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कोरिया: स्कूलों में रह रहे 22 पीड़ित परिवारों को घर मिलने का इंतजार - SECL news

चिरमिरी में खदानों की वजह से घरों और सड़कों में दरार पड़ गई थी. 22 परिवारों को स्कूल में शिफ्ट किया गया था, लेकिन लगभग 3 हफ्ते बाद भी पीड़ित परिवारों को रहने के लिए घर नहीं मिल सका है, जबकि NTPC प्रबंधन ने 18 फरवरी तक उन्हें मकानों में शिफ्ट करने का वादा किया था.

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पीड़ित परिवारों को राहत का इंतजार
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Published : Feb 18, 2021, 2:16 PM IST

कोरिया: जिले के नगर निगम चिरमिरी में खदानों की वजह से कुछ घरों में दरार पड़ गई थी. क्षतिग्रस्त घरों के हालातों को देखते हुए 22 परिवारों को स्कूल में शिफ्ट किया गया थ. इस घटना के दो हफ्ते बाद हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि आपदा की चपेट में आए लोगों को एसईसीएल अपने खाली पड़े घरों में शिफ्ट करेगा, लेकिन लगभग 3 हफ्ते बाद भी स्कूल में शिफ्ट परिवारों को मकान नहीं मिल सका है. ऐसे में प्रभावित परिवारों में आक्रोश है.

22 पीड़ित परिवारों को घर का इंतजार

1 फरवरी की रात वार्ड नंबर 16 के एक हिस्से में लोगों को भूकंप के झटके जैसा अहसास हुआ. जिससे घबराए लोग अपने मकानों से बाहर निकल गए. उस समय उन्हें कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. चिरमिरी के हल्दी बाड़ी के स्टेट बैंक के पास जमीन धंसने से सड़कों पर मोटी-मोटी दरारें पड़ गई थीं. कई घरों में भी दरारें पड़ गई थीं. एक घर पूरी तरह से गिर गया. बाकी घरों की हालत भी ठीक नहीं थी. नगरीय प्रशासन की ओर से क्षेत्र में बने मकान खाली करवा दिए गए थे.

दूसरे दिन सुबह एक बार जमीन में फिर से हलचल हुई. जिसे देखते हुए सुरक्षाकर्मी वहां पहुंचे. पूरे एरिया को खाली करवा दिया गया. उस रास्ते से आने-जाने वाली सड़क को बंद कर दिया गया. हादसे के 15 दिन बीत जाने के बाद नगरीय प्रशासन और एसईसीएल की एक बैठक हुई. बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी प्रभावित परिवारों को एसईसीएल शिफ्ट करेगा, लेकिन लगभग 3 हफ्ते से स्कूल परिसर में रह रहे लोग आज भी अपने मकान के लिए तरस रहे हैं. एसईसीएल ने कहा है कि 18 तारीख के बाद से हम खाना भी नहीं दे पाएंगे.

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लोगों में आक्रोश

बैठक में निर्णय लिया गया था कि जल्द ही प्रभावितों को रहने के लिए मकान दिया जाएगा. जिनका पट्टा है, उन्हें मुआवजा भी दिया जएगा, लेकिन अभी तक इस ओर कोई भी ठोस पहल नहीं की गई है. ऐसे में लोगों में प्रशासन और एसईसीएल के प्रति आक्रोश है.

18 दिनों से कामकाज प्रभावित

लोगों का कहना है कि 18 दिनों से कामकाज प्रभावित है. उन्हें घर, जमीन और मुआवजा चाहिए. उनका कहना है कि विधायक और महापौर यहां आए. हमें जमीन और मकान दिलाने का आश्वासन देकर गए हैं, लेकिन अब तक कुछ नहीं मिला. उनका कहना है कि हम गरीब हैं, हमारी मदद प्रशासन जल्द करे.

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विधायक ने लिया संज्ञान

विधायक विनय जायसवाल ने कहा कि कलेक्टर कार्यालय में मीटिंग हुई थी. निर्णय लिया गया था कि जिन परिवारों को राहत शिविर में रखा गया है, उन्हें एसईसीएल के खाली पड़े मकानों में शिफ्ट कराया जाएगा. मौके का मुआयना किया जाएगा और उस हिसाब से उन्हें मुआवजा भी दिया जाएगा. मनेंद्रगढ़ विधायक विनय जायसवाल ने कहा कि जो परिवार वहां रह रहे थे, वो लीज की जमीन थी. उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों का प्रकरण बनाकर दिया जएगा, ताकि उन्हें जमीन का मालिकाना हक मिल सके. विधायक ने कहा कि जिन्हें राजीव गांधी आवास योजना का पट्टा मिला हुआ है, उन्हें चिन्हित करके सरकार उन्हें जमीन देने का काम करेगी. यह प्रस्ताव हमने कलेक्टर ऑफिस में दिया है.

अब सवाल यह उठता है कि 18 दिन से राहत शिविर में रह रहे लोगों को कब तक नए मकान में शिफ्ट किया जाएगा.

कोरिया: जिले के नगर निगम चिरमिरी में खदानों की वजह से कुछ घरों में दरार पड़ गई थी. क्षतिग्रस्त घरों के हालातों को देखते हुए 22 परिवारों को स्कूल में शिफ्ट किया गया थ. इस घटना के दो हफ्ते बाद हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि आपदा की चपेट में आए लोगों को एसईसीएल अपने खाली पड़े घरों में शिफ्ट करेगा, लेकिन लगभग 3 हफ्ते बाद भी स्कूल में शिफ्ट परिवारों को मकान नहीं मिल सका है. ऐसे में प्रभावित परिवारों में आक्रोश है.

22 पीड़ित परिवारों को घर का इंतजार

1 फरवरी की रात वार्ड नंबर 16 के एक हिस्से में लोगों को भूकंप के झटके जैसा अहसास हुआ. जिससे घबराए लोग अपने मकानों से बाहर निकल गए. उस समय उन्हें कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. चिरमिरी के हल्दी बाड़ी के स्टेट बैंक के पास जमीन धंसने से सड़कों पर मोटी-मोटी दरारें पड़ गई थीं. कई घरों में भी दरारें पड़ गई थीं. एक घर पूरी तरह से गिर गया. बाकी घरों की हालत भी ठीक नहीं थी. नगरीय प्रशासन की ओर से क्षेत्र में बने मकान खाली करवा दिए गए थे.

दूसरे दिन सुबह एक बार जमीन में फिर से हलचल हुई. जिसे देखते हुए सुरक्षाकर्मी वहां पहुंचे. पूरे एरिया को खाली करवा दिया गया. उस रास्ते से आने-जाने वाली सड़क को बंद कर दिया गया. हादसे के 15 दिन बीत जाने के बाद नगरीय प्रशासन और एसईसीएल की एक बैठक हुई. बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी प्रभावित परिवारों को एसईसीएल शिफ्ट करेगा, लेकिन लगभग 3 हफ्ते से स्कूल परिसर में रह रहे लोग आज भी अपने मकान के लिए तरस रहे हैं. एसईसीएल ने कहा है कि 18 तारीख के बाद से हम खाना भी नहीं दे पाएंगे.

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लोगों में आक्रोश

बैठक में निर्णय लिया गया था कि जल्द ही प्रभावितों को रहने के लिए मकान दिया जाएगा. जिनका पट्टा है, उन्हें मुआवजा भी दिया जएगा, लेकिन अभी तक इस ओर कोई भी ठोस पहल नहीं की गई है. ऐसे में लोगों में प्रशासन और एसईसीएल के प्रति आक्रोश है.

18 दिनों से कामकाज प्रभावित

लोगों का कहना है कि 18 दिनों से कामकाज प्रभावित है. उन्हें घर, जमीन और मुआवजा चाहिए. उनका कहना है कि विधायक और महापौर यहां आए. हमें जमीन और मकान दिलाने का आश्वासन देकर गए हैं, लेकिन अब तक कुछ नहीं मिला. उनका कहना है कि हम गरीब हैं, हमारी मदद प्रशासन जल्द करे.

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विधायक ने लिया संज्ञान

विधायक विनय जायसवाल ने कहा कि कलेक्टर कार्यालय में मीटिंग हुई थी. निर्णय लिया गया था कि जिन परिवारों को राहत शिविर में रखा गया है, उन्हें एसईसीएल के खाली पड़े मकानों में शिफ्ट कराया जाएगा. मौके का मुआयना किया जाएगा और उस हिसाब से उन्हें मुआवजा भी दिया जाएगा. मनेंद्रगढ़ विधायक विनय जायसवाल ने कहा कि जो परिवार वहां रह रहे थे, वो लीज की जमीन थी. उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों का प्रकरण बनाकर दिया जएगा, ताकि उन्हें जमीन का मालिकाना हक मिल सके. विधायक ने कहा कि जिन्हें राजीव गांधी आवास योजना का पट्टा मिला हुआ है, उन्हें चिन्हित करके सरकार उन्हें जमीन देने का काम करेगी. यह प्रस्ताव हमने कलेक्टर ऑफिस में दिया है.

अब सवाल यह उठता है कि 18 दिन से राहत शिविर में रह रहे लोगों को कब तक नए मकान में शिफ्ट किया जाएगा.

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