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बारिश के साथ ही बढ़ते हैं कोरबा में सर्पदंश के मामले, जानिए कितना तैयार है स्वास्थ्य विभाग

बरसात का मौसम शुरू हो चुका है. कोरबा में हर साल बारिश के साथ ही सर्पदंश (स्नेक बाइट) के मामले बढ़ने लगते हैं. ETV Bharat ने सर्पदंश से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ वाईडी बड़गईयां से बात की. उनका कहना है कि फिलहाल जिले के सभी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त डोज उपलब्ध है. डीन का कहना है कि सर्पदंश के बाद बिना समय गवाएं लोगों को अस्पताल पहुंचना चाहिए. उन्होंने अंधविश्वास के चक्कर में न पड़ने की सलाह दी है.

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बारिश के साथ क्यों बढ़ते हैं स्नेक बाइट के मामले
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Published : Jun 23, 2021, 11:02 PM IST

कोरबा: सर्पदंश (snake bite) के लिहाज से कोरबा जिला बेहद संवेदनशील है. जिले के ज्यादातर भाग वनांचल में स्थित हैं. इलाके का बड़ा भू-भाग वनों से घिरा हुआ है. जंगली इलाकों में बड़ी संख्या में आदिवासी और अन्य जनजाति के लोग निवास करते हैं. लेकिन कोरबा में धीरे-धीरे औद्योगिकीकरण के फैलाव के कारण जंगलों का दायरा सिमट रहा है. जिसके कारण जंगली जानवर अब रिहायशी इलाकों में दस्तक दे रहे हैं. सांप भी इनमें से एक हैं. बरसात के साथ ही कोरबा में स्नेक बाइट के मामले बढ़ जाते हैं. कई बार सही समय पर इलाज नहीं मिल पाने से भी लोगों की मौत भी हो जाती है. ETV Bharat ने सर्पदंश से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ वाईडी बड़गईयां से बात की है.

बारिश के साथ ही बढ़ते हैं कोरबा में सर्पदंश के मामले

एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध

डीन डॉक्टर वाईडी बड़गईयां की माने तो सर्पदंश के तत्काल बाद जितनी जल्दी संभव हो सके व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए. तांत्रिक और झाड़-फूंक के चक्कर में पड़कर लोग जान गंवा देते हैं. मानसून के सीजन को देखते हुए जिले में पर्याप्त मात्रा में सांप के जहर से बचाने वाले इंजेक्शन की डोज (एंटी स्नेक वेनम) स्वास्थ्य विभाग ने स्टॉक की है. जिले के सभी विकासखंड मुख्यालय में एंटी स्नेक वेनम (anti snake venom) मौजूद है.

जहर का कारोबार! सर्पदंश की घटनाएं और बढ़ते स्नेक कैचर

पिछले साल हुई 50 लोगों की मौत

सर्पदंश से पिछले साल कोरबा में 50 लोगों की मौत हुई थी. जो एक दुखद पहलू है. सर्पदंश से जान गंवाने वाले ज्यादातर लोग वनांचल क्षेत्रों के हैं. ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश को लेकर भ्रम की भी स्थिति है. कई बार लोग सर्पदंश के बाद झाड़-फूंक और तांत्रिक के चक्कर में पड़ जाते हैं. जिसके कारण वह समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते और उनकी मौत हो जाती है. झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र का चक्कर एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है. कई बार सांप जहरीला नहीं होता, लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती. कभी-कभी ऐसे मामलों में लोग तांत्रिक के पास जाते हैं. ठीक होने पर लोगों को लगता है कि तांत्रिक के झाड़-फूंक से मरीज की हालत ठीक हुई है, लेकिन यह सही नहीं है. सांप कितना जहरीला है और शरीर पर उसके जहर का कितना असर होता है, यह जानकारी डॉक्टर ही स्पष्ट कर सकता है.

कवर्धा में अंधविश्वास की हद, सर्पदंश की शिकार महिला का झाड़ फूंक से इलाज

सांप से बचने के उपाय -

  • घर के आसपास कोई खाद्य पदार्थ ना फेंके, ताकि चूहे खाने के लिए आकर्षित न हों.
  • घर में मौजूद चूहों के बिलों को बंद करें, कीटनाशक का उपयोग करें.
  • गोबर और सूखी लकड़ियों के ढेर को घर से दूर रखें.
  • खिड़की के पास मौजूद पेड़ की शाखाओं और लताओं की कटाई करवाएं.
  • रात में घर से बाहर निकलते समय हमेशा जूते पहनें और टॉर्च का इस्तेमाल करें.
  • सांप का सामना हो तो उस पर नजर बनाए रखें.
  • घर में या आसपास सांप निकलने की स्थिति में वन विभाग या स्नेक रेस्क्यू टीम को सूचित करें.

सर्पदंश होने की स्थिति में प्राथमिक उपचार

  • सांप के डसने के दौरान पीड़ित व्यक्ति को शांत रखें, जिससे उसका ब्लड प्रेशर ना बढ़े.
  • सांप ने शरीर से जिस हिस्से में डंसा है, उसे स्थिर रखें और उसके ऊपर पट्टी बांधें.
  • पीड़ित को जल्द से जल्द स्वास्थ्य केंद्र लेकर जाएं, जहां एंटी वेनम उपलब्ध हो.
  • सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति पर घरेलू इलाज, झाड़-फूंक, पारंपरिक औषधि का प्रयोग ना करें.

केवल 10% सांप ही होते हैं जहरीले

सांप के काटने से जहर से भी ज्यादा लोगों का डर उनके लिए घातक सिद्ध होता है. जानकारों की माने तो आमतौर पर जितने भी प्रकार के सांप की प्रजाति हमारे इर्द-गिर्द पाई जाती है, उनमें से महज 10% ही जहरीले होते हैं. जिनके जहर से जान जा सकती है. ऐसे जहरीले सांपों की करीब 15 प्रजातियां भारत में पाई जाती है. जिनमें मुख्यतः कोबरा, रसल वाइपर, करैत और स्केल्ड वाईपर जैसे सांप प्रमुख हैं. घोड़ा करैत और गहुआ भी कोरबा जिले में बहुतायत में पाए जाते हैं. ETV भारत ने सर्पदंश को लेकर स्नेक रेस्क्यू टीम के सदस्यों से भी बात की है. उनका कहना है कि जब भी उन्हें रेस्क्यू के लिए कॉल आते हैं, तुरंत रिस्पॉन्स करते हैं. तब उन्हें ज्यादातर सांप ऐसे मिलते हैं जो जहरीले नहीं होते. लेकिन सांप को देखते ही लोगों के हाथ पांव फूलने लगते हैं.

स्वास्थ्य केंद्र का नामएंटी स्नेक वेनम डोज की संख्या
कोरबा शहर74
कटघोरा438
करतला 251
पाली270
पोड़ी उपरोड़ा634
स्वास्थ्य केंद्र कोरबा 116

पिछले कुछ सालों की बात करें तो जिले में हर साल सर्पदंश से मरने वालों की संख्या दहाई में होती हैं. स्नेक रेस्क्यू टीम के सदस्य मानसून के सीजन में सैकड़ों रेस्क्यू कॉल पर रिस्पॉन्स करते हैं. लेकिन बड़ी संख्या में लोग सांप के काटने से जान भी गवां रहे हैं. साल 2021 में अब तक जिले भर में सर्पदंश के 353 मामले प्रकाश में आए हैं.

साल 2020 में सर्पदंश के आंकड़े

एरियासर्पदंश की संख्या
पाली विकासखंड159
पोड़ी उपरोड़ा 87
कोरबा शहरी19
कोरबा ग्रामीण38
कटघोरा 27
करतला23

कई बार देखा जाता है कि लोग डर की वजह से सांप को मार देते हैं. जबकि पर्यावरण को संतुलन रखने में भी इनका अहम योगदान रहता है. सांप पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा हैं. इन्हें मारें नहीं बल्कि बचाएं. पर्यावरण को बचाने के लिए इन्हें भी बचाना जरूरी है.

कोरबा: सर्पदंश (snake bite) के लिहाज से कोरबा जिला बेहद संवेदनशील है. जिले के ज्यादातर भाग वनांचल में स्थित हैं. इलाके का बड़ा भू-भाग वनों से घिरा हुआ है. जंगली इलाकों में बड़ी संख्या में आदिवासी और अन्य जनजाति के लोग निवास करते हैं. लेकिन कोरबा में धीरे-धीरे औद्योगिकीकरण के फैलाव के कारण जंगलों का दायरा सिमट रहा है. जिसके कारण जंगली जानवर अब रिहायशी इलाकों में दस्तक दे रहे हैं. सांप भी इनमें से एक हैं. बरसात के साथ ही कोरबा में स्नेक बाइट के मामले बढ़ जाते हैं. कई बार सही समय पर इलाज नहीं मिल पाने से भी लोगों की मौत भी हो जाती है. ETV Bharat ने सर्पदंश से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ वाईडी बड़गईयां से बात की है.

बारिश के साथ ही बढ़ते हैं कोरबा में सर्पदंश के मामले

एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध

डीन डॉक्टर वाईडी बड़गईयां की माने तो सर्पदंश के तत्काल बाद जितनी जल्दी संभव हो सके व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए. तांत्रिक और झाड़-फूंक के चक्कर में पड़कर लोग जान गंवा देते हैं. मानसून के सीजन को देखते हुए जिले में पर्याप्त मात्रा में सांप के जहर से बचाने वाले इंजेक्शन की डोज (एंटी स्नेक वेनम) स्वास्थ्य विभाग ने स्टॉक की है. जिले के सभी विकासखंड मुख्यालय में एंटी स्नेक वेनम (anti snake venom) मौजूद है.

जहर का कारोबार! सर्पदंश की घटनाएं और बढ़ते स्नेक कैचर

पिछले साल हुई 50 लोगों की मौत

सर्पदंश से पिछले साल कोरबा में 50 लोगों की मौत हुई थी. जो एक दुखद पहलू है. सर्पदंश से जान गंवाने वाले ज्यादातर लोग वनांचल क्षेत्रों के हैं. ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश को लेकर भ्रम की भी स्थिति है. कई बार लोग सर्पदंश के बाद झाड़-फूंक और तांत्रिक के चक्कर में पड़ जाते हैं. जिसके कारण वह समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते और उनकी मौत हो जाती है. झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र का चक्कर एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है. कई बार सांप जहरीला नहीं होता, लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती. कभी-कभी ऐसे मामलों में लोग तांत्रिक के पास जाते हैं. ठीक होने पर लोगों को लगता है कि तांत्रिक के झाड़-फूंक से मरीज की हालत ठीक हुई है, लेकिन यह सही नहीं है. सांप कितना जहरीला है और शरीर पर उसके जहर का कितना असर होता है, यह जानकारी डॉक्टर ही स्पष्ट कर सकता है.

कवर्धा में अंधविश्वास की हद, सर्पदंश की शिकार महिला का झाड़ फूंक से इलाज

सांप से बचने के उपाय -

  • घर के आसपास कोई खाद्य पदार्थ ना फेंके, ताकि चूहे खाने के लिए आकर्षित न हों.
  • घर में मौजूद चूहों के बिलों को बंद करें, कीटनाशक का उपयोग करें.
  • गोबर और सूखी लकड़ियों के ढेर को घर से दूर रखें.
  • खिड़की के पास मौजूद पेड़ की शाखाओं और लताओं की कटाई करवाएं.
  • रात में घर से बाहर निकलते समय हमेशा जूते पहनें और टॉर्च का इस्तेमाल करें.
  • सांप का सामना हो तो उस पर नजर बनाए रखें.
  • घर में या आसपास सांप निकलने की स्थिति में वन विभाग या स्नेक रेस्क्यू टीम को सूचित करें.

सर्पदंश होने की स्थिति में प्राथमिक उपचार

  • सांप के डसने के दौरान पीड़ित व्यक्ति को शांत रखें, जिससे उसका ब्लड प्रेशर ना बढ़े.
  • सांप ने शरीर से जिस हिस्से में डंसा है, उसे स्थिर रखें और उसके ऊपर पट्टी बांधें.
  • पीड़ित को जल्द से जल्द स्वास्थ्य केंद्र लेकर जाएं, जहां एंटी वेनम उपलब्ध हो.
  • सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति पर घरेलू इलाज, झाड़-फूंक, पारंपरिक औषधि का प्रयोग ना करें.

केवल 10% सांप ही होते हैं जहरीले

सांप के काटने से जहर से भी ज्यादा लोगों का डर उनके लिए घातक सिद्ध होता है. जानकारों की माने तो आमतौर पर जितने भी प्रकार के सांप की प्रजाति हमारे इर्द-गिर्द पाई जाती है, उनमें से महज 10% ही जहरीले होते हैं. जिनके जहर से जान जा सकती है. ऐसे जहरीले सांपों की करीब 15 प्रजातियां भारत में पाई जाती है. जिनमें मुख्यतः कोबरा, रसल वाइपर, करैत और स्केल्ड वाईपर जैसे सांप प्रमुख हैं. घोड़ा करैत और गहुआ भी कोरबा जिले में बहुतायत में पाए जाते हैं. ETV भारत ने सर्पदंश को लेकर स्नेक रेस्क्यू टीम के सदस्यों से भी बात की है. उनका कहना है कि जब भी उन्हें रेस्क्यू के लिए कॉल आते हैं, तुरंत रिस्पॉन्स करते हैं. तब उन्हें ज्यादातर सांप ऐसे मिलते हैं जो जहरीले नहीं होते. लेकिन सांप को देखते ही लोगों के हाथ पांव फूलने लगते हैं.

स्वास्थ्य केंद्र का नामएंटी स्नेक वेनम डोज की संख्या
कोरबा शहर74
कटघोरा438
करतला 251
पाली270
पोड़ी उपरोड़ा634
स्वास्थ्य केंद्र कोरबा 116

पिछले कुछ सालों की बात करें तो जिले में हर साल सर्पदंश से मरने वालों की संख्या दहाई में होती हैं. स्नेक रेस्क्यू टीम के सदस्य मानसून के सीजन में सैकड़ों रेस्क्यू कॉल पर रिस्पॉन्स करते हैं. लेकिन बड़ी संख्या में लोग सांप के काटने से जान भी गवां रहे हैं. साल 2021 में अब तक जिले भर में सर्पदंश के 353 मामले प्रकाश में आए हैं.

साल 2020 में सर्पदंश के आंकड़े

एरियासर्पदंश की संख्या
पाली विकासखंड159
पोड़ी उपरोड़ा 87
कोरबा शहरी19
कोरबा ग्रामीण38
कटघोरा 27
करतला23

कई बार देखा जाता है कि लोग डर की वजह से सांप को मार देते हैं. जबकि पर्यावरण को संतुलन रखने में भी इनका अहम योगदान रहता है. सांप पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा हैं. इन्हें मारें नहीं बल्कि बचाएं. पर्यावरण को बचाने के लिए इन्हें भी बचाना जरूरी है.

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