कोरबा: जिले में सड़कों की बदहाली कोई नई समस्या नहीं है, बीते 2 सालों से ऊर्जाधानी के निवासी सड़कों की बदहाली से जूझ रहे हैं. वहीं पिछले दो दिन की बारिश ने करोड़ों खर्च कर हुई सड़कों की मरम्मत की पोल खोलकर रख दी है. सड़कों का नेटवर्क जिले में ध्वस्त हो चुका है. वहीं दूसरी तरफ जिम्मेदार अफसर हों या फिर जनप्रतिनिधि 2 साल से खोखले वादे किए जा रहे हैं, जिनका असर कहीं भी धरातल पर नहीं दिखता. हालात यह हैं कि सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से भी ऊर्जाधानी के निवासी महरूम हैं.
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NH को हस्तांतरण किए जाने के बाद पीडब्ल्यूडी के हिस्से की जो सड़क शेष है, उसके निर्माण के लिए 14 करोड़ की मंजूरी मिली है, लेकिन नई सड़क बनाने के लिए 2 महीने का इंतजार करना पड़ेगा. वहीं दूसरी तरफ नगर निगम के क्षेत्र में ऐसी कोई भी सड़क नहीं बची है, जिस पर यात्रा सुगमता से किया जा सके. बारिश का एक महीना बाकी है, जिसके बाद ही सड़कों की मरम्मत हो सकती है. मरम्मत में लगने वाला समय अभी बचा है, तब तक जनता को सड़कों पर इसी तरह हिचकोले खाते रहना होगा.
15 दिन पहले मरम्मत की गई थी सड़कें
बारिश शुरू होने के पहले पीडब्ल्यूडी और नगर निगम ने करोड़ों की राशि से सड़कों की मरम्मत की थी. यह मरम्मत भी बेहद दोयम दर्जे की थी. बीच-बीच में सड़कों के टूटने की खबरें आती रहती थीं, लेकिन पिछले दो दिन की बरसात ने फिर से हालातों को जस का तस कर दिया है. 15 दिन पहले ही मरम्मत की गई सड़कें दो दिन की बारिश में पूरी तरह से टूट चुकी है.
इन मार्गों की हालत खस्ता-
- यहां केसर की सड़क की हालत सबसे खराब है.
- कटघोरा सुतर्रा बाईपास
- कोरबा से चांपा मार्ग
- कटघोरा से चैतम व चैतम से पाली
- कोरबा से दर्री
- राताखार बाईपास
- कोहडिया पुल से होकर बालको जाने वाली सड़क
कलेक्टर की नाराजगी का भी कोई असर नहीं
दो दिन पहले ही कलेक्टर ने प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों के अफसरों की भी मीटिंग ली थी. जिसमें सड़कों के निर्माण और मरम्मत के प्रगति की धीमी गति को देखकर नाराजगी जताई थी. इसके पहले भी कलेक्टर कई बार मीटिंग लेकर बालको, एनटीपीसी, एसईसीएल सहित जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी सड़कों की स्थिति को लेकर फटकार लगा चुकी हैं, लेकिन पिछले दो सालों से कलेक्टर की इस नाराजगी का असर कहीं भी जमीन पर नहीं दिखता. जिले में सड़कों के हालात और भी बिगड़ते चले गए.
आने वाले सालों में भी सड़क मरम्मत के आसार कम
कोरबा में एनएच 149B और 111 का निर्माण पूर्ण होने में अभी कम से कम 2 साल का समय लगेगा. काम अभी शुरू भी नहीं हुआ है, पूरा होने में कितना समय लगेगा यह राम भरोसे है. कोरबा जिले की सड़कों की उपेक्षा पर भी जनप्रतिनिधि मौन हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जो कि केंद्र सरकार की एजेंसी है, उसके द्वारा कोरबा के सड़कों को सर्वोच्च प्राथमिकता वाले सड़क निर्माण की कैटेगरी से बाहर कर दिया गया है. इसकी जानकारी भी प्रशासन की ओर से ही आई थी, इसके कारण ही सड़क निर्माण अब तक शुरू नहीं हो सका है.
सुधरने के बजाए और बिगड़ गई व्यवस्था
कोरबा से छुरी और फिर छुरी से कटघोरा और पाली तक जाने वाली शहर की लाइफ लाइन 151 किलोमीटर लंबी सड़क पहले बीओटी के तहत निजी ठेकेदार के अधीन थी. 3 साल पहले यह बीओटी से मुक्त हुई, जिसके बाद राज्य सरकार से योजना बनी थी कि इसे टू लेन और फोरलेन में विभाजित कर कोरबा से चांपा और कटघोरा से बिलासपुर तक की सड़क को एनएच के तौर पर विकसित किया जाएगा. बीच-बीच में कई सड़कों को स्थानीय निकायों को भी आवंटित किया गया है, लेकिन व्यवस्था सुधरने के बजाय और बिगड़ गई. बीओटी से मुक्त होने के बाद सड़कों की स्थिति अब और भी खस्ताहाल है.
बारिश थमते ही उड़ता है धूल का गुबार
बारिश में सड़कों पर कीचड़ और गड्ढों में पानी भर जाता है, जिसके कारण गड्ढा कहां है और कितना गहरा है इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता है. राहगीर बेहद परेशान होते हैं, सफर करते हुए उन्हें हादसों का भी डर सताता रहता है. इसके अलावा बारिश थमने पर जैसे ही धूप निकलती है. सड़कों पर धूल का गुबार उठने लगता है. धूल का गुबार इतना ज्यादा होता है कि इसके पास देख पाना भी संभव नहीं हो पाता.