कोरिया: पुरातत्व विभाग की अनदेखी से जिले की अनमोल धरोहर नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है. जिले में सदियों पुरानी परंपराओं को समेटे अनमोल धरोहर मौजूद हैं. लेकिन इनके संरक्षण के लिए कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है. घघरा में एक प्राचीन शिव मंदिर है. मान्यता है कि यह प्रचीन शिव मंदिर महाभारत काल का है. लेकिन संरक्षण के अभाव में प्रचीन धरोहर धीरे-धीरे नष्ट होता जा रहा है.
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इस प्रचीन मंदिर को बचाने की पहल ना तो पुरातत्व विभाग कर रहा ना ही स्थानीय प्रशासन इस पर ध्यान दे रहा है. घघरा का यह प्राचीन शिव मंदिर पुरातत्व विभाग की उपेक्षा के कारण अपना अस्तित्व खो रहा है. फिलहाल गांव के लोग आज भी मंदिर में पूजा के लिए पहुंचते हैं.
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ऐतिहासिक मंदिर है घाघरा का प्राचीन शिव मंदिर
मंदिर में बरसों पुराने राजा-महाराजाओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं. इनमें से एक आसमानी बिजली गिरने के कारण क्षतिग्रस्त हुआ है. शिव मंदिर की बनावट अद्भुत कारीगरी के साथ की गई है. मंदिर में उपयोग किए गए सभी पत्थरों पर नक्काशी किया गया है. रखरखाव के अभाव में पत्थरों का संतुलन बिगड़ता जा रहा है. जानकारों का मानना है कि यह मंदिर तीसरी-चौथी शताब्दी का हो सकता है. क्षेत्र में और बहुत से ऐसे प्राचीन काल के दार्शनिक स्थल मौजूद हैं. जिनके नष्ट होने का खतरा बना हुआ है. ग्राम पंचायत के सरपंच का कहना है कि इसके सुधार के लिए कई बार पुरातत्व विभाग को लिखित सूचना दी गई है. लेकिन अभी तक कोई ठोस पहल इस ओर नहीं की गई है.
दिसंबर महीने में मिली थी मूर्तियां
भरतपुर विकास खंड के अंतर्गत ग्राम उचेहरा में दिसंबर 2020 में मकान के लिए खोदाई किया जा रहा था. खुदाई के दौरान प्राचीन खंडित मूर्तियां निकलने लगी थी.जिसके बाद उन्हें भगवान बुद्ध का पूरा चेहरा मिला जो पत्थरों का बना हुआ है. खंडित मूर्ति पाए जाने से खुदाई कर रहे लोग आश्चर्यचकित हो उठे. मूर्ति मिलने की सूचना पर गांव के तमाम लोग इकट्ठा हो गए.खुदाई कर रहे नंदलाल बैगा ने खंडित मूर्तियों के टुकड़ों को वहीं पर स्थापित कर दिया. खुदाई में निकली हुई ज्यादातर मूर्तियां भगवान बुद्ध की है. स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी काल में यहां बौद्ध धर्म के मानने वाले लोग रहते होंगे.