कोरिया: कोरोना संकट के दौरान पलायन कर चुके श्रमिकों के लिए घर वापस आना एक कठिन चुनौती से कम नहीं था. इस कठिन समय में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना श्रमिकों का सहारा बनी. सितंबर महीने की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में श्रमिकों को सबसे ज्यादा रोजगार प्राप्त हुआ है.
एक आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में जिले में 1 लाख 12 हजार 631 पंजीकृत श्रमिक परिवार हैं, जिन्हें जॉब कार्ड जारी किया गया है. लॉकडाउन के दौरान तीन महीने में ही जिले में कुल 6 हजार 932 परिवारों को उनकी आवश्यकता और मांग के आधार पर जॉब कार्ड जारी कर महात्मा गांधी मनरेगा योजना के तहत जोड़ा गया. इन जारी किए गए जॉब कार्डों में 15 हजार 731 श्रमिकों को जोड़ा गया है.
कई श्रमिकों को मिला रोजगार
जिले के सुदूर वनांचल जनकपुर के दशरथ सूरत की कपड़ा मिल में सामान्य श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे थे. लॉकडाउन के दौरान उनकी नौकरी चली गई. दशरथ बताते हैं कि वह जब घर आ रहे थे. तो उन्हें रोजगार की चिंता सता रही थी, लेकिन यहां आने के बाद ग्राम पंचायत के सचिव ने उनसे मुलाकात की और उन्हे महात्मा गांधी मनरेगा के तहत जॉब कार्ड निःशुल्क बनाकर प्रदान किया. इसके बाद दशरथ ने काम करने की इच्छा जताई और उन्हे गांव में ही दो सप्ताह का काम उपलब्ध कराया गया.
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कुछ ऐसी ही कहानी ग्राम पंचायत देवगढ़ के रहने वाले सुग्रीव की भी है. वह भी सूरत में अकुशल श्रमिक के रूप में लंबे समय से काम कर रहे थे. कोरोना संकट के दौरान उन्हें भी ग्राम पंचायत ने जॉब कार्ड उपलब्ध कराया. काम की मांग के आधार पर उन्हे गांव में ही मनरेगा के तहत स्वीकृत तालाब गहरीकरण में दो सप्ताह का काम मिल गया.
इस तरह से देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले कोरिया जिले के मूल निवासियों को अपने गांव आने पर मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनाकर उपलब्ध कराया गया है. जिससे उनके 100 दिन के रोजगार की गारंटी बन गई है.