कोरबा: धान की फसल में लगने वाली अधिक मेहनत, खर्च और पानी के कारण किसान अब गेहूं की खेती करना अधिक पसंद कर रहे हैं. कृषि विभाग भी अहम सलाह और सुविधा उपलब्ध कराने की बात कह रहा है, लेकिन किसानों के पास अब भी कई समस्याएं हैं. कई किसान ऐसे हैं जिन्होंने गेहूं की फसल उगाने की शुरुआत कर दी है. तो कुछ अभी बोरवेल और अन्य सुविधाओं के इंतजार में हैं. हालांकि किसान यह जरूर मानते हैं कि गेहूं की फसल कम मेहनत में अधिक लाभ देने वाली है, जिसके कारण ही इस वर्ष कृषि विभाग ने गेहूं की फसल का रकबा बढ़ाने की बात भी कही है.
इस साल 48 हजार हेक्टेयर में उगाई जाएगी रबी की फसल: सरकार से इस बार कोरबा के कृषि विभाग को 48 हजार 50 हेक्टेयर में रबी फसल उगाने का लक्ष्य मिला है. जो कि पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है. कृषि विभाग ने खाद, बीज की सहायता भी उपलब्ध कराई है. जिसके कारण सैंकड़ो किसानों ने गेहूं की फसल लगा ली है. कृषि विभाग से यह जानकारी भी मिली है कि रबी फसल के लिए अब तक की स्थिति में 30 फीसद बोहनी पूरी हो चुकी है. क्षेत्र विस्तार का काम लगातार जारी है. किसानों को आवश्यक सलाह और सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है.
गेहूं की फसल के लिए काली मिट्टी जरूरी: दरअसल गेहूं की फसल उगाने के लिए एक समस्या यह भी है कि इस तरह की फसल काली मिट्टी के खेत में उगाई जाती है. लेकिन छत्तीसगढ़ में 50 फीसद से अधिक इलाकों में लाल, पीली मिट्टी पाई जाती है. कोरबा के कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो यहां ज्यादातर खेत लाल और पीली मिट्टी वाले हैं. काली मिट्टी का क्षेत्र काफी कम है. यहां भी गेहूं उगाने की राह में एक रोड़ा है. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि लाल, पीली मिट्टी में गेहूं नहीं उगाई जा सकती.
गेहूं की फसल अच्छी लेकिन सुविधाओं का अभाव: कोरबा के किसान बोधराम कंवर कहते हैं कि मेरे पास 2 एकड़ खेत है. अक्सर मैं धान की फसल ही उगता हूं. हालांकि रबी की फसल कम मेहनत में और कम पानी में उगाई जा सकती है. लाभ भी अधिक मिलता है. गेहूं की फसल के लिए सूखे मौसम में बोरवेल की जरूरत है. तभी पानी का इंतजाम होगा.इसके इंतजाम में लगा हुआ हूं, इस बार में गेहूं की फसल बोने की सोच रहा हूं."
गेहूं की फसल हर मायने में धान से बेहतर है. पानी भी कम लगता है,कम मेहनत में अच्छी पैदावार मिल जाती है. गेहूं का दाम भी अधिक मिलता है इसलिए किसानों का रुझान गेहूं की तरफ है. -रथ राम, किसान
आवश्यक सलाह और खाद-बीज भी कराया जा रहा उपलब्ध: इस बारे में कोरबा के कृषि विभाग असिस्टेंट डायरेक्टर डीपीएस कंवर ने कहा कि, "रबी फसल किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है. इस बार हमने इसका लक्ष्य भी बढ़ाया है. 30 फीसद बोनी भी पूरी हो चुकी है. किसानों को आवश्यक सलाह के साथ ही खाद बीज भी उपलब्ध करा रहे हैं. ताकि उन्हें अधिक लाभ मिले. प्रयास है कि गेहूं जैसी फसलों का अधिक से अधिक क्षेत्र विस्तार किया जाए."
धान की तुलना में आधा पानी और मेहनत: गेहूं की फसल किसानों के लिए फायदे का सौदा इसलिए भी है क्योंकि धान की तुलना में गेहूं में इससे लगभग आधा पानी लगता है. धान बरसात के मौसम में बोया जाता है. किसान कीचड़ से लथपथ होकर इसे उगाते हैं. पानी कम पड़ने पर धान के मर जाने का खतरा होता है. जबकि गेहूं के मामले में ऐसा नहीं है. गेहूं सूखे मौसम में भी आसानी से उगाया जा सकता है. कम पानी और कम मेहनत में यह अच्छी पैदावार देता है. धान की तुलना में गेहूं के दाम भी 20 से 30 फीसद तक अधिक मिलते हैं. इसलिए यह किसानों के लिए बेहद फायदे का सौदा है.