौदह, भरतपुर में छह और सोनहत ब्लॉक में पांच वाटर एटीएम लगाए गए. इन्हें डीएमएफ और सीएसआर मद से लगाया गया. नगरीय क्षेत्र में नगरीय निकाय और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत के हैंडओवर इन प्लांट को कर दिया गया.
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क्यों हैं यूनिट बंद : वाटर प्यूरिफाइ यूनिट के संचालन में आमदनी कम और खर्चा ज्यादा आने के कारण ये यूनिट बंद होते गए. प्लांट की मशीनों में समस्या आने पर टेक्नीशियन नहीं मिलने के कारण भी कई मशीनों को चलाने में दिक्कत आई.वहीं कई जगहों में प्लांट की सुरक्षा के लगे कर्मचारी की मजदूरी भी नहीं निकलती.तो कहीं लो वोल्टेज के कारण मशीन काम नहीं करता.जिसके कारण कई वाटर प्लांट्स में ताला लटकने लगा. पीएचई विभाग ने इन प्लांटों की स्थापना का काम करवाया था. लेकिन नगरीय निकाय और ग्राम पंचायत को हैंडओवर कर देने के बाद उनकी जिम्मेदारी अब नही रह गई है.प्लांट से राजस्व नहीं आने के कारण इनके संचालन में दिक्कत आती है.