कोरबा: बरसात शुरू होते ही स्नेक बाइट के मामले भी बढ़ जाते हैं. कोरबा, छत्तीसगढ़ का एकलौता जिला है, जहां दुनिया का सबसे जहरीला सांप किंग कोबरा भी पाया गया है. किंग कोबरा के अलावा भी कोरबा जिले में अन्य प्रजातियों के सांप अधिक संख्या में मौजूद हैं. बारिश के दिनों में ग्रामीण-शहरी सभी स्थानों पर सांप निकलने लगते हैं.
हर दिन कोरबा में आ रहे स्नेक बाइट के पांच मामले : इन दिनों हर दिन मेडिकल कॉलेज में 5 स्नेक बाइट के केस सामने आ रहे हैं. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी भी कर रखी है. प्रबंधन का दावा है कि उनके पास पर्याप्त संख्या में एंटी स्नेक वेनम मौजूद है. जानकार बताते हैं कि स्नेक बाइट के कुल मामलों में से केवल 10 फीसद मामले ही ऐसे हैं, जिनमें लोगों को जहरीले सांप डस लेते हैं. जबकि 99 फीसद सर्पदंश के मामलों में सांप जहरीले नहीं होते. लेकिन सांप काटने के बाद लोग डर जाते हैं. इससे उन्हें ज्यादा नुकसान होता है.
स्नेक बाइट के केस को लेकर अस्पताल प्रबंधन सतर्क: जिले में सर्वाधिक मरीज मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर ही आश्रित हैं. यहां प्रतिदिन की ओपीडी औसतन 400 रहती है. ग्रामीण अंचल से किसी भी तरह की शिकायत पर लोग सीधे मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचते हैं. बरसात के मौसम को देखते हुए मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन ने 800 एंटी स्नेक वेनम की डोज रखी है. ताकि किसी भी स्थिति में सांप काटने के बाद मरीज को तत्काल इलाज मुहैया किया जा सके. पिछले साल अस्पताल प्रबंधन ने 700 डोज रखे थे. इस साल यह संख्या 15 फीसदी बढ़ाई गई है. स्नेक बाइट के लिहाज से कोरबा को संवेदनशील भी माना जाता है. प्रतिदिन औसतन 5 मामले सामने आने के साथ ही स्नेक रेस्क्यू टीम को भी बड़ी संख्या में रेस्क्यू कॉल आ रहे हैं. यानी कि इन दिनों सांपों का जमकर रेस्क्यू भी किया जा रहा है.
"बरसात शुरू होते ही स्नेक बाइट के मामलों में बढ़ोतरी होती है. प्रतिदिन औसतन 5 मामले हमारे पास आ रहे हैं. इसके लिए हमने पर्याप्त संख्या में एंटी स्नेक वेनम रखे गए हैं. लगभग 800 डोज हमारे पास मौजूद हैं. स्नेक बाइट होने पर झाड़-फूंक के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए. मरीजों को सीधे अस्पताल आना चाहिए. हमारे पास पूरी तैयारी है. हमने एक बेड स्नेक बाइट के मरीज के लिए आरक्षित कर रखा है. ताकि किसी भी हाल में उसे सही समय पर इलाज मुहैया कराया जा सके." -डॉ रविकांत जाटवर, अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज अस्पताल
कोरबा में लगातार सांपों के निकलने का सिलसिला जारी है. उसके बाद सांप का रेस्क्यू किया जा रहा है. कोरबा में कई जहरीले सांप पाए जाते हैं. इसलिए यहां सर्प मित्र लगातार कार्य में जुटे हुए हैं.
"पिछले साल हमने एक सीजन में लगभग 800 सांपों का रेस्क्यू किया था . बरसात का सीजन शुरू होते ही फोन की घंटी लगातार बज रही है. हमें लगातार कॉल आ रहे हैं. कोरबा जिले में औसतन 800 से 1000 सांप का रेस्क्यू हर साल किया जाता है. जिसकी शुरुआत हो चुकी है. -जितेंद्र सरथी, अध्यक्ष, स्नेक रेस्क्यू टीम
सांपों को बचाने का कार्य जारी :वन विभाग के साथ मिलकर स्नेक रेस्क्यू टीम भी लगातार सांपों का रेस्क्यू कर रही है. इन दिनों स्नैक रेस्क्यू के लिए कॉल अधिक आ रहे हैं. बात अगर पिछले साल की करें तो 800 सांपों का रेस्क्यू किय गया था.