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NTPC के अस्पताल में नहीं है सोनोग्राफी और ब्लड टेस्ट की सुविधा - कोरबा न्यूज

NTPC कोरबा का पावर प्लांट पिछले 35 सालों से कोरबा में संचालित है. कुल 7 यूनिट से 2600 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, जबिक NTPC के अस्पताल में सोनोग्राफी और ब्लड टेस्ट की सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है.

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Published : Jul 20, 2021, 10:58 PM IST

Updated : Jul 21, 2021, 6:37 AM IST

कोरबा: 35 साल पहले ऊर्जाधानी कोरबा में NTPC ने अपने पावर प्लांट की नींव रखी थी. आज यहां से 2600 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. कुल टर्नओवर 2 हजार 4 सौ 48.49 करोड़ रुपए है. दुर्भाग्य है कि एनटीपीसी जैसी महारत्न कंपनी के विभागीय अस्पताल में जाने वाले आम लोगों को सोनोग्राफी और ब्लड टेस्ट जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं.

NTPC
NTPC के अस्पताल में नहीं है सुविधाएं

बिजली उत्पादन के क्षेत्र में एनटीपीसी ने भले ही कीर्तिमान गढ़े हैं, लेकिन अपने कर्मचारियों के साथ के सामाजिक दायित्व के तहत आसपास के इलाकों में उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में एनटीपीसी प्रबंधन फिसड्डी साबित हो रहा है. NTPC के विभागीय अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक प्रबंधन से लाखों में मोटी तनख्वाह लेते हैं, बावजूद इसके उनसे विशेषज्ञों की तरह काम नहीं लिया जा रहा है. हालत यह है कि ICU या जीवन बचाने जैसी सुविधाएं तो दूर यहां आने वाले मरीजों को सोनोग्राफी की सुविधा भी नहीं मिल रही है. यहां सोनोग्राफी मशीन पिछले कई वर्षों से खराब पड़ी हुई है.

एनटीपीसी के विभागीय अनुबंध के तहत जिस कंपनी से सोनोग्राफी मशीन खरीदी गई थी, वह इसे ठीक करने भी नहीं आते हैं. स्थानीय स्तर पर भी इसे ठीक कराने की कोई व्यवस्था नहीं है. जबकि नई मशीन खरीदने की अनुमति प्रबंधन नहीं दे रहा है. जिसके कारण एनटीपीसी के विभागीय कर्मचारी हों या फिर आसपास के आम लोग किसी को भी सोनोग्राफी की सुविधा नहीं मिल पा रही.

पैथोलॉजी लैब का भी यही हाल

सोनोग्राफी मशीन के साथ किसी भी इलाज के लिए पैथोलॉजी लैब का योगदान बेहद अहम होता है. एनटीपीसी के विभागीय कर्मचारियों को ब्लड टेस्ट की सुविधा मिल रही है, जबकि आम लोगों के लिए पैथोलॉजी लैब के दरवाजे पूरी तरह से बंद हैं. आम लोगों को एनटीपीसी के विभागीय अस्पताल में ब्लड टेस्ट की सुविधा नहीं दी जाती. मरीज यदि यहां पहुंच जाएं, तो चिकित्सक उन्हें बाहर से ब्लड टेस्ट करा लाने को कहते हैं. हालांकि विभागीय कर्मचारियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन कई जरूरी और महंगे ब्लड टेस्ट के लिए कर्मचारियों को भी अनुबंधित अस्पताल में भेजा जाता है.

दुर्ग में बनेगा देश का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल



मोतियाबिंद तक का ऑपरेशन नहीं

एनटीपीसी के विभागीय अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल इसी बात से समझा जा सकता है कि यहां के अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ की पदस्थापना तो है, लेकिन यहां मोतियाबिंद तक का ऑपरेशन नहीं किया जाता है.

कर्मचारी भी हो रहे कम, दूसरे अस्पतालों से भी अनुबंध

एनटीपीसी में विद्युत उत्पादन के काम में लगे कर्मचारियों की संख्या 800 है. एक कारण यह भी है कि सीमित कर्मचारियों के लिए एनटीपीसी विशेष स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाना नहीं चाहता, जबकि नॉन एनटीपीसी की कैटेगरी से आने वाले मरीजों से प्रबंधन को कोई खास सरोकार नहीं होता है. एनटीपीसी द्वारा अपने अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने पर तो फोकस नहीं किया जाता, लेकिन हर बीमारी के लिए देशभर के अस्पतालों से एनटीपीसी ने अनुबंध कर रखा है.

एनटीपीसी द्वारा कर्मचारियों को अलग-अलग बीमारियों के अनुसार देश के बड़े चिकित्सालयों में इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाती है. यहां तक कि स्थानीय स्तर पर भी जिले के एक बड़े निजी अस्पताल से एनटीपीसी का अनुबंध है.
जो सुविधाएं और टेस्ट एनटीपीसी के विभागीय अस्पताल में नहीं होते, उसे कोरबा जिले के एक बड़े अस्पताल में कराया जाता है. एनटीपीसी ने भले ही अन्य अस्पतालों से अनुबंध कर रखा हो, लेकिन अपने विभागीय अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने पर कोई पहल नहीं कि जाती।

जो सुविधाएं उपलब्ध, उसमें भी किया जाता है भेदभाव

एनटीपीसी के विभागीय अस्पताल में अब सीमित सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की मौजूदगी के कारण ओपीडी में काफी मरीज पहुंचते हैं, लेकिन जो बाहर के मरीज यहां आते हैं, उनसे भी भेदभाव किया जाता है. विभागीय अस्पताल में विभागीय कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाती है, कई बार कर्मचारी या अफसरों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने के चक्कर में एनटीपीसी के बाहर से इलाज कराने अस्पताल पहुंचे. ग्रामीण मायूस होकर वापस लौट जाते हैं. सुबह 9 बजे के बाद एनटीपीसी के अस्पताल में नॉन एनटीपीसी वालों की पर्ची नहीं काटी जाती. जिसके कारण वह ओपीडी में भी डॉक्टर से परामर्श लेने से वंचित रह जाते हैं.

ओडिशा में बनाया 500 बेड का अस्पताल
एनटीपीसी, कोरबा से करोड़ों रुपए की कमाई करता हो, लेकिन जब सुविधाएं देने की बात आती है. तब कोरबा को किनारे कर दिया जाता है. कोरबा में ना सही, लेकिन एनटीपीसी में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उड़ीसा के सिंदूररगढ़ में 500 बेड का अस्पताल बनाया है. सूचना यह भी है कि यहां मेडिकल कॉलेज का संचालन होगा. सिंदूरगढ़ में एनटीपीसी का 1600 मेगावाट का पावर प्लांट अभी प्रस्तावित है. जबकि कोरबा में 2600 मेगावाट का प्लांट पिछले 35 वर्षों से संचालित है. बावजूद इसके स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में एनटीपीसी का विभागीय अस्पताल बेहद फिसड्डी है.

एनटीपीसी की पहली यूनिट कोरबा जिले में मार्च 1983 में कमीशन हुई थी. तब से लेकर अब तक लगातार पावर प्लांट का विस्तार हुआ. वर्तमान में यहां 2600 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है. एनटीपीसी कोरबा स्थित पावर प्लांट से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन दीव और नगर हवेली जैसे राज्यों को बिजली पहुंचाई जाती है.

एनटीपीसी अस्पताल में सुविधाओं के मामले में अस्पताल के चीफ मेडिकल ऑफिसर बीके मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि सोनोग्राफी मशीन कुछ दिनों से खराब है. मशीन की खरीदी के लिए विभागीय अनुमति नहीं मिल रही है. प्रयास किया जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर इसे ठीक करा लिया जाए. ब्लड टेस्ट विभागीय कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है, लेकिन बाहर से आने वाले मरीजों को फिलहाल हम सुविधा नहीं दे पा रहे हैं.

कोरबा: 35 साल पहले ऊर्जाधानी कोरबा में NTPC ने अपने पावर प्लांट की नींव रखी थी. आज यहां से 2600 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. कुल टर्नओवर 2 हजार 4 सौ 48.49 करोड़ रुपए है. दुर्भाग्य है कि एनटीपीसी जैसी महारत्न कंपनी के विभागीय अस्पताल में जाने वाले आम लोगों को सोनोग्राफी और ब्लड टेस्ट जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं.

NTPC
NTPC के अस्पताल में नहीं है सुविधाएं

बिजली उत्पादन के क्षेत्र में एनटीपीसी ने भले ही कीर्तिमान गढ़े हैं, लेकिन अपने कर्मचारियों के साथ के सामाजिक दायित्व के तहत आसपास के इलाकों में उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में एनटीपीसी प्रबंधन फिसड्डी साबित हो रहा है. NTPC के विभागीय अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक प्रबंधन से लाखों में मोटी तनख्वाह लेते हैं, बावजूद इसके उनसे विशेषज्ञों की तरह काम नहीं लिया जा रहा है. हालत यह है कि ICU या जीवन बचाने जैसी सुविधाएं तो दूर यहां आने वाले मरीजों को सोनोग्राफी की सुविधा भी नहीं मिल रही है. यहां सोनोग्राफी मशीन पिछले कई वर्षों से खराब पड़ी हुई है.

एनटीपीसी के विभागीय अनुबंध के तहत जिस कंपनी से सोनोग्राफी मशीन खरीदी गई थी, वह इसे ठीक करने भी नहीं आते हैं. स्थानीय स्तर पर भी इसे ठीक कराने की कोई व्यवस्था नहीं है. जबकि नई मशीन खरीदने की अनुमति प्रबंधन नहीं दे रहा है. जिसके कारण एनटीपीसी के विभागीय कर्मचारी हों या फिर आसपास के आम लोग किसी को भी सोनोग्राफी की सुविधा नहीं मिल पा रही.

पैथोलॉजी लैब का भी यही हाल

सोनोग्राफी मशीन के साथ किसी भी इलाज के लिए पैथोलॉजी लैब का योगदान बेहद अहम होता है. एनटीपीसी के विभागीय कर्मचारियों को ब्लड टेस्ट की सुविधा मिल रही है, जबकि आम लोगों के लिए पैथोलॉजी लैब के दरवाजे पूरी तरह से बंद हैं. आम लोगों को एनटीपीसी के विभागीय अस्पताल में ब्लड टेस्ट की सुविधा नहीं दी जाती. मरीज यदि यहां पहुंच जाएं, तो चिकित्सक उन्हें बाहर से ब्लड टेस्ट करा लाने को कहते हैं. हालांकि विभागीय कर्मचारियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन कई जरूरी और महंगे ब्लड टेस्ट के लिए कर्मचारियों को भी अनुबंधित अस्पताल में भेजा जाता है.

दुर्ग में बनेगा देश का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल



मोतियाबिंद तक का ऑपरेशन नहीं

एनटीपीसी के विभागीय अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल इसी बात से समझा जा सकता है कि यहां के अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ की पदस्थापना तो है, लेकिन यहां मोतियाबिंद तक का ऑपरेशन नहीं किया जाता है.

कर्मचारी भी हो रहे कम, दूसरे अस्पतालों से भी अनुबंध

एनटीपीसी में विद्युत उत्पादन के काम में लगे कर्मचारियों की संख्या 800 है. एक कारण यह भी है कि सीमित कर्मचारियों के लिए एनटीपीसी विशेष स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाना नहीं चाहता, जबकि नॉन एनटीपीसी की कैटेगरी से आने वाले मरीजों से प्रबंधन को कोई खास सरोकार नहीं होता है. एनटीपीसी द्वारा अपने अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने पर तो फोकस नहीं किया जाता, लेकिन हर बीमारी के लिए देशभर के अस्पतालों से एनटीपीसी ने अनुबंध कर रखा है.

एनटीपीसी द्वारा कर्मचारियों को अलग-अलग बीमारियों के अनुसार देश के बड़े चिकित्सालयों में इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाती है. यहां तक कि स्थानीय स्तर पर भी जिले के एक बड़े निजी अस्पताल से एनटीपीसी का अनुबंध है.
जो सुविधाएं और टेस्ट एनटीपीसी के विभागीय अस्पताल में नहीं होते, उसे कोरबा जिले के एक बड़े अस्पताल में कराया जाता है. एनटीपीसी ने भले ही अन्य अस्पतालों से अनुबंध कर रखा हो, लेकिन अपने विभागीय अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने पर कोई पहल नहीं कि जाती।

जो सुविधाएं उपलब्ध, उसमें भी किया जाता है भेदभाव

एनटीपीसी के विभागीय अस्पताल में अब सीमित सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की मौजूदगी के कारण ओपीडी में काफी मरीज पहुंचते हैं, लेकिन जो बाहर के मरीज यहां आते हैं, उनसे भी भेदभाव किया जाता है. विभागीय अस्पताल में विभागीय कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाती है, कई बार कर्मचारी या अफसरों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने के चक्कर में एनटीपीसी के बाहर से इलाज कराने अस्पताल पहुंचे. ग्रामीण मायूस होकर वापस लौट जाते हैं. सुबह 9 बजे के बाद एनटीपीसी के अस्पताल में नॉन एनटीपीसी वालों की पर्ची नहीं काटी जाती. जिसके कारण वह ओपीडी में भी डॉक्टर से परामर्श लेने से वंचित रह जाते हैं.

ओडिशा में बनाया 500 बेड का अस्पताल
एनटीपीसी, कोरबा से करोड़ों रुपए की कमाई करता हो, लेकिन जब सुविधाएं देने की बात आती है. तब कोरबा को किनारे कर दिया जाता है. कोरबा में ना सही, लेकिन एनटीपीसी में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उड़ीसा के सिंदूररगढ़ में 500 बेड का अस्पताल बनाया है. सूचना यह भी है कि यहां मेडिकल कॉलेज का संचालन होगा. सिंदूरगढ़ में एनटीपीसी का 1600 मेगावाट का पावर प्लांट अभी प्रस्तावित है. जबकि कोरबा में 2600 मेगावाट का प्लांट पिछले 35 वर्षों से संचालित है. बावजूद इसके स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में एनटीपीसी का विभागीय अस्पताल बेहद फिसड्डी है.

एनटीपीसी की पहली यूनिट कोरबा जिले में मार्च 1983 में कमीशन हुई थी. तब से लेकर अब तक लगातार पावर प्लांट का विस्तार हुआ. वर्तमान में यहां 2600 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है. एनटीपीसी कोरबा स्थित पावर प्लांट से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन दीव और नगर हवेली जैसे राज्यों को बिजली पहुंचाई जाती है.

एनटीपीसी अस्पताल में सुविधाओं के मामले में अस्पताल के चीफ मेडिकल ऑफिसर बीके मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि सोनोग्राफी मशीन कुछ दिनों से खराब है. मशीन की खरीदी के लिए विभागीय अनुमति नहीं मिल रही है. प्रयास किया जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर इसे ठीक करा लिया जाए. ब्लड टेस्ट विभागीय कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है, लेकिन बाहर से आने वाले मरीजों को फिलहाल हम सुविधा नहीं दे पा रहे हैं.

Last Updated : Jul 21, 2021, 6:37 AM IST
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