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Demand Of Land Lease In Korba: कोरबा में जमीन पट्टे की मांग तेज, राजीव आश्रय योजना के तहत लोगों ने कलेक्टर से मांगा पट्टा - Ward residents reached Janchoupal in korba

Demand Of Land Lease In Korba: कोरबा में राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत पट्टा की मांग को लेकर 3 नंबर वार्ड के वार्डवासी कटेक्टर के पास पहुंचे. कलेक्टर के जनचौपाल में वार्डवासियों ने अपनी मांगें रखी. Rajiv Gandhi Shelter Scheme

Demand Of Land Lease In Korba
कोरबा के वार्ड नंबर 3 के वार्डवासी
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Published : Jul 5, 2023, 5:03 PM IST

कोरबा में जमीन का पट्टा देने की मांग तेज

कोरबा: छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से चलाई जा रही राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत पट्टे की मांग को लेकर वार्डवासी कलेक्टर के जनचौपाल में पहुंचे. लोगों ने कलेक्टर से जमीन का पट्टा देने की मांग की है.

वार्डवासियों ने जनचौपाल में अपनी मांगें रखी : इस योजना के तहत ऐसे लोग जो सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से अधिग्रहित जमीन पर रहते हैं. उनकी जमीन का पट्टा वार्डवासियों को दिया जाना है. औद्योगिक जिला कोरबा में ऐसे लोगों की संख्या अधिक है, जो औद्योगिक उपक्रमों के माध्यम से अधिग्रहित भूमि पर रहते हैं.जमीन पट्टा के लिए नगर पालिक निगम कोरबा ने सर्वे भी कराया है. जो कि पूरा हो गया है. लेकिन अभी तक सभी वार्ड वासी को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. वार्डवासी इसी मांग को लेकर जनचौपाल पहुंचे.

कोरबा नगरीय निकाय में वन भूमि पर काबिज लोगों को मिलेगा पट्टा
राजीव आश्रय योजना: पात्र लोगों को पट्टा, नजूल स्थायी पट्टों के फ्री होल्ड के लिए जोनवार शिविर
कवर्धा में रिश्वतखोरी के आरोप में कंप्यूटर ऑपरेटर बर्खास्त

"छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी आश्रय योजना चलाया जा रहा है. इसमें नियमानुसार शासकीय, सार्वजनिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों की भूमि पर लंबे समय से रह रहे गरीब-निर्धन परिवारों को उनके मकान पर जमीन का पट्टा राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत दिया जाना है." -सुखसागर निर्मलकर, बुधवारी के वार्ड पार्षद

"हम सब वार्ड क्रमांक 17 पथरीपारा जिला कोरबा के रहने वाले हैं. जो कि लगभग 1200 से 1500 परिवार पिछले 45-50 सालो से औद्योगिक प्रतिष्ठान द्वारा ली गई लीज की भूमि पर निवासरत हैं. इसमें सभी धर्मों के लोग मौजूद हैं. मुख्यतः श्रमिक और मजदूर वर्ग के लोग हैं." -मुकेश राठौर, पूर्व पार्षद

क्या है पूरा मामला: दरअसल, कोरबा एक औद्योगिक नगरी है. सबसे पहले सरकार की ओर से और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के सहयोग से 1976 और 1981 में 120-120 मेगावाट की दो इकाइयां संयंत्र के तौर पर स्थापित की गई थी. इनमें सैकड़ों एकड़ जमीन को लीज पर लिया गया था. इनमें से वार्ड क्रंमाक 17 पथरीपारा भी शामिल है. साल 2000 से सभी वार्डवासी से समेकित कर और संपत्ति कर दे रहे हैं. जिला प्रशासन इस तरह के कर की वसूली कर रही है. अलग-अलग समय में चुनावी घोषणापत्र के माध्यम से राजनीतिक दलों द्वारा जमीन का मालिकाना हक देने की बात कही गई थी. लेकिन अब तक इसका लाभ नहीं मिल पाया है. जिसे लेकर वार्डवासी कलेक्टर कार्यालय में पहुंचे ते.

कोरबा में जमीन का पट्टा देने की मांग तेज

कोरबा: छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से चलाई जा रही राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत पट्टे की मांग को लेकर वार्डवासी कलेक्टर के जनचौपाल में पहुंचे. लोगों ने कलेक्टर से जमीन का पट्टा देने की मांग की है.

वार्डवासियों ने जनचौपाल में अपनी मांगें रखी : इस योजना के तहत ऐसे लोग जो सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से अधिग्रहित जमीन पर रहते हैं. उनकी जमीन का पट्टा वार्डवासियों को दिया जाना है. औद्योगिक जिला कोरबा में ऐसे लोगों की संख्या अधिक है, जो औद्योगिक उपक्रमों के माध्यम से अधिग्रहित भूमि पर रहते हैं.जमीन पट्टा के लिए नगर पालिक निगम कोरबा ने सर्वे भी कराया है. जो कि पूरा हो गया है. लेकिन अभी तक सभी वार्ड वासी को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. वार्डवासी इसी मांग को लेकर जनचौपाल पहुंचे.

कोरबा नगरीय निकाय में वन भूमि पर काबिज लोगों को मिलेगा पट्टा
राजीव आश्रय योजना: पात्र लोगों को पट्टा, नजूल स्थायी पट्टों के फ्री होल्ड के लिए जोनवार शिविर
कवर्धा में रिश्वतखोरी के आरोप में कंप्यूटर ऑपरेटर बर्खास्त

"छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी आश्रय योजना चलाया जा रहा है. इसमें नियमानुसार शासकीय, सार्वजनिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों की भूमि पर लंबे समय से रह रहे गरीब-निर्धन परिवारों को उनके मकान पर जमीन का पट्टा राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत दिया जाना है." -सुखसागर निर्मलकर, बुधवारी के वार्ड पार्षद

"हम सब वार्ड क्रमांक 17 पथरीपारा जिला कोरबा के रहने वाले हैं. जो कि लगभग 1200 से 1500 परिवार पिछले 45-50 सालो से औद्योगिक प्रतिष्ठान द्वारा ली गई लीज की भूमि पर निवासरत हैं. इसमें सभी धर्मों के लोग मौजूद हैं. मुख्यतः श्रमिक और मजदूर वर्ग के लोग हैं." -मुकेश राठौर, पूर्व पार्षद

क्या है पूरा मामला: दरअसल, कोरबा एक औद्योगिक नगरी है. सबसे पहले सरकार की ओर से और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के सहयोग से 1976 और 1981 में 120-120 मेगावाट की दो इकाइयां संयंत्र के तौर पर स्थापित की गई थी. इनमें सैकड़ों एकड़ जमीन को लीज पर लिया गया था. इनमें से वार्ड क्रंमाक 17 पथरीपारा भी शामिल है. साल 2000 से सभी वार्डवासी से समेकित कर और संपत्ति कर दे रहे हैं. जिला प्रशासन इस तरह के कर की वसूली कर रही है. अलग-अलग समय में चुनावी घोषणापत्र के माध्यम से राजनीतिक दलों द्वारा जमीन का मालिकाना हक देने की बात कही गई थी. लेकिन अब तक इसका लाभ नहीं मिल पाया है. जिसे लेकर वार्डवासी कलेक्टर कार्यालय में पहुंचे ते.

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