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Strike Season In Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में हड़ताल का मौसम, 150 संगठनों ने खोला मोर्चा

Strike Season In Chhattisgarh छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं. ऐसे में सरकारी विभाग में काम करने वाले संगठनों ने मांगें मनवाने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

Strike Season In Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में हड़ताल का मौसम
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Published : Jul 11, 2023, 2:13 PM IST

कोरबा : छत्तीसगढ़ के हर जिले में मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी है. प्रदेश के सरकारी विभागों में काम करने वाले छोटे बड़े 150 संगठनों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए आंदोलन का रास्ता चुना है. कोरबा जिले की यदि बात करें तो तानसेन चौक आंदोलनकारियों के लिए मुफीद बन चुका है. इस चौक में हड़ताल करने वाले संगठनों की भीड़ देखी जा सकती है.

सरकारी दफ्तरों में पसरा सन्नाटा : संविदा, स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ नियमित कर्मचारी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. सभी ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है. वहीं कर्मचारियों के आंदोलन से सरकारी विभागों का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है. वहीं हड़ताल के कारण विभागों के अंदर काम नहीं हो रहे हैं.वहीं अधिकारी भी कर्मचारियों ने नहीं रहने का हवाला देकर लोगों को कार्यालयों से वापस भेज रहे हैं.वहीं कुछ संगठन सरकार के आश्वासन के बाद काम पर वापस लौट आए हैं.



21% डीए मांग रहे हैं रेगुलर कर्मचारी : रेगुलर कर्मचारियों का संगठन सबसे बड़ा संगठन माना जाता है. कर्मचारी और अधिकारियों के 145 प्रांत अध्यक्ष एक मंच पर आ गए हैं. उन्होंने संयुक्त मोर्चा बनाया है. इन सभी की मांग मुख्य तौर पर 4 सूत्रीय है. लेकिन मुख्य मांग 21% डीए की है. कर्मचारी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान डीए चाहते हैं. वर्तमान में सरकार उन्हें 16 % दे रही है. जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं.

"हम सभी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. चार स्तरीय वेतनमान, गृह भाड़ा भत्ता व पिंगुआ कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग प्रमुख है. लेकिन सरकार अपने अड़ियल रवैए के कारण हमें लाभ नहीं दे रही है.''जगदीश खरे, संयुक्त मोर्चा संगठन

स्वास्थ्यकर्मियों की अलग है मांग : स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन भी हड़ताल पर हैं. जो 24 सूत्रीय मांगों को पूरा करने पर अड़े है. छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन के जिलाध्यक्ष एमएस चौहान के मुताबिक हमने 24 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें वेतन से लेकर काम करने के घंटे और अन्य मांगे हैं. कई मांगों को पूरा करने पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा.



संविदा कर्मचारियों ने भी खोला मोर्चा : संविदा कर्मचारी भी हड़ताल पर हैं. सरकारी विभाग में ढेर सारे कर्मचारी संविदा पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इनकी संख्या हजारों में है. संविदा कर्मचारियों के आंदोलन को बीजेपी ने भी समर्थन दिया है.

"संविदा कर्मचारी सरकारी विभागों के रीढ़ की हड्डी होते हैं. सरकार ने वादा किया था कि संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाएगा. अब सरकार संवेदनशीलता नहीं दिखाती. इनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है.'' जोगेश लांबा,बीजेपी नेता

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विद्या मितान चाहते हैं नियमित नियुक्ति : स्कूलों में काम करने वाले विद्या मितान भी नियमितीकरण चाहते हैं. वर्तमान में शिक्षकों की नियमित भर्ती में विद्या मितानों को बोनस अंक मिले हैं. लेकिन विद्या मितान विभाग में नियमित शिक्षक की नियुक्ति चाहते हैं.


कोरबा : छत्तीसगढ़ के हर जिले में मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी है. प्रदेश के सरकारी विभागों में काम करने वाले छोटे बड़े 150 संगठनों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए आंदोलन का रास्ता चुना है. कोरबा जिले की यदि बात करें तो तानसेन चौक आंदोलनकारियों के लिए मुफीद बन चुका है. इस चौक में हड़ताल करने वाले संगठनों की भीड़ देखी जा सकती है.

सरकारी दफ्तरों में पसरा सन्नाटा : संविदा, स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ नियमित कर्मचारी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. सभी ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है. वहीं कर्मचारियों के आंदोलन से सरकारी विभागों का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है. वहीं हड़ताल के कारण विभागों के अंदर काम नहीं हो रहे हैं.वहीं अधिकारी भी कर्मचारियों ने नहीं रहने का हवाला देकर लोगों को कार्यालयों से वापस भेज रहे हैं.वहीं कुछ संगठन सरकार के आश्वासन के बाद काम पर वापस लौट आए हैं.



21% डीए मांग रहे हैं रेगुलर कर्मचारी : रेगुलर कर्मचारियों का संगठन सबसे बड़ा संगठन माना जाता है. कर्मचारी और अधिकारियों के 145 प्रांत अध्यक्ष एक मंच पर आ गए हैं. उन्होंने संयुक्त मोर्चा बनाया है. इन सभी की मांग मुख्य तौर पर 4 सूत्रीय है. लेकिन मुख्य मांग 21% डीए की है. कर्मचारी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान डीए चाहते हैं. वर्तमान में सरकार उन्हें 16 % दे रही है. जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं.

"हम सभी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. चार स्तरीय वेतनमान, गृह भाड़ा भत्ता व पिंगुआ कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग प्रमुख है. लेकिन सरकार अपने अड़ियल रवैए के कारण हमें लाभ नहीं दे रही है.''जगदीश खरे, संयुक्त मोर्चा संगठन

स्वास्थ्यकर्मियों की अलग है मांग : स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन भी हड़ताल पर हैं. जो 24 सूत्रीय मांगों को पूरा करने पर अड़े है. छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन के जिलाध्यक्ष एमएस चौहान के मुताबिक हमने 24 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें वेतन से लेकर काम करने के घंटे और अन्य मांगे हैं. कई मांगों को पूरा करने पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा.



संविदा कर्मचारियों ने भी खोला मोर्चा : संविदा कर्मचारी भी हड़ताल पर हैं. सरकारी विभाग में ढेर सारे कर्मचारी संविदा पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इनकी संख्या हजारों में है. संविदा कर्मचारियों के आंदोलन को बीजेपी ने भी समर्थन दिया है.

"संविदा कर्मचारी सरकारी विभागों के रीढ़ की हड्डी होते हैं. सरकार ने वादा किया था कि संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाएगा. अब सरकार संवेदनशीलता नहीं दिखाती. इनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है.'' जोगेश लांबा,बीजेपी नेता

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विद्या मितान चाहते हैं नियमित नियुक्ति : स्कूलों में काम करने वाले विद्या मितान भी नियमितीकरण चाहते हैं. वर्तमान में शिक्षकों की नियमित भर्ती में विद्या मितानों को बोनस अंक मिले हैं. लेकिन विद्या मितान विभाग में नियमित शिक्षक की नियुक्ति चाहते हैं.


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