इस गुफा को अब मंदिर का रूप दे दिया गया है. ऐसा कहा जाता है कि, वनवास के दौरान प्रभु श्री राम जब यहां से गुजर रहे थे, तो उनकी मुलाकात आत्रि ऋषि से हुई, जिसके प्रमाण के तौर पर लक्ष्मण के साथ ऋषि की पाषाण प्रतिमा गुफा के अंदर मौजूद है. ये प्रतिमा यहां कब से रही है इसके के बारे में किसी भी गांववाले को कोई जानकारी नहीं है.
माता सीता और सांप की वजह से मिला नाम
सीतामढ़ी का नाम माता सीता के आगमन और यहां मौजूद मढ़ीहार सांप की वजह से पड़ा है. कहा यहां तक जाता है कि, यहां से गुजरते वक्त माता सीता की मणि गिर गई थी, मंदिर के पुजारी इन दोनों किवदंतियों को सच मानते हैं. यहां मौजूद रामसागर तालाब और लक्ष्मण बंद तालाब मौजूद है. ऐसा कहा जाता है कि, इन तीनों ही जगहों का नाम कलयुग की शुरुआत से ही रखा गया है.
'लड़की को आया सपना'
ऐसी मान्यता है कि, भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के यहां से गुजरने के बाद से ही इन जगहों के नाम उनके नाम पर रख दिए गए थे. मंदिर के पुजारी मातादीन बताते हैं कि आज से 25 साल पहले एक लड़की उनके पास आई और उसने कहा कि यहां कुंड में एक शिवलिंग मौजूद है. उस लड़की ने पुजारी को बताया कि 'उसे सपना आया था कि इस कुंड के अंदर शिवलिंग मौजूद है.
कुंड में मिला शिवलिंग
लड़की के कहने पर कुंड के अंदर पुजारी के साथ मिलकर कुछ लोगों ने इस शिवलिंग की खोज की और खोज के दौरान यह बात सच साबित हुई. पुजारी का कहना है की इन 25 सालों में शिवलिंग का आकार अपने आप बढ़ता जा रहा है और शहर के लोगों में और जिले की जनता में इस शिवलिंग को लेकर काफी आस्था बढ़ गई है.
कोई नहीं पढ़ पाया वाक्य
गुफा मंदिर के अंदर माता सीता की चरण पादुका भी मौजूद होने की बात कही जाती है, इसके साथ चरण पादुका के ऊपर गुफा की दीवार पर देव लिपि में एक वाक्य भी लिखा है. पुजारी का कहना है कि इतने सालों में बहुत लोग आए और गए लेकिन, कोई न तो इसे पढ़ पाया और न ही समझ पाया और ना समझ पाया.
दर्शन के लिए आते हैं सैकड़ों लोग
पुरातत्व विभाग से लेकर सरकारी अधिकारी भी इसके बारे में पता लगाने आ चुके हैं लेकिन, देव लिपि को समझने में कोई भी सफल नहीं हो पाया. आज से 25 साल पहले इस जगह की महत्ता और लोगों का गुफा के प्रति विश्वास बढ़ते देख सरकार ने इसे मंदिर का रूप दिया था इस मंदिर में रोजाना सैकड़ों लोग दर्शन के लिए आते हैं.