कोरबा : जिले में कोरोना वायरस (corona virus) की पहली लहर के बाद से ही धार्मिक और पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया गया था. इससे एक ओर जहां राज्य को आर्थिक क्षति हुई, वहीं दूसरी ओर घुम्मकड़ियों ने इन पर्यटन स्थलों को काफी याद किया. हालांकि अब परिस्थितियां धीरे-धीरे सामान्य होने लगी हैं. इसी को देखते हुए सोमवार की शाम कलेक्टर रानू साहू (Collector Ranu Sahu) ने जिले के पर्यटन स्थलों को खोलने का फैसला किया है. प्रशासन के इस फैसले से लोगों ने राहत की सांस ली.
पहली लहर के बाद से ही बंद थे पर्यटन स्थल
कोरोना की पहली लहर मार्च-अप्रैल 2020 में आई थी, तभी से पर्यटन स्थलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि पहली लहर के बाद 2020 के अंत में कुछ समय के लिए इन पर्यटन स्थलों को खोला गया था, लेकिन दूसरी लहर की शुरुआती दिनों के बाद से ही इन पर्यटन स्थलों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था. वहीं अब एक साल बाद इन पर्यटन स्थलों को फिर से खोला जा रहा है.
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कोरबा की नई पहचान बन चुका है सतरेंगा
कोरबा की नई पहचान बन चुके सतरेंगा को पूरे छत्तीसगढ़ में ख्याति प्राप्त है. यह हसदेव नदी का डुबान क्षेत्र है. यहां पर नौका विहार भी शुरू किया गया था. इसके अलावा ईको पर्यटन केंद्र बुका, भगवान राम के पदचिन्हों के लिए प्रख्यात देवपहरी, रानी झरना, चैतुरगढ़, केंदई फॉल, मिनीमाता बांगो बांध, झोरा घाट, परसाखोला और कॉफी प्वाइंट सहित जिले में छोटे-बड़े पर्यटन स्थल हैं, जहां पर लोग बड़े पैमाने पर सैर-सपाटे के लिए जाते हैं.
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बारिश में वन क्षेत्रों के पर्यटन स्थलों पर रहता है प्रतिबंध
कोरोना वायरस के कहर के कम होने के बाद भले ही कलेक्टर ने आदेश जारी कर पर्यटन स्थल को आम लोगों के लिए खोल दिया हो, लेकिन वन क्षेत्रों में स्थित पर्यटन स्थलों में बारिश के दिनों में उफान रहता है. ऐसे में जिन स्थानों पर पर्यटकों को खतरा हो सकता है. उन जगहों पर वन विभाग प्रतिबंध लगा देता है.