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कोरिया में छात्रा ने चित्रकला को ही बना लिया रोजगार का साधन

छत्तीसगढ़ कोरिया जिले के चिरिमिरी में एक युवती ने कोरोना काल (corona period) के लॉकडाउन ( lockdown) को ही अपने रोजगार का साधन (source of employment) बना लिया. एक निपुण चित्रकार (skillful painter) के रूप में आज वह काम कर रही है और उसे शहर के अलावा बाहर से भी बहुत काम मिल रहा है.

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Published : Sep 16, 2021, 10:21 PM IST

School student made painting a means of employment in lockdown
स्कूल की छात्रा ने लॉकडाउन में चित्रकला को ही बना लिया रोजगार का साधन

कोरियाः यूं तो कोरोना काल ने अनगिनत बेरोजगार (countless unemployed) पैदा किए. पर कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने आपदा को अवसर (opportunity for disaster) में बदल दिया. हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ कोरिया जिले के चिरिमिरी की. जहां एक युवती ने कोरोना काल में लॉकडाउन के समय को अपने हुनर से अपने लिए रोजगार का साधन (source of employment) तैयार किया है.

स्कूल की छात्रा ने लॉकडाउन में चित्रकला को ही बना लिया रोजगार का साधन

चिरिमिरी की सेजल गुप्ता एक लोकप्रिय और काफी निपुण चित्रकार (popular and highly accomplished painter) के तौर पर काम कर रही हैं. उन्हें शहर के अलावा बाहर से भी बहुत काम मिल रहा है. चित्रकारी में उसकी निपुणता (dexterity) को देखते हुए लोग अपना और अपने परिवार के सदस्यों की चित्र बनाने के लिए कह रहे हैं. जिसके एवज में सेजल को लोग मनचाहा फीस (desired fee) भी दे रहे हैं.

सेजल भी अपनी कला से किसी का भी हु-ब-हु तस्वीर (picture) बना देती है. जिसके लिए वह अपनी एक फीस तय कर रखी है. चित्रकारी में सेजल की अच्छी खासी कमाई हो जा रही है. उसके पास छत्तीसगढ़ से लेकर मध्य प्रदेश के अलावा और भी कई जगहों से काम आ रहा है. उसने छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष (speaker of the Assembly) चरणदास महान व उनकी पत्नी सांसद (Member of parliament) ज्योसना महंत की भी तस्वीर बनाई है. मध्य प्रदेश के विधायक (MLA) की भी तस्वीर बनाई है. सेजल पेंसिल से किसी की भी तस्वीर बना लेती है.

जीवन के अंतिम दिनों में सम्मान की आस में चित्रकार श्रवण कुमार

पहले थीं स्कूल में टीचर

सेजल का कहना है कि पहली बार जब लॉकडाउन लगा था तब वह एक स्कूल में टीचर (teacher in school) का काम कर रही थी. जब स्कूल बंद हुआ तो वह घर पर ही सबसे पहले अपनी तस्वीर बनाने की कोशिश की. कुछ हद तक तो वह अपनी तस्वीर बना भी ली थी. फिर उसे विश्वास हुआ कि वह किसी की भी तस्वीर को कैनवास (canvas) पर उकेर सकती है. फिर क्या था, विश्वास और पूरे लगन के साथ उसने चित्रकारी के क्षेत्र में अपना कदम आगे बढ़ाया. आज परिणाम सभी के सामने है. महज एक साल में बिना गुरु, बिना किसी से प्रशिक्षण (Training) लिए वह अच्छा से अच्छा कलाचित्र (artwork) बना ले रही है. उसके माता-पिता को भी उस पर गर्व है. सेजल सोशल मीडिया (social media) के माध्यम से अपनी हुनर को दूर-दूर तक फैला रही है, जिसका परिणाम है कि उसको जो काम भी मिला रहा है, सोशल मीडिया के माध्यम से मिल रहा है.

कोरियाः यूं तो कोरोना काल ने अनगिनत बेरोजगार (countless unemployed) पैदा किए. पर कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने आपदा को अवसर (opportunity for disaster) में बदल दिया. हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ कोरिया जिले के चिरिमिरी की. जहां एक युवती ने कोरोना काल में लॉकडाउन के समय को अपने हुनर से अपने लिए रोजगार का साधन (source of employment) तैयार किया है.

स्कूल की छात्रा ने लॉकडाउन में चित्रकला को ही बना लिया रोजगार का साधन

चिरिमिरी की सेजल गुप्ता एक लोकप्रिय और काफी निपुण चित्रकार (popular and highly accomplished painter) के तौर पर काम कर रही हैं. उन्हें शहर के अलावा बाहर से भी बहुत काम मिल रहा है. चित्रकारी में उसकी निपुणता (dexterity) को देखते हुए लोग अपना और अपने परिवार के सदस्यों की चित्र बनाने के लिए कह रहे हैं. जिसके एवज में सेजल को लोग मनचाहा फीस (desired fee) भी दे रहे हैं.

सेजल भी अपनी कला से किसी का भी हु-ब-हु तस्वीर (picture) बना देती है. जिसके लिए वह अपनी एक फीस तय कर रखी है. चित्रकारी में सेजल की अच्छी खासी कमाई हो जा रही है. उसके पास छत्तीसगढ़ से लेकर मध्य प्रदेश के अलावा और भी कई जगहों से काम आ रहा है. उसने छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष (speaker of the Assembly) चरणदास महान व उनकी पत्नी सांसद (Member of parliament) ज्योसना महंत की भी तस्वीर बनाई है. मध्य प्रदेश के विधायक (MLA) की भी तस्वीर बनाई है. सेजल पेंसिल से किसी की भी तस्वीर बना लेती है.

जीवन के अंतिम दिनों में सम्मान की आस में चित्रकार श्रवण कुमार

पहले थीं स्कूल में टीचर

सेजल का कहना है कि पहली बार जब लॉकडाउन लगा था तब वह एक स्कूल में टीचर (teacher in school) का काम कर रही थी. जब स्कूल बंद हुआ तो वह घर पर ही सबसे पहले अपनी तस्वीर बनाने की कोशिश की. कुछ हद तक तो वह अपनी तस्वीर बना भी ली थी. फिर उसे विश्वास हुआ कि वह किसी की भी तस्वीर को कैनवास (canvas) पर उकेर सकती है. फिर क्या था, विश्वास और पूरे लगन के साथ उसने चित्रकारी के क्षेत्र में अपना कदम आगे बढ़ाया. आज परिणाम सभी के सामने है. महज एक साल में बिना गुरु, बिना किसी से प्रशिक्षण (Training) लिए वह अच्छा से अच्छा कलाचित्र (artwork) बना ले रही है. उसके माता-पिता को भी उस पर गर्व है. सेजल सोशल मीडिया (social media) के माध्यम से अपनी हुनर को दूर-दूर तक फैला रही है, जिसका परिणाम है कि उसको जो काम भी मिला रहा है, सोशल मीडिया के माध्यम से मिल रहा है.

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