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SPECIAL: वनवास के दौरान यहां भी रुके थे भगवान राम, मौजूद है मां सीता की चरण पादुका - राम मंदिर

कोरबा: राम काल से जुड़ी अनेकों कहानियां आपने सुनी होंगी, प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों के बारे में सुना और देखा भी होगा. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक ऐसी जगह मौजूद है, जहां वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने वक्त विताया था. कोरबा शहर के सीतामढ़ी में आत्री ऋषि की गुफा मौजूद है. ऐसी मान्यता है कि, वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ वक्त बिताया था.

सीतामढ़ी मंदिर
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Published : Feb 8, 2019, 9:17 PM IST

इस गुफा को अब मंदिर का रूप दे दिया गया है. ऐसा कहा जाता है कि, वनवास के दौरान प्रभु श्री राम जब यहां से गुजर रहे थे, तो उनकी मुलाकात आत्रि ऋषि से हुई, जिसके प्रमाण के तौर पर लक्ष्मण के साथ ऋषि की पाषाण प्रतिमा गुफा के अंदर मौजूद है. ये प्रतिमा यहां कब से रही है इसके के बारे में किसी भी गांववाले को कोई जानकारी नहीं है.

माता सीता और सांप की वजह से मिला नाम
सीतामढ़ी का नाम माता सीता के आगमन और यहां मौजूद मढ़ीहार सांप की वजह से पड़ा है. कहा यहां तक जाता है कि, यहां से गुजरते वक्त माता सीता की मणि गिर गई थी, मंदिर के पुजारी इन दोनों किवदंतियों को सच मानते हैं. यहां मौजूद रामसागर तालाब और लक्ष्मण बंद तालाब मौजूद है. ऐसा कहा जाता है कि, इन तीनों ही जगहों का नाम कलयुग की शुरुआत से ही रखा गया है.

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'लड़की को आया सपना'
ऐसी मान्यता है कि, भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के यहां से गुजरने के बाद से ही इन जगहों के नाम उनके नाम पर रख दिए गए थे. मंदिर के पुजारी मातादीन बताते हैं कि आज से 25 साल पहले एक लड़की उनके पास आई और उसने कहा कि यहां कुंड में एक शिवलिंग मौजूद है. उस लड़की ने पुजारी को बताया कि 'उसे सपना आया था कि इस कुंड के अंदर शिवलिंग मौजूद है.

देंखे वीडियो
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कुंड में मिला शिवलिंग
लड़की के कहने पर कुंड के अंदर पुजारी के साथ मिलकर कुछ लोगों ने इस शिवलिंग की खोज की और खोज के दौरान यह बात सच साबित हुई. पुजारी का कहना है की इन 25 सालों में शिवलिंग का आकार अपने आप बढ़ता जा रहा है और शहर के लोगों में और जिले की जनता में इस शिवलिंग को लेकर काफी आस्था बढ़ गई है.

कोई नहीं पढ़ पाया वाक्य
गुफा मंदिर के अंदर माता सीता की चरण पादुका भी मौजूद होने की बात कही जाती है, इसके साथ चरण पादुका के ऊपर गुफा की दीवार पर देव लिपि में एक वाक्य भी लिखा है. पुजारी का कहना है कि इतने सालों में बहुत लोग आए और गए लेकिन, कोई न तो इसे पढ़ पाया और न ही समझ पाया और ना समझ पाया.

दर्शन के लिए आते हैं सैकड़ों लोग
पुरातत्व विभाग से लेकर सरकारी अधिकारी भी इसके बारे में पता लगाने आ चुके हैं लेकिन, देव लिपि को समझने में कोई भी सफल नहीं हो पाया. आज से 25 साल पहले इस जगह की महत्ता और लोगों का गुफा के प्रति विश्वास बढ़ते देख सरकार ने इसे मंदिर का रूप दिया था इस मंदिर में रोजाना सैकड़ों लोग दर्शन के लिए आते हैं.

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इस गुफा को अब मंदिर का रूप दे दिया गया है. ऐसा कहा जाता है कि, वनवास के दौरान प्रभु श्री राम जब यहां से गुजर रहे थे, तो उनकी मुलाकात आत्रि ऋषि से हुई, जिसके प्रमाण के तौर पर लक्ष्मण के साथ ऋषि की पाषाण प्रतिमा गुफा के अंदर मौजूद है. ये प्रतिमा यहां कब से रही है इसके के बारे में किसी भी गांववाले को कोई जानकारी नहीं है.

माता सीता और सांप की वजह से मिला नाम
सीतामढ़ी का नाम माता सीता के आगमन और यहां मौजूद मढ़ीहार सांप की वजह से पड़ा है. कहा यहां तक जाता है कि, यहां से गुजरते वक्त माता सीता की मणि गिर गई थी, मंदिर के पुजारी इन दोनों किवदंतियों को सच मानते हैं. यहां मौजूद रामसागर तालाब और लक्ष्मण बंद तालाब मौजूद है. ऐसा कहा जाता है कि, इन तीनों ही जगहों का नाम कलयुग की शुरुआत से ही रखा गया है.

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'लड़की को आया सपना'
ऐसी मान्यता है कि, भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के यहां से गुजरने के बाद से ही इन जगहों के नाम उनके नाम पर रख दिए गए थे. मंदिर के पुजारी मातादीन बताते हैं कि आज से 25 साल पहले एक लड़की उनके पास आई और उसने कहा कि यहां कुंड में एक शिवलिंग मौजूद है. उस लड़की ने पुजारी को बताया कि 'उसे सपना आया था कि इस कुंड के अंदर शिवलिंग मौजूद है.

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कुंड में मिला शिवलिंग
लड़की के कहने पर कुंड के अंदर पुजारी के साथ मिलकर कुछ लोगों ने इस शिवलिंग की खोज की और खोज के दौरान यह बात सच साबित हुई. पुजारी का कहना है की इन 25 सालों में शिवलिंग का आकार अपने आप बढ़ता जा रहा है और शहर के लोगों में और जिले की जनता में इस शिवलिंग को लेकर काफी आस्था बढ़ गई है.

कोई नहीं पढ़ पाया वाक्य
गुफा मंदिर के अंदर माता सीता की चरण पादुका भी मौजूद होने की बात कही जाती है, इसके साथ चरण पादुका के ऊपर गुफा की दीवार पर देव लिपि में एक वाक्य भी लिखा है. पुजारी का कहना है कि इतने सालों में बहुत लोग आए और गए लेकिन, कोई न तो इसे पढ़ पाया और न ही समझ पाया और ना समझ पाया.

दर्शन के लिए आते हैं सैकड़ों लोग
पुरातत्व विभाग से लेकर सरकारी अधिकारी भी इसके बारे में पता लगाने आ चुके हैं लेकिन, देव लिपि को समझने में कोई भी सफल नहीं हो पाया. आज से 25 साल पहले इस जगह की महत्ता और लोगों का गुफा के प्रति विश्वास बढ़ते देख सरकार ने इसे मंदिर का रूप दिया था इस मंदिर में रोजाना सैकड़ों लोग दर्शन के लिए आते हैं.

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Intro:डीएफओ के रवैये से नाराज वन कर्मियीं ने घेरा दफ्तर...

सुकमा. मैदानी अमला और कार्यालयीन कर्मचारियों के प्रति रवैया अलग-अलग होने और वन कर्मचारियों की मांगो को लगातार नजरन्दाज किये जाने से नाराज वन कर्मचारियीं ने बुधवार को वन मंडल अधिकारी कृष्ण कुमार बढ़ाई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

डीएफओ को तानाशाह रवैया और मनमानी का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ कर्मचारी संघ के बैनर तले कमर्चारियों ने रैली निकाली। वन काष्ठागार से कर्मचारियों ने रैली का आयोजन किया। जो नगर के मुख्य मार्ग से होते हुए डीएफओ दफ्तर पहुचा। यहां कार्यालय का घेराव करते हुए डीएफओ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। 8 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सुकमा एसडीओ को सौंपते हुए 18 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया।

मैदानी कर्मचारियों के प्रति डीएफओ का रवैया ठीक नही...
छग वन कर्मचारियों संघ के संभागीय अध्यक्ष मोहम्मद सलीम ने कहा कि डीएफओ केआर बढ़ाई का मैदानी और कार्यालयीन कर्मचारियों के प्रति अलग-अलग व्यवहार रहता है। वहीं कर्मचारियों की जायज मांगो को वनमंडल अधिकारी लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।

नियम विरूद्ध कर्मचारियों का स्थानान्तरण...
छग वन कर्मचारियों संघ के प्रांतीय अध्यक्ष अमित झा ने कहा कि डीएफओ केआर बढ़ाई द्वारा नियम विरुद्ध और द्वेषभावना से प्रेरित होकर कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जा रहा है जबकि ट्रांसफर के लिए प्रधान वन संरक्षक रायपुर की अनुशंसा जरूरी है। सुकमा वनमंडल में भारी भर्रासायी है। अपनी निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए वन कर्मचारियों का स्थानंतरण किया जा रहा है।

ड्यूटी करने के बाद भी वेतन कटौती की जा रही...
छग वन कर्मचारियों संघ के सुकमा जिला अध्यक्ष एसएल एडला ने कहा कि विगत एक वर्ष से वनमंडल अधिकारी द्वारा तानाशाह रवैया अपनाया जा रहा है। ड्यूटी करने के बाद भी कर्मचारियों को अनुपस्थित बताते हुए वेतन की कटौति की जा रही है। अनिल कुमार तेता और माड़वी नंदा को नियम विरुद्ध निलंबित कर बहाल किया गया है। उक्त दोनों कर्मचारियों के निलंबन अवधि का वेतन पारित नही किया गया है।





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