ETV Bharat / state

SPECIAL: सरकारी कोचिंग पर डेढ़ करोड़ खर्च, फिर भी मेरिट में नहीं मिली जगह

कोरबा जिले में सरकारी स्कूलों के बच्चों को सालाना डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर विशेष कोचिंग देने के बाद भी इस बार 10वीं-12वीं के परिणाम में एक भी छात्र मेरिट सूची में अपना स्थान नहीं बना सका है. जिसपर अब सियासत तेज होने लगी है.

government school did not make a place in merit
बोर्ड में मेरिट में नहीं मिल पाई जगह
author img

By

Published : Jun 28, 2020, 1:09 PM IST

Updated : Jun 28, 2020, 4:06 PM IST

कोरबा: इस वर्ष जारी हुए 10वीं-12वीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा रिजल्ट में कोरबा जिला के छात्रों ने अपना परचम नहीं लहराया है. इस साल सरकारी स्कूलों का एक भी छात्र राज्य के मेरिट सूची में स्थान नहीं बना सका है. जबकि शासन की तरफ से 10वीं-12वीं के होनहार छात्रों को स्पेशल कोचिंग दी जा रही है.

सरकारी कोचिंग पर डेढ़ करोड़ खर्च, फिर भी मेरिट में नहीं मिली जगह

अग्रगमन विशेष कोचिंग सेंटर का संचालन

सरकारी स्कूलों के उत्कृष्ट छात्रों को विशेष कोचिंग देने के नाम पर IT कोरबा इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में 'अग्रगमन विशेष कोचिंग सेंटर' का संचालन किया जा रहा है. खनिज न्यास मद (DMF) यानि डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन की तरफ से शिक्षा विभाग को इस कोचिंग सेंटर के संचालन के लिए सालाना लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की मोटी रकम दी जाती है. बावजूद बोर्ड के छात्रों का नाम इस बार की मेरिट लिस्ट में नहीं आ सका.

government school did not make a place in merit
बोर्ड में मेरिट में नहीं मिल पाई जगह


पढ़ें: कोरबा: 12वीं बोर्ड परीक्षा में फरीन कुरैशी का 7 वां स्थान, आगे की पढाई के लिए मदद की जरूरत

प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल के 3 छात्रों को मिली जगह

हालांकि कोरबा जिले से 3 छात्रों ने मेरिट में जगह बनाई है. लेकिन तीनों ही छात्र प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल के छात्र हैं. जिसमें से दसवीं की परीक्षा में 2 छात्रों ने 9वां और 12वीं कक्षा की एक छात्रा ने 7वां स्थान हासिल किया है, लेकिन अग्रगमन कोचिंग सेंटर या फिर जिले के किसी भी सरकारी स्कूलों से एक भी छात्र मेरिट में स्थान बनाने में कामयाब नहीं हो पाया. जिससे अग्रगमन कोचिंग सेंटर की उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं. जनप्रतिनिधियों में इसे जांच का विषय करार दिया है. इसके साथ ही ये मांग भी उठने लगी है कि कोचिंग सेंटर में जिस एजेंसी को बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उन्हें परिणाम के अनुरूप ही भुगतान किया जाए.

जिला शिक्षा अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप

शिक्षा स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष अजय जायसवाल ने इस योजना पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि सरकारी स्कूल के बच्चों को सालाना डेढ़ करोड़ रुपए खर्च करके विशेष कोचिंग देने वाले सेंटर अग्रगमन से किसी भी छात्र का मेरिट सूची में स्थान ना बना पाना चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि कोचिंग सेंटर के सिर्फ एक ही छात्र को 90% अंक मिले हैं. ये भी आरोप लगाया कि जब स्कूल की परीक्षा में ही छात्र 90% या उससे ज्यादा अंक नहीं ला पा रहे हैं, तो प्रतियोगी परीक्षाओं में कैसे सफल होंगे? पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि जिला शिक्षा अधिकारी, जिले में शिक्षा के स्तर के प्रति गंभीर नहीं है. इस योजना में जमकर बंदरबांट हो रही है.

शिक्षा विभाग में चल रहा माफिया राज

इसके अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने भी इस मामले में सवाल उठाए हैं. कंवर ने कहा कि जब शासन जन शिक्षा पर पहले से ही पैसे दे रहा है तो फिर और ज्यादा बजट देने की क्या जरूरत है. उन्होंने जांच की मांग करते हुए कहा की एजेंसी को कितना भुगतान किया गया इसकी जांच होनी चाहिए. ननकीराम ने जिले में शिक्षा विभाग में माफिया राज चलने तक की बात कह दी.

पढ़ें: गरियाबंद: इस सरकारी स्कूल के बच्चों का हर साल होता है नवोदय में चयन

कैरियर पॉइंट कोटा से है अनुबंध

अग्रगमन कोचिंग सेंटर में कुल 100 सीटें उपलब्ध हैं, लेकिन ज्यादा बच्चों को लाभ देने के लिए स्वीकृत सीटों की संख्या 130 की गई. करियर पॉइंट को प्रत्येक छात्र के लिए प्रति माह के अध्यापन हेतु 9000 रुपए का भुगतान किया जाता है. छात्रों के भोजन के लिए 17 सौ रुपए प्रति माह अलग से दिए जाते हैं. इस तरह प्रतिमाह प्रति छात्र 10 हजार 700 रुपये का बजट है. जिसके अनुसार साल भर के दौरान इन बच्चों के अध्यापन और भोजन पर डेढ़ करोड रुपये की राशि खर्च होती है. ये आंकड़े 1 साल पुराने हैं. इस वर्ष इस राशि में 15% की बढ़ोतरी करने का भी प्रस्ताव था. अग्रगमन कोचिंग सेंटर में दसवीं कक्षा में 70% या इससे अधिक अंक लाने वाले सरकारी स्कूल के छात्रों को ही दाखिला मिलता है. इसका उद्देश्य है कि सरकारी स्कूल के गरीब बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ ही PET, NEET, JEE, AIEEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी करवाई जाए. लेकिन मंशा के अनुरूप काम नहीं हो रहा है, जिससे इस पूरी योजना पर सवालिया निशान लगा हुआ है.

पढ़ें: राजनांदगांव: इंग्लिश मीडियम होते ही लगी म्युनिसिपल स्कूल में एडमिशन लेने की होड़

2016-2017 में शुरू हुई योजना
अग्रगमन कोचिंग सेंटर की योजना साल 2016-2017 में शुरू हुई थी. अब इस योजना को जिले में 3 वर्ष पूरे हो चुके हैं. शहर से कुछ दूरी पर स्थित IT कोरबा इंजीनियरिंग कॉलेज के परिसर में बच्चों को कोचिंग दी जाती है. जहां करियर पॉइंट के 8 फैकल्टी मैनेजर और को-ऑर्डिनेटर बच्चों को कोचिंग देते हैं.

कोरबा: इस वर्ष जारी हुए 10वीं-12वीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा रिजल्ट में कोरबा जिला के छात्रों ने अपना परचम नहीं लहराया है. इस साल सरकारी स्कूलों का एक भी छात्र राज्य के मेरिट सूची में स्थान नहीं बना सका है. जबकि शासन की तरफ से 10वीं-12वीं के होनहार छात्रों को स्पेशल कोचिंग दी जा रही है.

सरकारी कोचिंग पर डेढ़ करोड़ खर्च, फिर भी मेरिट में नहीं मिली जगह

अग्रगमन विशेष कोचिंग सेंटर का संचालन

सरकारी स्कूलों के उत्कृष्ट छात्रों को विशेष कोचिंग देने के नाम पर IT कोरबा इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में 'अग्रगमन विशेष कोचिंग सेंटर' का संचालन किया जा रहा है. खनिज न्यास मद (DMF) यानि डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन की तरफ से शिक्षा विभाग को इस कोचिंग सेंटर के संचालन के लिए सालाना लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की मोटी रकम दी जाती है. बावजूद बोर्ड के छात्रों का नाम इस बार की मेरिट लिस्ट में नहीं आ सका.

government school did not make a place in merit
बोर्ड में मेरिट में नहीं मिल पाई जगह


पढ़ें: कोरबा: 12वीं बोर्ड परीक्षा में फरीन कुरैशी का 7 वां स्थान, आगे की पढाई के लिए मदद की जरूरत

प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल के 3 छात्रों को मिली जगह

हालांकि कोरबा जिले से 3 छात्रों ने मेरिट में जगह बनाई है. लेकिन तीनों ही छात्र प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल के छात्र हैं. जिसमें से दसवीं की परीक्षा में 2 छात्रों ने 9वां और 12वीं कक्षा की एक छात्रा ने 7वां स्थान हासिल किया है, लेकिन अग्रगमन कोचिंग सेंटर या फिर जिले के किसी भी सरकारी स्कूलों से एक भी छात्र मेरिट में स्थान बनाने में कामयाब नहीं हो पाया. जिससे अग्रगमन कोचिंग सेंटर की उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं. जनप्रतिनिधियों में इसे जांच का विषय करार दिया है. इसके साथ ही ये मांग भी उठने लगी है कि कोचिंग सेंटर में जिस एजेंसी को बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उन्हें परिणाम के अनुरूप ही भुगतान किया जाए.

जिला शिक्षा अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप

शिक्षा स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष अजय जायसवाल ने इस योजना पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि सरकारी स्कूल के बच्चों को सालाना डेढ़ करोड़ रुपए खर्च करके विशेष कोचिंग देने वाले सेंटर अग्रगमन से किसी भी छात्र का मेरिट सूची में स्थान ना बना पाना चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि कोचिंग सेंटर के सिर्फ एक ही छात्र को 90% अंक मिले हैं. ये भी आरोप लगाया कि जब स्कूल की परीक्षा में ही छात्र 90% या उससे ज्यादा अंक नहीं ला पा रहे हैं, तो प्रतियोगी परीक्षाओं में कैसे सफल होंगे? पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि जिला शिक्षा अधिकारी, जिले में शिक्षा के स्तर के प्रति गंभीर नहीं है. इस योजना में जमकर बंदरबांट हो रही है.

शिक्षा विभाग में चल रहा माफिया राज

इसके अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने भी इस मामले में सवाल उठाए हैं. कंवर ने कहा कि जब शासन जन शिक्षा पर पहले से ही पैसे दे रहा है तो फिर और ज्यादा बजट देने की क्या जरूरत है. उन्होंने जांच की मांग करते हुए कहा की एजेंसी को कितना भुगतान किया गया इसकी जांच होनी चाहिए. ननकीराम ने जिले में शिक्षा विभाग में माफिया राज चलने तक की बात कह दी.

पढ़ें: गरियाबंद: इस सरकारी स्कूल के बच्चों का हर साल होता है नवोदय में चयन

कैरियर पॉइंट कोटा से है अनुबंध

अग्रगमन कोचिंग सेंटर में कुल 100 सीटें उपलब्ध हैं, लेकिन ज्यादा बच्चों को लाभ देने के लिए स्वीकृत सीटों की संख्या 130 की गई. करियर पॉइंट को प्रत्येक छात्र के लिए प्रति माह के अध्यापन हेतु 9000 रुपए का भुगतान किया जाता है. छात्रों के भोजन के लिए 17 सौ रुपए प्रति माह अलग से दिए जाते हैं. इस तरह प्रतिमाह प्रति छात्र 10 हजार 700 रुपये का बजट है. जिसके अनुसार साल भर के दौरान इन बच्चों के अध्यापन और भोजन पर डेढ़ करोड रुपये की राशि खर्च होती है. ये आंकड़े 1 साल पुराने हैं. इस वर्ष इस राशि में 15% की बढ़ोतरी करने का भी प्रस्ताव था. अग्रगमन कोचिंग सेंटर में दसवीं कक्षा में 70% या इससे अधिक अंक लाने वाले सरकारी स्कूल के छात्रों को ही दाखिला मिलता है. इसका उद्देश्य है कि सरकारी स्कूल के गरीब बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ ही PET, NEET, JEE, AIEEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी करवाई जाए. लेकिन मंशा के अनुरूप काम नहीं हो रहा है, जिससे इस पूरी योजना पर सवालिया निशान लगा हुआ है.

पढ़ें: राजनांदगांव: इंग्लिश मीडियम होते ही लगी म्युनिसिपल स्कूल में एडमिशन लेने की होड़

2016-2017 में शुरू हुई योजना
अग्रगमन कोचिंग सेंटर की योजना साल 2016-2017 में शुरू हुई थी. अब इस योजना को जिले में 3 वर्ष पूरे हो चुके हैं. शहर से कुछ दूरी पर स्थित IT कोरबा इंजीनियरिंग कॉलेज के परिसर में बच्चों को कोचिंग दी जाती है. जहां करियर पॉइंट के 8 फैकल्टी मैनेजर और को-ऑर्डिनेटर बच्चों को कोचिंग देते हैं.

Last Updated : Jun 28, 2020, 4:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.